AIADMK ने इस कारण एनडीए से तोड़ा नाता, तमिलनाडु में BJP को भी दिख रहा बड़ा फायदा

 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अन्नाद्रमुक सोमवार को भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर निकल गई. सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण की यह क्षेत्रीय पार्टी चाहती थी कि भाजपा अपनी तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई को पद से हटाए या फिर उन पर लगाम लगाए. हालांकि भगवा पार्टी ने इससे साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद एआईएडीएमके ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी.

अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात मुख्य रूप से यही मांग उठाई थी. हालांकि जेपी नड्डा तमिलनाडु इकाई के प्रमुख अन्नामलाई पर लगाम लगाने के इच्छुक नहीं थे. ऐसे में अन्नाद्रमुक राज्य भाजपा प्रमुख द्वारा अपने संस्थापकों के कथित ‘अपमान’ की शिकायत करते हुए एनडीए गठबंधन से बाहर चली गई.

भाजपा से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि ‘पार्टी अन्नामलाई के समर्थन में खड़ी है, जो पूरे तमिलनाडु में एक सफल ‘एन मन, एन मक्कल’ यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं और पार्टी के लिए मजबूत जनाधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं.’ बीजेपी नेताओं को इस मामले पर आधिकारिक तौर पर नहीं बोलने की सलाह दी गई है, लेकिन कम से कम दो भाजपा नेताओं ने कहा कि इस अलगाव में एक ‘उम्मीद की किरण’ दिख रही है.

इससे बीजेपी को अब तमिलनाडु में अपना पैर जमाने और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का मौका मिला है. ‘सनातन धर्म’ विवाद ने द्रमुक को भाजपा के खिलाफ खड़ा कर दिया है. बीजेपी के नेताओं ने बताया कि कैसे द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन द्वारा अपनी विवादास्पद टिप्पणी दोहराए जाने के बाद अन्नाद्रमुक इस विवाद पर भाजपा के समर्थन में सामने नहीं आई थी. भाजपा सूत्रों ने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक के कदम का उद्देश्य तमिलनाडु में अल्पसंख्यक वोटों को लुभाना है. वहीं भाजपा के एक अन्य सूत्र ने कहा कि ‘हमें अब भी उम्मीद है कि अन्नाद्रमुक दोबारा विचार करेगी और गठबंधन में बनी रहेगी.’

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन किया था. तब गठबंधन ने राज्य की 39 में से सिर्फ एक सीट जीती थी. द्रमुक ने 2019 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद के विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की, जबकि अन्नाद्रमुक ई पलानीस्वामी और ओ पन्नीरसेल्वम के बीच कड़वी आपसी लड़ाई में फंस गई थी. हालांकि बीजेपी को यह समझाना कठिन होगा कि एआईएडीएमके, शिरोमणि अकाली दल और जेडी (यू) जैसे उसके सहयोगी क्रमशः तमिलनाडु, पंजाब और बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में एनडीए से बाहर क्यों चले गए हैं? तमिलनाडु में 2024 में अब द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच सीधी लड़ाई होने की उम्मीद है. केरल जैसे अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों की तरह भाजपा फिलहाल यहां कमजोर खिलाड़ी बनकर रह गई है.

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