लखनऊ: उत्तर प्रदेश की गाड़ियों में गोरखधंधा कोई नई बात नहीं है. कभी सत्ताधारी दल के विधायक फर्जी चेसिस वाली गाड़ी चलाते देखे जाते हैं, तो कभी एक ही नंबर की गाड़ी एक ही समय पर अलग-अलग दिखाई देती है. कई बार तो ऐसी गाड़ियां भी सड़कों पर फर्राटा भरती हैं, जो सड़क दुर्घटना में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं.
ईटीवी की पड़ताल में एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है. एक ट्रक (ट्रेलर) सड़क हादसे में जलकर पूरी तरह से खाक हो जाता है, लेकिन कुछ घंटे बाद ही उसी नंबर का एक ट्रक झांसी से मौरंग लेकर गंतव्य की ओर निकल जाता है. स्वाभाविक है कि एक ही नंबर पर दो गाड़ियां दौड़ रही हैं. जो परिवहन तंत्र को चुनौती दे रही हैं.
27 जनवरी 2024 को शिव सिंह निवासी हरदोई द्वारा औरैया पुलिस को दिए गए प्रार्थना पत्र के अनुसार एक ट्रक UP 30 BT 5677 (ट्रेलर 18 चक्का) उरई से कन्नौज की तरफ जाते समय सुबह पांच बजे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर पहले से ही दुर्घटनाग्रस्त हुई गाड़ियों से टकरा गया. हादसा घने कोहरे के कारण हुआ था.
इसके बाद शॉर्ट सर्किट के कारण वाहन में आग लग गई और वह पूरी तरह से जलकर राख हो गया. वाहन स्वामी शिव सिंह ने पुलिस को बताया कि वाहन 27 जनवरी 24 को उरई से स्नोर की तरफ जा रहा था. गाड़ी स्वामी ने पुलिस में केस दर्ज कराने के बाद बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति के लिए दावा भी कर दिया.
गाड़ी का सर्वे मिला वरिष्ठ सर्वेयर विपिन शुक्ला को. जब वह मौके पर पहुंचे और प्रकरण की गहन पड़ताल की, तो उन्हें कई बातें खटकने वाली दिखाई दीं. जैसे गाड़ी पूरी तरह से जलकर खाक हो चुकी थी, इसलिए उसकी नंबर प्लेट बचने की भी उम्मीद नहीं थी.
हालांकि, गाड़ी मालिक जली हुई गाड़ी की हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लेकर आए और गाड़ी के साथ उसका फोटो कराया. चौंकाने वाली बात यह थी कि नंबर प्लेट में होल तक नहीं किए गए थे. यानी यह नंबर प्लेट बनी तो रखी थी, पर उसका उपयोग नहीं हो रहा था.
अब सवाल उठता है कि आखिर इस हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का उपयोग पहले से क्यों नहीं किया जा रहा था? चूंकि उपरोक्त ट्रक मौरंग ढुलाई का काम करता था, इसलिए जब खनन विभाग की वेबसाइट से गाड़ी का और ब्योरा पता करने की कोशिश की गई, तो कुछ और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
27 जनवरी 2024 की दोपहर 02:48 बजे उपरोक्त जली हुई गाड़ी (UP 30 BT 5677) के नंबर से ही एक और ट्रक झांसी के गठौरा से हरदोई के लिए मौरंग लेकर निकलता है, जिसका फॉर्म-सी भूतत्व एवं खनिजकर्म निदेशालय की वेबसाइट पर आसानी से देख सकता है.
गाड़ी आज भी पूरी तरह से जली हुई कंडम स्थिति में पड़ी हुई है. वहीं ठीक एक माह बाद यानी 27 फरवरी 2024 को सुबह 10:57 बजे एक ट्रक, जिसका नंबर जली हुई गाड़ी वाला ही है, झांसी के गठौरा से लखीमपुर खीरी के लिए निकलता है.
इसका फार्म EMM-11 भी भूतत्व एवं खनिजकर्म निदेशालय की वेवसाइट पर कोई भी देख सकता है. उपरोक्त उदाहरणों से साफ है कि एक ही नंबर पर एक से अधिक गाड़ियां दौड़ रही हैं. यह कैसे हो रहा है? इसके लिए गाड़ी मालिक जिम्मेदार हैं या फिर और कोई?
एक नंबर पर जो गाड़ियां चल रही हैं, वह चोरी की हैं या फिर टैक्स चोरी के लिए कोई अन्य तंत्र विकसित किया गया है? रॉयल्टी देते वक्त गाड़ियों की वीडियोग्राफी भी जरूर होती होगी, वहां से भी गाड़ियों की पहचान की जा सकती है.
टोल नाकों पर भी गाड़ियों के वीडियो आसानी से हासिल कर जांच कर दोषियों को पकड़ा जा सकता है. अब देखना है कि क्या सरकारी तंत्र इस गोरखधंधे को जगजाहिर करने के लिए बेईमानों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करता है या नहीं?
इस मामले में वरिष्ठ सर्वेयर विपिन कुमार शुक्ला बताते हैं 'बुंदेलखंड एक्सप्रेस पर विगत 27 जनवरी को एक दुर्घटना जिसमें तीन ट्रक जल गए थे, उनमें एक ट्रक के लिए मुझे क्षति का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया था.
मेरे द्वारा खनिज विभाग की वेबसाइट पर माल की रॉयल्टी चेक करने पर पता चला कि इस दुर्घटना के कुछ घंटों बाद ही एक रॉयल्टी खनिज विभाग द्वारा जली हुई गाड़ी UP30BT5677 के लिए जारी की गई. आश्चर्यजनक तथ्य है कि एक सम्पूर्ण जली हुई गाड़ी कुछ घंटों बाद माल लेकर कैसे आ सकती है? इस गाड़ी में HSRP नंबर प्लेट का न लगा होना और भी संदेह पैदा करता है. बीमा कंपनी इसकी जांच भी करवा रही है.'
वहीं अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन), पुष्पसेन सत्यार्थी का कहना 'यह प्रकरण काफी गंभीर है. फर्जी नंबर प्लेट लगाकर ऐसा किया जा रहा होगा. मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी. जिम्मेदारों पर कार्रवाई जरूर होगी.'
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