ओपीएस के बाद सीएम अशोक गहलोत का एक और ‘मास्टर स्ट्रोक,’ जीत लिया साढ़े सात लाख कर्मचारियों का दिल

विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों को अपने पाले में करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Gehlot) ने एक और मास्टर स्ट्रोक चला है. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करके वो पहले ही चहेते बने हुए हैं. अब उन्होंने कर्मचारियों के लिए एसीपी के बजाए 9,18 और 27 साल की सर्विस पर प्रमोशनल पोस्ट के साथ पे स्केल देने का फैसला लेकर कर्मचारियों को दोहरी खुशी दे दी है.

तीन दशक के रिवाज को बदलने और कांग्रेस सरकार को रिपीट करने के लिए सीएम गहलोत हर जतन कर रहे हैं. जनता के लिए लोकलुभावन फ्रीबी योजनाओं से लेकर जातिगत वोटबैंक साधने और महिलाओं से लेकर कर्मचारियों तक को खुश करने के उपाय कर रहे हैं.

सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के लिए करीब तीन दशक पहले 9,18 और 27 साल की सर्विस पर प्रमोशनल पोस्ट के साथ पे स्केल दिए जाने का प्रावधान था. इसका फायदा विशेष रूप से क्लर्क ग्रेड के कर्मचारियों को होता था. इसके तहत कर्मचारियों को सर्विस में कम से कम 3 प्रमोशन मिलते थे. इससे उच्च पदों पर पदोन्नति के साथ-साथ कर्मचारियों की तनख्वाह यानी ग्रेड पे भी बढ़ती थी. सरकार ने 2006 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करते समय सिलेक्शन स्केल व्यवस्था बंद कर दी. इसकी जगह एसीपी यानी अश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन को लागू किया गया. इसमें 10, 20 और 30 साल की सर्विस होने पर एक हायर पे स्केल देने का प्रावधान किया है. इससे कर्मचारियों को हर 10 साल में हायर पे स्केल का लाभ तो मिल जाता था, लेकिन कॉडर नहीं बदलता था.

मुख्यमंत्री गहलोत ने विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर प्रदेश के 7 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को तोहफा दिया है. सरकार के फैसले के चलते रिटायरमेंट से पहले कर्मचारियों को कम से कम 3 प्रमोशन का रास्ता खुल गया है. गहलोत कैबिनेट ने कर्मचारियों के प्रमोशन की 31 साल पुरानी व्यवस्था लागू कर दी है. इसको ऐसे समझ सकते हैं कि वर्तमान चल रही एसीपी व्यवस्था में कर्मचारी को सिर्फ फाइनेंशियल बेनिफिट होता है. लेकिन अब सलेक्शन स्केल यानी 9, 18 और 27 वाली व्यवस्था में कर्मचारियों को फाइनेंशियल बेनिफिट के साथ-साथ पोस्ट में प्रमोशन का भी फायदा होगा.

पहला तो एसीपी में स्टेट सर्विसेज के लिए 10, 20 और 30 साल में प्रमोशन की व्यवस्था थी, जबकि सलेक्शन स्केल में 9,18 और 27 साल में प्रमोशन की व्यवस्था है. ऐसे में तीन साल का फायदा तो इसमें सीधे तौर पर कर्मचारियों को मिलता है. दूसरा सलेक्शन एसपी में अगली पे स्केल पर प्रमोशन मिलता है ना कि पद पर. मान लीजिए कि अगर कोई व्यक्ति एलडीसी है और 9 साल तक उसका प्रमोशन नहीं होता है तो सलेक्शन स्केल की व्यवस्था में 9 साल पूरे होने पर वह खुद ब खुद यूडीसी हो जाएगा. यानी उसे यूडीसी का वेतनमान-सैलरी मिलेगी. वहीं 27 साल पर तीसरे प्रमोशन में वह ऑफिस सुपरिंटेंडेंट हो जाएगा और उसे इस पदनाम की सैलरी मिलेगी.

एसीपी व्यवस्था में कर्मचारियों को मिलने वाले बैनिफिट काफी कम हो रहे थे. एसीपी की तरह नई पेंशन स्कीम से भी कर्मचारियों को नुकसान हो रहा था. दरअसल, एक अप्रैल 2004 से पूरे देश में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की जगह पर नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई. ओपीएस खत्म करने के एनडीए सरकार के बिल को मई-2004 में केन्द्र में सत्ता में आई यूपीए सरकार ने 10 वर्ष तक जारी रखा. मोदी सरकार ने भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया. लेकिन सीएम गहलोत ने कर्मचारियों की बरसों पुरानी मांग मानते हुए मार्च-2022 में ओपीएस को लागू करके कर्मचारियों को दिल जीत लिया.

दरअसल, ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद भी प्रत्येक महीने पेंशन राशि मिलती है, जबकि नई पेंशन स्कीम में सेवानिवृत्ति के बाद प्रत्येक महीने मिलने वाली पेंशन राशि बंद हो जाती है. इसके अलावा ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशन देने का खर्च सरकार द्वारा उठाया जाता है, वहीं नई पेंशन स्कीम में जिन कर्मचारियों को पेंशन चाहिए उन्हें इसका वित्तीय भार भी खुद ही उठाना पड़ता था. ओपीएस लागू होने से प्रदेश के सभी साढ़े सात लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिलना तय हो गया. सीएम गहलोत की घोषणा से पहले केवल डेढ़ लाख कर्मचारियों को ही ओपीएस का लाभ मिल रहा था.

गहलोत सरकार द्वारा ओपीएस लागू करने का मास्टर स्ट्रोक कांग्रेस के लिए बाद में हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी तुरुप का इक्का साबित हुआ. दोनों ही जगह पर कर्मचारी मतदाताओं ने झोली भरके कांग्रेस को वोट दिए और कांग्रेस दोनों ही जगह सरकार बनाने में कामयाब हुई. राहुल-प्रियंका समेत पार्टी हाईकमान ने गहलोत सरकार द्वारा ओपीएस लागू करने की सराहना की. ओपीएस के बाद अब सीएम गहलोत ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एसीपी की जगह पर सलेक्शन स्केल व्यवस्था लागू करके फिर कर्मचारियों को अपने पाले में करने की चाल चल दी है.

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