पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश में आई उथल-पुथल के लिए पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पूर्व जासूस फैज हमीद को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, “आज भारत चांद पर पहुंच गया है, जी20 की बैठक भारत में हो रही है और पाकिस्तान दुनिया भर के देशों से एक अरब डॉलर की भीख मांग रहा है.” शरीफ ने भारत की आर्थिक वृद्धि की सराहना करते हुए पाकिस्तान से इसकी तुलना करते हुए कहा कि, यह अफसोस की बात है कि पाकिस्तान गले तक कर्ज में डूबा हुआ है और इसे नहीं चुकाने की कगार पर है, और देश के प्रधानमंत्री को भीख का कटोरा लेकर पैसा मांगने के लिए बीजिंग और अरब देशों की राजधानियों में जाना पड़ रहा है.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पूर्व जासूस और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के महानिदेशक फैज हमीद को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थन प्राप्त था. बाजवा का कार्यकाल खान के शासनकाल के दौरान बढ़ाया गया था और उन पर 2018 के चुनावों में पूर्व क्रिकेटर की जीत के लिए चुनावों में धांधली करने का आरोप है, हमीद को इमरान खान शासन के दौरान डीजी-आईएसआई के रूप में नियुक्त किया गया था.
पाकिस्तान में चुनाव एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है क्योंकि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका चुनाव की तारीखों को लेकर खींचतान में उलझे हुए हैं. इससे पहले अगस्त में, पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने कहा था कि चुनाव जनवरी 2024 में हो सकते हैं, लेकिन पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, जो इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी से हैं, ने कहा कि चुनाव संवैधानिक आदेश के अनुसार, नवंबर में होंगे. चूंकि राष्ट्रीय सदन का विघटन समय से पहले हो गया था, इसलिए पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक, चुनाव 90 दिनों के भीतर होने चाहिए. सामान्य स्थिति में जब विधानसभा अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है तो 60 दिनों के भीतर चुनाव कराये जाते हैं.
इस बीच, नवाज शरीफ पाकिस्तान लौटना चाहते हैं क्योंकि वहां चुनाव की घंटियां बज रही हैं. पाकिस्तान मुस्लिम लीग प्रमुख नवाज शरीफ स्वास्थ्य कारणों से नवंबर 2019 से लंदन में स्व-निर्वासित निर्वासन में हैं. आपको बता हें कि नवाज शरीफ को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया था और 2017 में किसी भी सार्वजनिक पद पर रहने से रोक लगा दी गई थी, इसके बाद पनामा पेपर्स खुलासे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए जांच के आदेश के बाद उन पर 2018 में फिर से आजीवन सार्वजनिक पद पर रहने से रोक लगी, जिसमें उन्हें, उनके बेटे हुसैन नवाज़ की दुबई स्थित फर्म से अर्जित धन का खुलासा नहीं करने का दोषी पाया गया था.
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