मध्यप्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबन्धन टूट का असर यूपी की सियासत में खुलेआम दिख रहा है. I.N.D.I.A. गठबन्धन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस अब यूपी में भी सपा के प्रभाव में राजनीति करने के मूड में नहीं है. लिहाजा, उसका प्रादेशिक संगठन फ्रंट पर रहकर पॉलिटिक्स कर रहा है. वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाले राज्य में लगातार ऐसी राजनीतिक गतिविधियां की जा रही हैं, जिससे समाजवादी पार्टी के नेताओं को असहज होना पड़ रहा है.
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में फूट पड़ गई. इसके बाद कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया कि विपक्षी दलों का गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनावों के लिए हैं. इससे अब उत्तर प्रदेश की सियासत में भी कांग्रेस और सपा आमने-सामने दिखाई दे रही हैं. कांग्रेस का पहले मुस्लिम नेताओं को पार्टी में शामिल करना और अब आजम के बहाने मुस्लिम सियासत को हवा देने की चाल से सपा से टकराव बढ़ गया है.
कांग्रेस उत्तरप्रदेश में आक्रामक ढंग से राजनीति के मूड में है. वह सहयोगी दलों की दया पर निर्भर नहीं रहना चाहती. इसी क्रम में उसने अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदलकर अजय राय को कमान सौंप दी है. अजय राय ने पदभार लेते ही ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगाकर कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया. वहीं खुद भी हर मसले पर कांग्रेस का पक्ष रखने से नहीं चूकते हैं. वह मंडल से लेकर जिलों तक का दौरा कर रहे हैं. साथ ही प्रभावी नेताओं को भी पार्टी ज्वॉइन करा रहे हैं. इसमें खास तौर पर पश्चिम के बड़े मुस्लिम चेहरा इमरान मसूद और पूर्व मंत्री कोकब हमीद के बेटे अहमद हमीद और फिरोज आफताब को शामिल कर सपा खेमें की बेचैनी बढ़ा दी है.
एमपी गठबंधन में टूट के बाद सपा और कांग्रेस की बीच खटास बढ़ गई. इसके बाद यूपी में पोस्टर वार शुरू हो गए हैं. सपा नेता जहां पार्टी मुखिया अखिलेश को पीएम पद का दावेदार पेश करने लगे हैं, वहीं लखनऊ कांग्रेस दफ्तर के आस-पास भी पोस्टर लगाए गए. इसमें राहुल गांधी को पीएम और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को भावी सीएम चेहरा दर्शाया गया. इसके साथ ही कांग्रेस दफ्तर में लगे पोस्टर्स में सपा के बजाए बसपा और रालोद से गठबंधन की सलाह दी गई. इन पोस्टर वार को प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर देखा जा रहा है.
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