यूनाइटेड किंगडम की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा।
ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने कहा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।
यूके की फार्मा कंपनी की इस वैक्सीन का फॉर्मूला इस्तेमाल कर पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में कोवीशील्ड वैक्सीन बनाई थी। भारत में कोवीशील्ड की 175 करोड़ डोज अब तक लगाई जा चुकी हैं।
10 लाख में 13 को साइड इफेक्ट, जानलेवा खतरा सिर्फ एक को
रांची रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ. विकास कुमार ने बताया कि अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेमेटोलॉजी के पब्लिकेशन के मुताबिक, वैक्सीन से साइड इफेक्ट का खतरा 10 लाख लोगों में से 13-15 लोगों को ही होता है। इनमें भी 90% ठीक हो जाते हैं। इसमें मौत की आशंका सिर्फ 0.00013% को ही है। यानी 10 लाख में 13 को साइड इफेक्ट है, तो इनमें से जानलेवा रिस्क सिर्फ एक को होगा।
कोरोना वैक्सीन ने तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा दी
एम्स दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. संजय राय का कहना है कि महामारी के दायरे में आने वाली प्रति दस लाख आबादी में से 15 हजार पर जान का खतरा था। ऐसे में इस आबादी को वैक्सीन देकर महामारी की घातकता 80 से 90% तक घटाई गई। ऐसे में दुष्प्रभाव के मुकाबले लाभ अधिक थे।
अच्छी बात है कि दुष्प्रभाव का खतरा समय के साथ कम होता जाता है। कुछ मामलों में साइड इफेक्ट चिंता की बात नहीं है, क्योंकि यह बहुत दुर्लभ मामलों में हो सकता है। भारत में कोविड वैक्सीन के कारण जान जाने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
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