नागौर का 13 साल का हार्दिक सांसारिक मोह-माया छोड़ संन्यास के रास्ते पर चल पड़ा। हार्दिक ने 17 मार्च को घर को त्याग दिया और जैन संतों के साथ विहार पर निकल गया। अब गांव-गांव जाकर दीक्षा के चरण पूरे करेगा। 28 अप्रैल को हार्दिक पूर्ण दीक्षा ग्रहण कर जैन बाल मुनि बन जाएगा।
हार्दिक के पिता विकास समदड़िया केंद्र शासित प्रदेश पुदुच्चेरी में हेलमेट का थोक व्यापार करते हैं। विकास समदड़िया का पैतृक घर नागौर शहर के गुमसा की गली में है। विकास के भाई नागौर रहते हैं। हार्दिक ने पिता से संन्यास लेने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने परिवार से चर्चा कर इसकी इजाजत दे दी। इसके बाद पैतृक घर आकर 15 से 17 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रमों का भव्य आयोजन कर अपने बेटे को जैन मुनियों के हवाले कर दिया।
हार्दिक के घर में दादा धनरुपमल समदड़िया, दादी कांता देवी, चाचा विनय समदड़िया, चाची नेहा समदड़िया हैं। ये लोग नागौर ही रहते हैं। विकास अपने दो बेटों के साथ पुदुच्चेरी रहते हैं। बड़ा बेटा निराग 12वीं का छात्र है। वह 17 वर्ष का है। हार्दिक का ननिहाल भी नागौर शहर के गुजराती पोल इलाके में रहता है। उसके नाना सुभाष चौधरी बिजनेसमैन हैं।
हार्दिक के पिता विकास समदड़िया ने बताया- कम उम्र से ही हार्दिक को संतों के प्रवचन और भजन में रुचि होने लगी थी। जब हार्दिक ने बताया कि वह वैराग्य का मार्ग अपनाना चाहता है तो उसकी इच्छा का सम्मान किया। हार्दिक में वैराग्य के प्रति समर्पण की भावना जगाने में उसकी परदादी किरण देवी का भी विशेष योगदान रहा।
हार्दिक ने दैनिक भास्कर को बताया- संयम की प्रेरणा मां प्रियंका देवी से मिली। मां ने 2004 में दीक्षा लेने का विचार किया था। लेकिन घर की जिम्मेदारियों के कारण वे यह कदम नहीं उठा सकीं और अपनी इच्छा को दबा लिया। धर्म व संयम के रास्ते पर चलने का मां का सपना पूरा नहीं हुआ। लेकिन मां ने हमें अपने धर्म के बारे में जानकारियां दी और संयम, त्याग और तप का महत्व बताया। हार्दिक के बड़े भाई निराग ने बताया कि दीक्षा और संयम पथ के संस्कार परिवार में निहित हैं। परिवार में उन्हें शुरू से ही धार्मिक माहौल मिला।
मुमुक्षु हार्दिक का जीवन अब सामान्य नहीं होगा। इस उम्र से वैराग्य की राह पर चलना बहुत कठिन है। हार्दिक का कहना है कि पूर्ण संयम बहुत सुखद अनुभूति है। इस जीवन को समाज के प्रति समर्पित करने में ही सच्चा सुख है।
ये हुए कार्यक्रम, छोड़ दिया घर
नागौर में गुमसा की गली स्थित पैतृक घर में 15 मार्च को बिंदोली निकाली गई। 16 मार्च को सुबह अभिषेक धारा की गई और शाम को मंगल गान व संध्या कीर्तन किया गया। इसके बाद 17 मार्च को नागौर शहर में हार्दिक को हाथी पर बैठाकर वरघोड़ा निकाला गया। वरघोड़ा नागौर शहर में बख्तसागर तालाब स्थित बारला मंदिर पहुंचा। यहां हार्दिक ने समाज के समक्ष जैन मुनि नित्यानंद महाराज की मौजूदगी में पूर्ण संयम का संकल्प लिया और खुद को समर्पित कर दिया। इसके बाद नागौर में चांदी के बाड़े में सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से हार्दिक की खोल भराई का कार्यक्रम हुआ।
घर त्यागने के बाद हार्दिक अब जैन मुनियों के साथ रहकर दीक्षा प्रक्रिया की ओर आगे बढ़ेंगे। आगामी 28 अप्रैल को हार्दिक गुजरात के पालीथना स्थित शत्रुंजय तीर्थ में दीक्षा ग्रहण करेंगे। दीक्षा ग्रहण कर वे पूर्ण बाल जैन मुनि का वेश धारण कर लेंगे। हार्दिक आचार्य गुरु अरविंद सागर से दीक्षा लेंगे। इस दौरान 26 से 28 अप्रैल तक 3 दिवसीय आयोजन होगा।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.