खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत से मिले मुंहतोड़ जवाब के बाद कनाडा के तेवर नर्म पड़ते हुए दिख रहे हैं. खालिस्तानी अलगाववादी और आतंकी समर्थकों खिलाफ भारतीय दबाव के बाद कनाडाई प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है. ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में महत्वपूर्ण जगहों पर खालिस्तान के समर्थन में लगे होर्डिंग और बैनर हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं. खालिस्तानी समर्थकों ने अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ते हुए जगह-जगह पर होर्डिंग और बैनर लगाए थे, ताकि लोग इन्हें देखें और प्रभावित हों. लेकिन अब इनको हटाया जा रहा है.
स्थानीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे में भारतीय राजनयिकों की हत्या के आह्वान वाले पोस्टर हटा दिए गए हैं. सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों को मुद्दे की भयावहता और कनाडाई धरती से आने वाले ऐसे संदेशों की संभावनाओं का एहसास होने के बाद सरे गुरुद्वारे को तीन भारतीय राजनयिकों की हत्या के आह्वान वाले पोस्टर हटाने के लिए कहा गया था. साथ ही गुरुद्वारा प्रबंधन को चेतावनी दी गई है कि किसी भी कट्टरपंथी घोषणा के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न किया जाए.
ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के प्रमुख इलाके जहां से एंटी-इंडिया प्रोपेगेंडा मटेरियल को हटाया जा रहा है वे हैं सरे, गिल्डफोर्ड, न्यूटन और व्हैले. इसके अलावा कनाडा-अमेरिका के सीमावर्ती इलाकों में खालिस्तान समर्थक संगठनों को अपने प्रोपेगेंडा मटेरियल हटाने के निर्देश दिए गए हैं. आपको बता दें कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारत पर लगाए गए बेतुके आरोपों के बाद से दोनों देशों के संबंध काफी तल्ख हो गए हैं. भारत ने कनाडा के वीजा आवेदनों को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है.
इस पूरे विवाद की शुरुआत गत 18 सितंबर को हुई, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में बयान दिया कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ हो सकता है. उन्होंने कहा कि कनाडा की एजेंसियों ने पुख्ता तौर पर इसका पता लगाया है कि भारत सरकार की एजेंसियां इसके पीछे हैं. ट्रूडो ने भारत पर कनाडा की संप्रभुत का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे किसी बाहरी देश का होना पूरी तरह से अस्वीकार्य है. इसके बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को अपने यहां से निष्कासित कर दिया. बता दें कि इस साल 1 जून को कनाडा के सरे प्रांत में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में अज्ञात हमलावरों ने आतंकी निज्जर की गोली मारकर हत्या कद दी थी.
भारत सरकार ने कनाडाई पीएम ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया. भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘इस तरह के आरोपों का कोई आधार नहीं है और जस्टिन ट्रूडो का बयान खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान हटाने की एक कोशिश है, जिन्हें कनाडा में आश्रय मिलता रहा है. ये खालिस्तानी आतंकवादी और चरमपंथी, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं. कनाडा के कई राजनेताओं ने खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों के प्रति नर्म रवैया अपनाया है, जो काफी चिंता का विषय है.’ इसके तुरंत बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कनाडा के एक शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया और 5 दिन के अंदर देश छोड़ने के लिए कहा.
इस पूरे विवाद पर कनाडा के विपक्ष ने भी जस्टिन ट्रूडो पर सवाल उठाए और भारत पर उनके द्वारा लगाए गए आरोपों के पक्ष में तथ्य रखने की मांग कर दी. कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे ने कहा कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से भारतीय एजेंटों को जोड़ने के आरोपों पर कनाडा सरकार को तथ्य सामने रखने चाहिए. दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि भारत ने 21 सितंबर को कनाडा के नागरिकों को वीजा देने पर रोक लगा दी. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी कहा कि कनाडा में हाल के दिनों में उन भारतीय राजनयिकों और भारतीयों को टारगेट किया गया है, जो एंटी-इंडिया एजेंडे का विरोध करते हैं. भारत ने कनाडा में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की और उन इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी, जहां ऐसी घटनाएं देखी गई हैं.
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