रमजानुल मुबारक़ के पाक महीने मे रोजे शुरू हुए तो बड़ो के साथ बच्चों में भी रोजा रखने का जज्बा देखा गया। एक ओर जहां गर्मी में भूख प्यास बड़े बड़े तक सहन नहीं कर पाते वहीं दूसरी तरफ रमजान मे नन्हे मुन्ने बच्चों के रोजा रखने पर उनके हौसलों को सभी सलाम कर रहे हैं। दरबार कॉलोनी, ईदगाह निवासी 8 साल के अशर रइक पुत्र ज़ीशान कुरैशी एडवोकेट और रशदान रइक पुत्र मोहम्मद तैयिब ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा। रशदान के पिता मोहम्मद तैयिब इन्कम टैक्स मे अधिकारी है वही अशर के पिता राजस्थान हाई कोर्ट मे एडवोकेट है। पूरे दिन भूखे प्यासे अशर और रशदान ने मगरिब की अजान होने पर खजूर से रोजा खोला और दादाजी मोहम्मद इक़बाल एडवोकेट ने उनको दुआएँ दी और अल्लाह से अच्छा इंसान बनने की दुआ मांगी।
अशर की माँ निकहत ने बताया कि उनके बेटे ने जिद कर के रोजा रखा 8 साल की उम्र में 14 घण्टे भूखे प्यासे रह कर बच्चों ने वो सभी नियमों का पालन किया जो बड़े करते हैं सुबह सेहरी से लेकर मगरिब तक रोजे रखने के बाद दोनो बच्चे काफी खुश है, हालांकि इस्लामी नजरिये से अभी इतने छोटे बच्चों पर रोजा फर्ज नहीं है मगर बच्चो की जिद के आगे परिजन मजबूरी में इन्हें रोजा रखने देते हैं। रशदान की माँ ग़ज़ाला भी अपने बेटे के जज़्बे को देखकर खुश है। इस खुशी मे दोनो बच्चो के नाना नानी नसीराबाद निवासी महमूद अहमद और शकीला ने अपने मोहल्ले मे मासूम बच्चो को खाना खिलाया और इफ्तारी बाँटी। अशर और रशदान दोनो एयर फोर्स स्कुल की चौथी क्लास मे पढ़ रहे है।
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