मिजोरम विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती जारी है. प्रदेश में जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जेडएनपी) बड़ी जीत की तरफ बढ़ रही है. 11:30 बजे तक के रुझानों में जेडएनपी को 40 में से 26 सीटों पर बढ़त हासिल है. सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) 10 सीटों पर आगे है, जबकि कांग्रेस 1 पर और अन्य 3 पर आगे चल रहे हैं.
रुझान से साफ है कि जेडएनपी भारी बहुमत से सरकार बनाएगी. चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी यहां त्रिकोणीय मुकाबले की बात कही जा रही थी. एग्जिट पोल में भी हंग असेंबली का अनुमान लगाया गया था, लेकिन लालदुहोमा और उनकी पार्टी ने सारी अटकलों को खारिज कर दिया है. लालदुहोमा इस बड़ी जीत के बाद अब सीएम बनने की तैयारी कर रहे हैं. एक प्रशासनिक अफसर से लेकर राज्य के सीएम का दावेदार बनने तक का लालदुहोमा का सफर इतना आसान नहीं रहा है.
लालदुहोमा मिजोरम के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. वह पिछले कुछ साल से मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्ति दिलाने की बात कहते आ रहे हैं. लालदुहोमा 1977 में आईपीएस बने और गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में काम किया. इस दौरान उन्होंने तस्करों पर कई कार्रवाई की. इससे वह नेशनल मीडिया में छाने लगे. इनके अच्छे काम को देखते हुए 1982 में इन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में तैनाती दी गई.
इंदिरा गांदी की सुरक्षा में रहने के दो साल बाद ही लालदुहोमा ने 1984 में राजनीति में आने का फैसला किया. वह 1984 में सांसद बने. चार साल बाद ही 1988 में कांग्रेस की सदस्यता छोड़ने के कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य करार दे दिया गया. इस तरह लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बन गए.
कांग्रेस छोड़ने के बाद लालदुहोमा ने जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (ZNP) की स्थापना की. उन्हें 2018 मिजोरम विधान सभा चुनाव में ZNP के नेतृत्व वाले ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था. पर इन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करना स्वीकार किया. 2020 में दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में इनकी विधान सभा सदस्यता रद्द कर दी गई. भारत में राज्य विधानसभाओं में इस तरह का पहला मामला था. 2021 में हुए उपचुनाव में सेरछिप से वह फिर जीते.
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