इजराइल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध से दुनियाभर के निवेशकों की चिंता बढ़ गई है. इस घटनाक्रम से जहां शेयर बाजारों में गिरावट आने की आशंका है तो वहीं सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की डिमांड बढ़ने की संभावना है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन से गोल्ड और डॉलर जैसी संपत्तियों में खरीदारी देखी जा सकती है और संभावित रूप से अमेरिकी ट्रेजरी की मांग बढ़ सकती है.
दरअसल युद्ध या अन्य आर्थिक संकटों के आने पर दुनियाभर में गोल्ड की मांग बढ़ जाती है. क्योंकि, ऐसे हालात में निवेशक गोल्ड को इन्वेस्टमेंट का सुरक्षित विकल्प मानते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, स्पार्टन कैपिटल सिक्योरिटीज के चीफ मार्केट इकोनॉमिस्ट पीटर कार्डिलो ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय उथल-पुथल के दौरान इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए गोल्ड अच्छा ऑप्शन होता है. वहीं, कार्डिलो ने कहा, “जब भी अंतरराष्ट्रीय उथल-पुथल होती है, डॉलर मजबूत होता है.”
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटीज और करेंसी, हेड अनुज गुप्ता ने कहा, “इजराइल और गाजा में युद्ध के चलते फिजिकल मार्केट में सोने की मांग तेजी से बढ़ी है. इससे बाजार में सोने का प्रीमियम तेजी से बढ़कर 700 रुपये रुपये प्रति 10 ग्राम तक हो गया है, साथ ही इसमें और बढ़ोतरी की संभावना है. दिल्ली में कुछ जगहों पर सर्राफा डीलर्स सोने में तेजी आने की संभावना को लेकर गोल्ड बेचने से इनकार कर रहे हैं.
अनुज गुप्ता ने बताया कि चांदी का प्रीमियम 1000 रुपये प्रति 1 किलोग्राम से बढ़कर 3500 रुपये प्रति 1 किलोग्राम हो गया, जो पहले यह 2500 प्रति 1 किलो था. नई दिल्ली में 6 अक्टूबर को 24 कैरेट सोने का भाव 57,995 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो शनिवार को 58,660 रुपये रहा यानी एक ही दिन में कीमत में करीब 700 रुपये का उछाल आया है.
बता दें कि सोना अपने उच्चतम स्तर से लगभग 5000 रुपये टूट चुका है और चांदी 13000 रुपये टूटी है, इसलिए सोना-चांदी में निवेश करने वाले लोग निचले स्तरों पर खरीदी करने के लिए बाजार में खरीदारी के लिए दौड़ रहे हैं.
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