जयपुर
अवैध निर्माणों की भरमार इन दिनों जयपुर मे बीमारी की तरह फैल रही है,नगर निगम को दो भागों में बांटकर राज्य सरकार ने चैन की आहे भरी तो थी मगर दो नगर निगम होने के बावजूद भी अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाना असंभव दिख रहा है। अवैध निर्माणों पर नगर निगम के भवन निर्माण शाखा के अधिकारियों की मेहरबानी के किस्से इन दिनों काफी चर्चित है।
गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला भूखंड संख्या- 104/32 विजय पथ ,मानसरोवर जयपुर का है। जहाँ पर सेटबेक कवर करके जीरो सेटबेक पर व्यवसायिक बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया जा रहा है। जिसकी वजह से स्थानीय निवासियों को लगातार परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। साथ ही इन अवैध निर्माणों में पार्किंग व्यवस्था नहीं होने के चलते भविष्य में आमजन को खासी परेशानियों का सामना करना पडेगा। नगर निगम ग्रेटर में मानसरोवर नगर निगम जोन में लगातार अवैध निर्माण बढ़ रहे है। जिन पर कार्रवाई महज कागज़ी लग रही है। बानगी यह है कि उक्त निर्माणों पर मानसरोवर नगर जोन द्वारा कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। पूर्व में भी इस निर्माण पर निगम प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जा चुकी है लेकिन उसके बाद भी निर्माण का अनवरत चलना मिलीभगत को दर्शाता है। मानसरोवर नगर जोन के उपायुक्त और भवन निर्माण शाखा की उदासीनता के चलते निर्माणकर्ता को बढावा मिल रहा है तथा राज्य सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने मे कोई कसर नहींं छोड़ी जा रही है।
हाई कोर्ट के आदेश की हो रही है अवेहलना
आपको बता दे की राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर के आदेश दिनांक- 10/01/2023 को डबल बैंच ने आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक गतिविधियों/निर्माणों को रोकने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम को ऐसे अवैध निर्माणों पर जांच कर आवश्यक कार्रवाही करने के आदेश दिए गए। जिसके बावजूद मानसरोवर नगर निगम जोन द्वारा विजय पथ पर चल रहे अवैध निर्माण पर कोई ठोस कार्रवाही नहीं की जा रही है। बल्कि आवासीय भूखंड पर व्यवसायिक स्तर का निर्माण बेरोकटोक अनवरत चल रहा है। और विभाग के अधिकारी ने अपनी मूक सहमति दे रखी है।
जिम्मेदारों की प्रतिक्रिया
जब हमारे संवाददाता ने मानसरोवर नगर जोन उपायुक्त से जरिये दूरभाष इस अवैध निर्माण पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो इस पर उन्होंने बताया कि ऐसा निर्माण किया जाना सम्भव नहीं है, आप मुझे जानकारी दीजिए ,मैं इस पर विधि सम्मत कार्रवाई करवाता हूँ।
अवैध निर्माणों पर उठते सवाल
इन अवैध निर्माणों पर उठते सवालों का जवाब तो सिर्फ जोन उपायुक्त अधिकारी या फिर निर्माणकर्ता ही दे सकते है।अब तो यह देखने कि बात होगी कि क्या इन सभी निर्माणों पर कोई कार्रवाई होगी या फिर मिलीभगत का खेल यूं ही संचालित रहेगा ?
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