श्रीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 7 मार्च को श्रीनगर के प्रस्तावित दौरे को लेकर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. वहीं, रैली को लेकर भाजपा ने भी कमर कस ली है और तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. बता दें, अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पीएम मोदी का कश्मीर घाटी का यह पहला दौरा है.
इससे पहले पीएम मोदी ने नवंबर 2015 में रैली को संबोधित किया था, जो जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में अंकित है. शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में 2015 की रैली एक निर्णायक क्षण की गवाह बनी, जब पीएम मोदी ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की जोरदार निंदा की थी. भीड़ को एक स्पष्ट संबोधन में, पीएम मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर अपनी स्थिति बताते हुए एक जोरदार बयान दिया था. उन्होेने कहा था कि मुझे दुनिया में किसी से सलाह या विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है. अटल जी के तीन मंत्र कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत आगे बढ़ने में मददगार होंगे. कश्मीरियत के बिना भारत अधूरा है. हम इन तीन मंत्रों के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं'.
यह साहसिक प्रतिक्रिया मुफ़्ती मोहम्मद सईद की भारत से पाकिस्तान की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाने की अपील के कारण उत्पन्न हुई थी. उसी रैली के दौरान उसी मंच से, सईद ने घोषणा की, 'अगर भारत दुनिया में एक बड़ी शक्ति बनना चाहता है, वह चीन से बड़ा होना चाहता है, तो भारत को अपने छोटे भाई (पाकिस्तान) को अपने साथ लेना होगा'. हम चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया जाए'.
रैली को कवर करने वाले पत्रकारों को आज भी उस रैली की यादें तरोताजा हैं. उन्हें स्पष्ट रूप से मंच पर उत्पन्न हुई वो अजीब स्थिति आज तक याद है, जब मोदी ने सार्वजनिक रूप से सईद को झिड़क दिया था, जो अपने चेहरे पर हाथ रखकर बैठे थे. मोदी के भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के ठीक 530 दिन बाद सामने आई यह घटना राजनीतिक तनाव और शर्मिंदगी का क्षण बन गई.
जिस पत्रकार ने इस कार्यक्रम को कवर किया था, नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि जिस क्षण मोदी ने सईद की ओर देखते हुए ये शब्द कहे, एहसास हुआ कि हमारे पास यही दिन की हेडलाइन है. इसके साथ ही, कई सहयोगी कहानी दर्ज करने के लिए तेजी से चले गए, क्योंकि रैली का सार उस महत्वपूर्ण वक्तव्य में समाहित हो चुका था.
पत्रकार ने कहा, 'मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर के लिए 80,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का ऐलान किया. सरकार ने बुधवार को कश्मीर में विकास से संबंधित कार्य के लिए पैकेज को मंजूरी दी. इसके बावजूद, राजनीतिक नाटक में इजाफा करते हुए, पीडीपी नेतृत्व मोदी द्वारा सईद की अनदेखी की खबर से खुद को प्रभावित महसूस कर रहा था. इस घटना ने रेखांकित किया कि मोदी की परियोजना घोषणाओं के बिना, पीडीपी के पास चेहरा बचाने के लिए सीमित विकल्प होते. दिलचस्प बात यह है कि मोदी 7 जनवरी, 2016 को सईद के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए, जिससे सामने आ रही राजनीतिक कहानी में एक और परत जुड़ गई'.
यह घटना अप्रैल 2019 में फिर से सामने आई, जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कुलगाम जिले में एक रैली के दौरान 2015 के अपमान को फिर से दोहराया. अब्दुल्ला ने कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य पर इस घटना के स्थायी प्रभाव पर जोर देते हुए व्यक्त किया कि कैसे उन्होंने अलग तरह से प्रतिक्रिया दी होगी. 2024 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले, उस ऐतिहासिक अपमान की गूंज हो या अंतर्निहित राजनीतिक गतिशीलता की ही बात क्यों ना हो, श्रीनगर का बख्शी स्टेडियम 7 मार्च को पीएम मोदी की आगामी यात्रा और सार्वजनिक रैली में संचार करने के लिए तैयार है.
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