दौसा के सैंथल तिराहे के पास बच्चो के मनोरंजन के लिए जादूगर का शो एक माह के लिए जादूगर शिव कुमार द्वारा आया गया। जिसमे सन्देश पूर्ण जादूगर शो आयोजित होगा। जादूगर शिवकुमार ने प्रेस वार्ता करते कहा कि जादू एक हिंदुस्तान की विरासत की एक कला है जादू सिर्फ एक आर्ट है जादू कोई दिव्य शक्ति, मंत्र शक्ति या कोई अलौकिक शक्ति नहीं है सिर्फ एक कला है इसके पीछे का रहस्य कलाकार जानता है कलाकार की मेहनत होती है यह एक सम्मोहन प्रक्रिया है। एक साइंटिफिक आर्ट है इसके पीछे हमारी बरसों की मेहनत है हम मंच से लड़की गायब कर रहे हैं, महात्मा गांधी को प्रकट कर रहे हैं, डायनासोर को प्रकट कर रहे हैं ,एक लड़की की 8 से 9 टुकड़े कर रहे हैं यह देखने का है। हम इल्यूजन क्रिएट करते हैं ये एक देखने का भ्रम है जिसे हम इल्यूजन कहते है और हम इल्यूजन क्रिएट करते हैं। जिस शहर में हमारा शो होता है एक संदेश पूर्ण शो होता है। दोसा शहर में हम दूसरी बार आए हैं रोज हमारे 2 शो आयोजित किया जा रहे हैं। जिसमें पहला शो दोपहर 1:00 बजे शुरू होगा। दूसरा शो शाम 7:00 बजे होगा। रविवार के दिन 3 शो रखा गया है जिसमें पहला शो 1:00 बजे दूसरा 4:00 बजे तीसरा 7:00 बजे आयोजित किया जाएगा। जादूगर शिव कुमार ने कहा कि जब मैं 12 साल का था तब से जादू का काम कर रहा हूं। अब तक 24000 से ज्यादा हाउसफुल शो किए गए हैं। इसमें बहुत से संस्था के लिए, कारगिल युद्ध के लिए, पुलवामा में शहीदों के लिए, भूकंप पीड़ितों के लिए, बाढ़ पीड़ितों के लिए ,सुनामी के लिए, अनाथ बच्चों के लिए जब-जब भी देश को प्रदेश में कोई महामारी आती है हम चैरिटी शो का आयोजन करते हैं उससे होने वाली आय उनके लाभार्थी को देते है। जादूगर शिव कुमार ने कहा है कि पहले और अब के शो में बहुत फर्क है पहले हम चार पोस्टर लगाकर ही शो को हाउसफुल कर देते थे। चार पोस्टर लगते थे पब्लिक आ जाती थी। अब पूरे गली मोहल्ले में पोस्टर लगाने के बाद भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पहले लोगों में जादूगर जैसे शो में देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते थे। लेकिन अब मोबाइल की दुनिया में इन सबों से काफी फर्क पड़ा है। लोगों का रुझान इस तरह कम आया है जिससे ऐसे आयोजनों में काफी ग्राउट आई है। जादू ,सर्कस यह सब प्राय लुप्त हो गए हैं। शिवकुमार ने कहा कि सरकार से मैं अपील करता हूं कि देश में यह जादू कला को जिंदा रखना है तो इसको ललित कला से जोड़ा जाए ताकि यह कला घर घर तक व बच्चों तक पहुंचे। कलाकारों के लिए यह समय ठीक नहीं है कलाकारों के लिए बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन जब दर्शकों की तालिया की आवाज कलाकार के कानों तक पहुंचती है सब दर्द सिमट जाता है तब कलाकार का जुनून अलग होता है एक कलाकार का और एक आर्टिस्ट का अलग तरीका होता है और तालिया की आवाज में कलाकार अपने सारे दुख दर्द भूल जाता है जादूगर शिव कुमार ने कहा कि जनता से अपील कि जब इस तरह के आयोजन शहर में आते हैं तो खुद तो देखे ही देखें साथी बच्चों को जरूर दिखाएं ताकि इस भागम भाग की दुनिया में वह रिलैक्स हो चुके हैं और अपनी जो विरासत है उन्हें याद रहे कि हमारी क्या विरासत है और विरासत को संजोय रखें। आज की नई पीढ़ी तो सर्कस जादूगर सब भूल चुके हैं इसलिए भारत की विरासत को बचाने के लिए ऐसे शो आयोजित हो जहां जरूर उत्सावर्धन करने के लिए जरूर देखना चाहिए।