रूस-यूक्रेन जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ उसके हथियारों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों ने शुक्रवार (31 मई) को बताया कि इसमें यूक्रेन अमेरिकी ATACMS मिसाइल का इस्तेमाल खार्किव को रूसी सेना से बचाने के लिए कर सकता है। इसकी रेंज 300 किलोमीटर है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन इन हथियारों से रूसी सेना पर सीधा हमला कर सकता है। हालाकि, इनका इस्तेमाल रूसी सीमा के अंदर नहीं होना चाहिए। रूस ने 10 मई से खार्किव में हमले तेज कर दिए थे। इसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका और पश्चिमी देशों से उनके दिए गए हथियारों को रूस के खिलाफ इस्तेमाल करने की मंजूरी मांगी थी।
अमेरिका ने पहले यूक्रेन को रूस के खिलाफ उसके हथियारों को इस्तेमाल करने से मना कर दिया था। अमेरिका को डर था कि अगर उसके हथियारों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ हुआ, तो रूस इसे सीधे अमेरिका का हमला मानेगा।
'यूक्रेन पर पहले भी हथियारों के इस्तेमाल पर कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं था'
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि पहले भी यूक्रेन के अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल पर कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं था। हालांकि, इस बात का डर था कि अगर ये रूस के खिलाफ इस्तेमाल हुए तो पुतिन सख्त कदम उठा सकते हैं। वहीं, हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था हमारी विदेश नीति समय के साथ बदलती या परिवर्तित होती जाती है।
यह फैसला तब लिया गया है जब दो दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को हथियार देने वाले देशों को चेतावनी दी थी। पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन जिस देश से मिले हथियारों से रूस पर हमला करेगा, उस देश को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
पश्चिमी देशों ने भी हथियारों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी
चार दिन पहले कुछ पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल करने को कहा था। सबसे पहले लातविया के राष्ट्रपति एडगर्स रिंकेविक्स ने इसकी इजाजत दी थी। इसके बाद ब्रिटेन और स्वीडन ने भी यही किया। इसके अलावा कुछ दिन पहले ब्रिटेन ने यूक्रेन को लंबी दूरी की स्टॉर्म शैडो मिसाइल भेजी थी। ये मिसाइल रूस के अंदर 250 किलोमीटर तक जा सकती है। इतना ही नहीं स्वीडन ने यूक्रेन को सेल्फ एक्टिव तोपों की टेक्नोलॉजी भी भेजी है।
मैक्रों के बयान पर भड़के थे पुतिन
इससे पहले पिछले महीने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि पश्चिमी देश यूक्रेन में सेना भेज सकते हैं। रूस की तरफ से इस पर भी कड़ी आपत्ति जताई गई थी। रूस की ओर से कहा गया था कि ऐसी किसी कोशिश के गंभीर परिणाम होंगे। हालांकि, मैक्रों के बयान को जर्मनी समेत कई पश्चिमी देशों ने खारिज कर दिया था। इसके बाद पुतिन ने सीधे तौर पर न्यूक्लियर जंग के लिए तैयार रहने की धमकी दी थी।
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