हरियाणा में नूंह की एक अदालत ने ‘गौ रक्षक’ बिट्टू बजरंगी को जिले में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. बिट्टू बजरंगी को 31 अगस्त को दुबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा. 31 जनवरी को जिले में हिंसा भड़क गई थी. पुलिस के मुताबिक, सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) ऊषा कुंडू की शिकायत पर नूंह के सदर थाने में बजरंगी उर्फ राज कुमार के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसके बाद उसे मंगलवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया. था. पुलिस ने कहा है कि उसके साथियों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
दूसरी ओर, बिट्टू बजरंगी के वकील सोमदत्त शर्मा ने बताया कि जेल में उनके मुवक्किल की जान को खतरा हो सकता है. न्यूज़18 से विशेष बातचीत में बजरंगी के वकील ने कहा, ‘उनके हाथ में कोई हथियार नहीं था और ना ही ऐसा कोई वीडियो है, बल्कि उनके हाथ में त्रिशूल था. पुलिस ने 8 तलवारों की रिकवरी दिखाई है.’
शर्मा ने यह भी बताया कि नूंह की जेल में बजरंगी की जान को खतरा है क्योंकि हिंसा के सिलसिले में जो मुलजिम गिरफ्तार हुए हैं, उसमें एक समुदाय के ज्यादा लोग हैं और दूसरे के कम. इसलिए उन्होंने कोर्ट से कहा कि बिट्टू को नीमका जेल में रखा जाए. उन्होंने कहा, ‘मुझे 5 मिनट बिट्टू से बातचीत करने का समय दिया गया था. उसने बताया था कि कुछ लोगों के नाम भी पूछे हैं.’
वकील ने दावा किया कि 31 जुलाई का जो वीडियो दिखाया जा रहा है, उसमें बिट्टू पीछे था, लेकिन उसका अगर उसका दिमाग झगड़े का होता तो वह बंदूकें लेकर चलता. प्राथमिकी के मुताबिक, बजरंगी और उसके कुछ अज्ञात समर्थकों ने तलवार और त्रिशूल लेकर नलहड़ मंदिर जाते समय रोके जाने पर एएसपी कुंडू के नेतृत्व वाली पुलिस टीम के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकाया था. बजरंगी की पहचान सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए हुई.
फरीदाबाद पुलिस ने दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में बजरंगी को गिरफ्तार किया था. उसकी गिरफ्तारी हिंसा के दो दिन बाद की गई थी, लेकिन उसके जांच में शामिल होने के बाद उसे ज़मानत पर छोड़ दिया गया था. उसपर भड़काऊ भाषण देने और सार्वजनिक तौर पर हथियार लहराने का आरोप है.
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