गिरफ्तारी-रिमांड के खिलाफ केजरीवाल की अर्जी हाईकोर्ट से खारिज: कहा- किसी को विशेष सुविधा नहीं दी जा सकती, भले ही वह मुख्यमंत्री क्यों ना हो

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी-रिमांड को सही ठहराया। सीएम की अर्जी को खारिज कर दिया। केजरीवाल ने 23 मार्च को गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका इस बात का फैसला करने के लिए है कि गिरफ्तारी अवैध है या नहीं। यह याचिका जमानत देने के लिए नहीं है।

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा को राघव मुंगटा और शरथ रेड्डी के बयान PMLA के तहत रिकॉर्ड किए गए हैं। EDने केजरीवाल के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए हैं कि वो साजिश में शामिल थे और पूरी तरह इन्वॉल्व थे। ईडी ने खुलासा किया कि केजरीवाल आम आदमी पार्टी के संयोजक के तौर पर भी इस मामले में शामिल थे। सरकारी गवाहों के बयान किस तरह रिकॉर्ड किए, इस बात पर शक करना कोर्ट और जज पर कलंक लगाने जैसा है।

इस पर 3 अप्रैल को सुनवाई हुई। तब कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शराब नीति केस में दिल्ली सीएम को 21 मार्च को ED ने अरेस्ट किया था। ED ने 22 मार्च को केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने दिल्ली सीएम को 28 मार्च तक ED रिमांड पर भेजा, जिसे बाद में 1 अप्रैल तक बढ़ाया गया।

1 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया।​​​​​​ वह पिछले 9 दिनों से तिहाड़ जेल में बंद हैं।

कोर्ट रूम LIVE

  • कोर्ट ने कहा- ये 100 साल पुराना कानून है, ना कि एक साल पुराना कि याचिकाकर्ता को फंसाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया गया है।
  • यह हम नहीं देखेंगे कि किसने किसको चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया और किसने किसको इलेक्टोरल बॉन्ड दिया।
  • यह दावा कि केजरीवाल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की जा सकती है, इसे खारिज किया जाता है। ये आरोपी तय नहीं करेगा कि जांच किस तरह की जाए।
  • जांच आरोपी की सुविधा के मुताबिक नहीं की जा सकती है।
  • केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाने का मसला है। हम मानते हैं कि गिरफ्तारी और रिमांड की जांच कानून के हिसाब से होगी ना कि चुनाव की टाइमिंग को देखकर।
  • किसी भी आदमी के लिए भले ही वो मुख्यमंत्री क्यों ना हो, विशेष सुविधा नहीं दी जा सकती।
  • केजरीवाल चुनाव की तारीखों से पक्के तौर वाकिफ होंगे। उन्हें पता होगा कि इलेक्शन कब होने हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी का वक्त ED ने तय किया है।
  • जज कानून से बंधे हैं ना कि राजनीति। फैसले कानूनी सिद्धांतों पर दिए राजनीतिक सुझावों पर। कोर्ट राजनीति की दुनिया में दखल नहीं दे सकती।

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