पहली बार 80 साल या उससे ज्यादा उम्र और दिव्यांग (40 फीसदी से ज्यादा) को सुविधा देने के लिए होम वोटिंग का विकल्प दिया गया, लेकिन राजस्थान में इसके लिए 4 फीसदी वोटर्स भी तैयार नहीं हुए। जयपुर जिले की स्थिति देखे तो 19 विधानसभा क्षेत्रों में 902 दिव्यांग वोटर्स ने 12-डी फार्म भरकर होम वोटिंग की सुविधा लेने की इच्छा जताई है, जबकि 6328 बुजुर्ग वोटर्स ने होम वोटिंग का विकल्प चुना है। वोटिंग के लिए ध्यान रखने वाली बात ये है कि टीम निर्धारित समय में सिर्फ दो दिन ही आपके घर आएगी। अगर आप नहीं मिलते तो वोट निरस्त कर दिया जाएगा।
जयपुर में बुजुर्ग वोटर्स की संख्या 1 लाख 1,775 है, जबकि दिव्यांग वोटर्स की संख्या 34 हजार 673 है। ऐसे में अब 4 से 21 नवंबर तक जो वोट डाले जाएंगे, उसमें प्रदेशभर से कुल 64 हजार 700 ही मतदाता ऐसे है, जो घर बैठे वोट देंगे। ये इन कैटेगरी के कुल वोटर्स की संख्या का 3.75 फीसदी ही है।
दरअसल, केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और बुजुर्ग, दिव्यांगों की समस्या को देखते हुए पहली बार होम वोटिंग की सुविधा शुरू की थी। इसके लिए 20 अक्टूबर से 4 नवंबर तक घर-घर आवेदन बांटे थे। इस दौरान इन वोटर्स से 12-डी फार्म भरवाए गए। पूरे प्रदेश में 16 दिन के अंदर कुल 64 हजार 700 वोटर्स ने भी फार्म 12-डी भरकर अपने बीएलओ को दिए।
निर्वाचन आयोग राजस्थान के मुताबिक पूरे प्रदेश में 80 प्लस और दिव्यांग वोटर्स की संख्या 17 लाख 32 हजार 391 के करीब है। इसमें 11 लाख 72 हजार वोटर्स बुजुर्ग है, जबकि 5 लाख 60 हजार 384 दिव्यांग।
सूची तैयार करने के बाद पोलिंग पार्टियां 14 से 21 नवंबर तक इन मतदाताओं के घर जाएंगी। वहां उनको बैलेट पेपर देकर वोट डलवाएगी। वोट डालने के बाद मौके पर ही बैलेट पेपर मतपेटी में डलवाया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी करवाई जाएगी। वोट देने की प्रक्रिया दो चरण में होगी। पहले चरण में 14 से 19 नवंबर तक पोलिंग पार्टियां वोटरों के घर जाएगी। इस बीच कोई वोटर घर पर नहीं मिलता है तो उसके यहां दूसरा राउंड 20 से 21 नवंबर तक लगाया जाएगा।
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