जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के दौरान दिल्ली पुलिस की अभेद्य सुरक्षा की जमकर तारीफ हो रही है. दिल्ली पुलिस ने कैसे ये सब अंजाम तक पहुंचाया, कहां-कहां कंट्रोल रूम बनाए, होटल और रूट्स के लिए किस कोडवर्ड का इस्तेमाल किया गया, कैसे वीवीआईपी कारकेड (Carcade) मूवमेंट को फॉलो किया गया. यह सब जानने के लिए News18 इंडिया ने जी20 समिट में संचार प्रभारी बनाए गए पुलिस उपायुक्त (डीसीपी कम्युनिकेशंस) सत्यवान गौतम से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस के सुरक्षा चक्र के बारे में विस्तार से बताया.
डीसीपी कम्युनिकेशंस गौतम बताते हैं, ‘हमारे लिए यह बहुत बड़ा चैलेंज था. इस तरह के किसी भी कार्यक्रम को करने के लिए कम्युनिकेशन का होना बहुत जरूरी है. हमने बहुत बड़ा प्लान किया था, ताकि सारे के सारे मूवमेंट्स अच्छे से हो जाए. चाहे राजघाट हो, पूसा हो, अक्षरधाम हो, एयरपोर्ट हो… ये सारे रूट कंट्रोल रूम से जुड़े हुए थे, जहां पुलिसकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों की अलग-अलग तैनाती की गई थी.’
गौतम कहते हैं, ‘इसके लिए हमने दो तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. एक तो जीपीएस टेक्नोलॉजी थी, जिसके जरिये हमने वीडियो मैप के साथ पूरे रूट के कारकेड को देख पा रहे थे. उनकी पोजीशन पर लगातार ही नजर रख पा रहे थे. दूसरा था वायरलेस नेटवर्क, जिसके जरिये कारकेड के मूवमेंट को आगे बढ़ाया जा रहा था.’
वह बताते हैं, ‘किसी भी मूवमेंट के लिए या लोकेशन के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया था. चाहे वह राजघाट हो या फिर कोई होटल हो, राजघाट को भी अलग कोड नेम दिया गया था. पूरे कारकेड को भी हमने रेनबो के नाम दिए थे. सभी राष्ट्राध्यक्षों तथा गणमान्यों के काफिले को रेनबो 1 से लेकर रेनबो 31 तक अलग-अलग नाम दिए गए थे.’
सत्यवान गौतम ने इसके साथ बताया कि सारे होटल के अलग-अलग कोड वर्ड रखे गए थे. जब राजघाट में कार्यक्रम की व्यवस्था की गई थी, तो वह भी पूरी प्लानिंग का हिस्सा थे और वहां पर के लिए भी इसी तरह से कोडवर्ड इस्तेमाल किए गए थे. इसके अलावा जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का अक्षरधाम जाने का प्रोग्राम बनाने तो वहां के लिए भी पुलिस की पूरी प्लानिंग थी.
डीसीपी गौतम बताते हैं कि हमारे लिए कम्युनिकेशन में प्लान B भी बहुत जरूरी था. इसके लिए स्टैंड बाय मोबाइल कंट्रोल रूम, कमांडिंग कंट्रोल रूम बनाए गए थे. वह बताते हैं, ‘इस शिखर सम्मेलन के मद्देनजर कई कंट्रोल रूम बनाए गए थे. जिन 16 होटल्स में विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और उनकी टीम को ठहराया गया थ, उन सभी में कंट्रोल रूम बनाया गया था. इसके अलावा राजघाट पर भी गणमान्यों की मूवमेंट के मद्देनजर एक स्टैंड बाय मोबाइल कंट्रोल रूम बनाया गया था, जिसे चार्ली 5 का नाम दिया गया था.’
वह कहते हैं, ‘इसके अलावा एक गाड़ी को मोबाइल वैन के रूप में कंट्रोल रूम बनाया गया था, ताकि ऐसे मौके पर वह टेकओवर कर ले. एयरपोर्ट पर भी हमने कंट्रोल रूम बनाया था, जो गणमान्यों के आगमन-प्रस्थान को हैंडल कर रहा था. इसके अलावा कोई आपात चिकित्सीय आवश्यकता उत्पन्न होने की स्थिति से निपटने के लिए भी अलग कंट्रोल रूम बनाया गया था. एम्स, आरएमएल, जीबी पंत जैसे सभी अस्पतालों को किसी भी वीआईपी मूवमेंट के लिए अलर्ट मोड पर रखा गया था.’
डीसीपी गौतम बताते हैं कि सुरक्षा में तैनात सभी गाड़ियों में जीपीएस ट्रैकर लगाए गए थे, जिसे वीडियो वॉल मैप के जरिये मॉनिटर किया जा रहा था. वह कहते हैं, ‘यह हमारे लिए बहुत बड़ा अनुभव था, क्योंकि हमने कभी ऐसा किया नहीं था. हमें बहुत खुशी हुई कि हम इस व्यवस्था का हिस्सा रहे, जिसे सफलतापूर्वक हमने अंजाम तक पहुंचाया.’ पुलिस की मुस्तैद सुरक्षा व्यवस्था का श्रेय वह दिल्ली के पुलिस आयुक्त को देते हुए कहते हैं, ‘इस पूरे अभियान में सीपी साहब का मार्गदर्शन रहा, वह हर लोकेशन पर खुद भी पहुंच रहे थे. उनके मार्गदर्शन में हम अच्छी व्यवस्था करने में सफल रहे.’
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