​​​​​​​बिभव कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा: केजरीवाल के PA ने गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (31 मई को) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के PA बिभव कुमार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बिभव ने बुधवार (29 मई) को याचिका लगाकर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए मुआवजे और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की मांग की थी।

जस्टिस शर्मा ने इस मामले में दिल्ली पुलिस और बिभव कुमार के वकीलों की दलीलें सुनीं। बिभव की याचिका पर पहले जस्टिस नवीन चावला की बेंच सुनवाई करने वाली थी। हालांकि, जस्टिस चावला ने मामले को जस्टिस शर्मा की बेंच को ट्रांसफर कर दिया।

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील संजय जैन ने सुनवाई के दौरान बिभव की याचिका पर आपत्ति जताई और कहा कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। बिभव के वकील एन हरिहरन ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी मेमो और गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया है। यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा है, जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 27 मई को बिभव की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अगले दिन यानी 28 मई को बिभव को कोर्ट ने 3 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा था। बिभव पर AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से CM हाउस में मारपीट का आरोप है। उन्हें 18 मई को CM हाउस से गिरफ्तार किया गया था।

जनहित याचिका दायर करने वाले एक वकील को HC की फटकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (31 मई) को स्वाति मालीवाल मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील संसारपाल सिंह को फटकार लगाई। याचिकाकर्ता ने मारपीट मामले में मीडिया को रिपोर्टिंग करने से रोकने की मांग की गई थी।

इस पर कोर्ट ने कहा कि जब पीड़ित (मालीवाल) खुद सामने आकर केस को लेकर बात रही हैं, तो याचिकाकर्ता को क्या दिक्कत है। आप कौन होते हैं कुछ कहने वाले। पीड़ित शिकायत नहीं कर रही हैं, लेकिन आप शिकायत कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि याचिका केवल पब्लिसिटी के दायर लिए गई है।

ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान रो पड़ी थीं स्वाति

बिभव कुमार ने 25 मई को ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई थी, जिस पर 27 मई को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान स्वाति भी कोर्ट में मौजूद थीं। बिभव के वकील हरिहरन ने सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि जब सेंसिटिव बॉडी पार्ट्स पर चोट के निशान नहीं मिले तो गैर इरादतन हत्या की कोशिश का सवाल ही नहीं है। न ही बिभव का स्वाति को निर्वस्त्र करने का कोई इरादा था। ये चोटें खुद को पहुंचाई जा सकती हैं।

बिभव के वकील ने यह भी कहा कि पुराने जमाने में ऐसे आरोप कौरवों पर लगे थे, जिन्होंने द्रौपदी का चीरहरण किया था। स्वाति ने यह FIR पूरी प्लानिंग करके 3 दिन बाद दर्ज कराई है। ये दलीलें सुनकर स्वाति कोर्ट रूम में ही रो पड़ीं।

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