7 मई का दिन था, वक्त करीब 11 बजे। UP के गाजीपुर में रहने वाले गुप्ता जी के मोबाइल पर अनजान नंबर से फोन आया। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। वे आराम कर रहे थे, इसलिए पत्नी ने फोन उठाया। दूसरी तरफ से कॉलर ने कहा- मैं CBI से बोल रहा हूं। आपके बेटे और उसके 4 दोस्त गैंगरेप में पकड़े गए हैं। तभी पीछे से आवाज आई- ‘मम्मी इन्होंने मुझे रेप केस में फंसा दिया है। मम्मी मुझे बचा लो…’
पत्नी ने घबराकर गुप्ता जी को फोन दे दिया। कॉलर ने उनसे कहा- अगर आप चाहते हैं कि बेटा केस में न फंसे, तो फोन नहीं काटना। हमें पता है आपके बेटे ने कुछ नहीं किया है। फिर भी उसे छोड़ने के लिए अधिकारी 1 करोड़ रुपए मांगेंगे। आप अभी 1 लाख रुपए ट्रांसफर कर दो, बच्चे को कुछ नहीं होगा। अगर देर की, तो फिर उसे कोई नहीं बचा पाएगा।
गुप्ता जी का बेटा किसी केस में नहीं फंसा था। जिस वक्त फोन आया, वो ग्रेटर नोएडा में कॉलेज का एग्जाम दे रहा था। CBI अफसर बनकर फोन करने वाले साइबर क्रिमिनल थे। वे गुप्ता जी से पैसे ऐंठना चाहते थे, लेकिन सही वक्त पर बेटे का फोन आ गया। गुप्ता परिवार अपनी पहचान नहीं बताना चाहता, इसलिए वे कौन हैं, क्या करते हैं और कहां रहते हैं, हम ये नहीं बता रहे हैं
गुप्ता जी तो फंसने से बच गए, लेकिन साइबर क्रिमिनल इस साल जनवरी से अप्रैल तक 4600 लोगों से 120 करोड़ रुपए ठग चुके हैं। ठगी के इस तरीके को डिजिटल हाउस अरेस्ट कहा जाता है। इसमें अपराधी पीड़ित को उसके घर में कैद करके पूरा पैसा अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लेते हैं।
अब जानिए, गुप्ता जी साइबर क्रिमिनल्स के चंगुल में फंसने से कैसे बच गए
गुप्ता जी बताते हैं, ‘कॉलर कह रहा था कि अभी केस हमारे हाथ में है। जल्दी कीजिए, जितना पैसा है, तुरंत भेजिए। किसी को बताया तो बेटे की जान को खतरा है। यहां काफी लोग हैं। बेटे को फोन करने की गलती मत करना। वो फंसा हुआ है। मीडिया और लोगों ने उसे घेर रखा है।’
‘कॉलर हमारा नाम और पता जानता था। इसलिए उसकी बातों पर भरोसा हो गया। तभी फिर से चीखने की आवाज आई- ‘मुझे बचा लो। ये जो कह रहे हैं, कर दो।’ आवाज बिल्कुल मेरे बेटे जैसी थी।’
‘हम लोग डर गए थे। दिमाग काम नहीं कर रहा था। तुरंत पास के दुकानदारों के यहां गए। उनसे कहा कि एक नंबर पर पैसे ट्रांसफर करना है। इसी दौरान मेरी बेटी को शक हुआ। उसने अपने भाई को फोन किया, लेकिन फोन बंद था। कुछ देर बाद बेटे का कॉल आ गया। वो बोला- मेरा एग्जाम चल रहा था, इसलिए फोन बंद था। अभी ऑन किया है। बेटे से बात होते ही समझ आ गया कि हम साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंसने वाले थे।’
एक्सपर्ट ने बताया, ये सब होता कैसे है
कॉलेज से स्टूडेंट्स का डेटा लीक, क्रिमिनल्स को डार्कवेब पर आसानी से मिल रहा
साइबर एक्सपर्ट डॉ. रक्षित टंडन बताते हैं, ‘कई कॉलेज और स्कूलों के स्टूडेंट्स का डेटा साइबर क्रिमिनल तक पहुंच गया है। डार्कवेब से ये डेटा आसानी से मिल जाता है। इसमें स्टूडेंट का नाम, उनके माता-पिता के नाम, पता और फोन नंबर की डिटेल होती है।
साइबर क्रिमिनल इसे ही ठगी का टूल बना रहे हैं। वे बड़े कॉलेजों में पढ़ रहे स्टूडेंट के परिवारों को टारगेट बनाते हैं। हालांकि, डिजिटल अरेस्ट का सिर्फ यही एक तरीका नहीं है।
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