रेतवाली महादेव मंदिर प्रांगण में चल रही शिव महापुराण के पंचम दिवस कथा व्यास आचार्य ऋतुराज शर्मा ने नारद द्वारा पार्वती को तप करने के लिए प्रेरित करने वाले प्रसंग को सुनते हुए बताया कि - जीवन मे जो सद्गुणों का रोध करता है , स्वप्रकाश को चेतन करता है उसे ही सद्गुरु कहते है । जैसे समुद्र का पानी पीने योग्य नही रहता ,लेकिन वाष्पीकरण के बाद वही जल अमृत समान हो जाता है , ऐसे ही वेद वेदांत आदि समुद्र के समान कठिन है लेकिन सद्गुरु का अनुग्रह कठिन वेदान्तिक ज्ञान को भी सरस भक्ति में परिवर्तित कर देता है , इस लिए प्रत्येक मनुष्य को सद्गुरु का आश्रय जरूर लेना चाहिए । शिव सती प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि सती माँ सीता का रूप लेकर भगवान राम की परीक्षा लेने गयी लेकिन वह राम के ऐश्वर्य को नही जान पाई ,क्योंकि सती का परमात्मा को प्राप्त करने का साधन सुद्ध नही था , भक्ति मार्ग में साधन सुद्ध होना अतिआवश्यक है तब को परमात्मा प्राप्ति संभव है ।
कथा व्यास ने शिव पार्वती विवाह प्रसंग सुनते हुए बताया कि शिव विश्वास स्वरूप है व पार्वती श्रद्धा का प्रतीक है इसलिए विश्वास का मिलन श्रद्धा से हो तब ही भक्ति पुष्ठ होती है । विवाह अवसर पर भोले बाबा की आई रे बारात आदि सुंदर भजन गाये गए जिसमे सभी स्रोता हर्ष से झूम उठे व विवाह उत्सव का आनद लिया । तत्पश्चात कथा की आरती हुई जिसमे राष्ट्रीय संत ज्योति शंकर शर्मा पुराणाचार्य, सत्यनारायण सोमानी , पुरुषोत्तम लाल पारीक , रामस्वरूप धगाल ,रामप्रसाद सोमानी ,संजय सिकरवार , कन्हैया लाल शर्मा ,रुपेश शर्मा ,नवल किशोर शर्मा, अनंत दाधीच, प्रमोद गर्ग आदि ने भाग लिया व प्रसाद वितरण किया गया!
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.