पति खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे, उन्हें बचाने गई तो मुझे गोली लगी। 5 साल के मासूम बेटे पर भी फायरिंग की, लेकिन वो बच गया। कुर्सी के पीछे छिप गया। मैं वहां से जिंदा लाश बनकर आई हूं, पति को आंख की रोशनी वापस मिले तो लगे में जिंदा हूं... ये दर्द है जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों की फायरिंग में घायल हुई फरहा का। गुरुवार को जयपुर पहुंची फरहा की एसएमएस हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की टीम ने जांच की।
उस दिन को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी। बहुत ही भयानक मंजर था। 18 मई को सुबह करीब 10 बजे श्रीनगर के होटल से घूमने निकले थे। 4 ट्रेवलर्स गाड़ी में परिवार के 50 सदस्यों का ग्रुप पहलगाम में शिंगटन पोस्ट पर ऊपर घूमने गया था। श्रीनगर में डल लेक घूमकर देर शाम वापस लौट रहे थे। रात करीब 9:30 बजे पहलगाम राफ्टिंग पॉइंट ‘दी पॉश कैम्प’ में डिनर के लिए पहुंचे थे।
ट्रेवलर्स से उतरकर सभी कैम्प में एंट्री कर रहे थे। हम सब धीरे-धीरे अंदर जा रहे थे। मेरी 5 साल की बेटी अपने बड़े पापा के साथ अंदर चली गई। मेरा भाई शाहरुख मेरे आगे चल रहा था। सबसे पीछे मेरे पति तबरेज थे। अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। देखा तो बाइक पर आए दो आतंकवादी गोलियां चला रहे थे। कुछ समझ पाते उससे पहले ही पति तबरेज को गोली लगी। उनके बाद मुझे गोली लगी।
मेरा 5 साल का बेटा मेरे साथ था। बेटे पर भी गोली चलाई, लेकिन वो बच गया। गोलियों की आवाज सुनकर वो डर के मारे भाग कर एक कुर्सी के पीछे छिप गया। मैं बेटे को बचाने के लिए दौड़कर उसके पास गई। उसे संभालने के बाद पति को संभाला। पति तबरेज बुरी तरह खून से सने हुए जमीन पर पड़े थे। पति के पास आते ही मुझे एक और गोली मुझे लग गई।
चिल्लाते हुए आए भाई शाहरुख ने हमें संभाला। एक गोली शाहरुख के गले को भी छूते हुए निकली। हम भाई-बहन दर्द से चिल्ला रहे थे। उसके बाद आर्मी हॉस्पिटल में आंख खुली।
'पति का हाल सुनते ही होश उड़ गए'
हॉस्पिटल में होश आते ही घबराकर पति के बारे में पूछा। भाई शाहरुख ने बताया- सभी सुरक्षित हैं। पति तबरेज भी हॉस्पिटल में भर्ती हैं। दोनों को तुरंत लहूलुहान हालत में ट्रेवलर्स से ही हॉस्पिटल लाया गया था। पति तबरेज की एक आंख डैमेज हो गई है, दूसरी भी लगभग खराब स्थिति में है। ये सुनकर मेरे होश उड़ गए। उनकी आंखों का ऑपरेशन किया है।
फरहा ने कहा- मेरे पति तबरेज को दोनों आंखों से कुछ नहीं दिख रहा। नाक की हड्डी टूटने के कारण 5 घंटे की सर्जरी हुई है। मेरे पति भी मेरे साथ जयपुर आते, लेकिन उनको चेन्नई रेफर कर दिया गया है। चेन्नई के हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है। सरकार से रिक्वेट है कि जल्द से जल्द उनको आंख डोनेट करवाई जाए। मैं इधर हॉस्पिटल में परेशान हो रही हूं, वो वहां हॉस्पिटल में परेशान हो रहे हैं।
सरकार ने हमारी बहुत हेल्प की। अपने पेरेंट्स की इस हालत और फायरिंग की दहशत से दोनों बच्चे बहुत डर गए हैं। बेटी के उसी दिन से बुखार है। दोनों बच्चे इतने डर गए कि हमसे मिलने भी नहीं आ रहे। परिवार के बाकी लोग उनकी देखभाल कर रहे हैं। बेटा बहुत रो रहा था। पूछता है-मेरे पापा की आंख को क्या हो गया मम्मा? मैं सिर्फ आई हूं जिंदा लाश बनकर, जब उनकी आंख होगी, तब लगेगा मैं जिंदा हूं।
गोली लगने से घायल तबरेज की आपबीती...
हम सभी खुशी-खुशी होटल से सुबह घूमने निकले थे। शाम करीब 7:30 बजे टूर एजेंट ने कैम्प’में डिनर के बारे में बताया था। होटल में जाने के लिए एक छोटा पुल बना हुआ था। गाड़ी के अंदर से बेटे हैदर ने पुल देख लिया। वह होटल में जाने के लिए ट्रैवल वाले को मना कर रहा था, इसलिए वह गाड़ी से भी नीचे नहीं उतर रहा था। जैसे-तैसे उसे उतारकर ले जाने के कारण ही हम सबसे अंत में रह गए थे।
पुल पार कर होटल के मेन गेट से पहले लॉन में ही पहुंचे थे। मेन गेट पर खड़े होकर बड़ा भाई परवेज इंतजार कर रहा था। बाइक सवार हथियारबंद बदमाशों को आते देखकर परवेज चिल्लाया। हम पर अटैक हुआ है भागो। मैंने पीछे मुड़कर देखा और गोली ने आंख और नाक को डैमेज कर दिया। गोली लगते ही नीचे गिरकर बेहोश हो गया।
भाई ने बताया कि आतंकियों ने बेटे हैदर पर भी फायर किया था। पत्नी फरहा ने हैदर का सिर पकड़ नीचे जमीन पर लेटा दिया था, नहीं तो उसको भी गोली लगती। मुझे प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के बाद आर्मी हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। आर्मी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने बहुत अच्छा ट्रीटमेंट किया।
एक आंख तो खत्म हो गई है। दूसरी डैमेज आंख को बचाने के लिए चेन्नई के शंकरा नेत्रालय में भर्ती करवाया है। सरकार की ओर से यहां भी टीटमेंट फ्री कर दिया गया है। डॉक्टर्स का कहना है- 3-4 दिन एडमिट के दौरान ट्रैक किया जाएगा। उसके बाद आंख का ऑपरेशन किया जाएगा।
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