स्वाति मालीवाल केस: बिभव कुमार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित - SWATI MALIWAL ASSAULT CASE

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपी बिभव कुमार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई योग्य है कि नहीं इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. हाईकोर्ट पहले तय करेगा कि विभव की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं. आज ये याचिका जस्टिस नवीन चावला की बेंच के समक्ष लिस्ट हुई थी. याचिका को दूसरी बेंच के पास भेजते हुए कहा कि यह मामला एमपी-एमएलए की बेंच सुनवाई करेगी.

जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता एक सांसद हैं. ऐसे में आप एमपी-एलए कोर्ट के पास जाएं. सुनवाई के दौरान विभव के वकील एन हरिहरन ने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी को यह देखना चाहिए था कि उसमें गिरफ्तारी की जरूरत है या नहीं, उसके बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अर्नेश कुमार के फैसले के आधार पर गिरफ्तारी को चुनौती दी जा सकती है। बिभव के वकील ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी के आधार और वजह आरोपी को नहीं बताया गया. गिरफ्तारी के आधार को लिखित में दर्ज करना है. अपराध प्रक्रिया की धारा 41ए के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है.

बिभव कुमार ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए मुआवजे की मांग की है. इससे पहले 28 मई को तीस हजारी कोर्ट ने बिभव कुमार को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. 27 मई को कोर्ट ने बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल ने कोर्ट में कहा था कि एक बहुत बड़ा यूट्यूबर है जो पहले आम आदमी पार्टी का वॉलंटियर था उसने एकतरफा वीडियो बनाया. उसके बाद मुझे लगातार जान से मारने की धमकी मिलने लगी.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि पीड़ित महिला की छवि बहुत अच्छी है. उस अकेली महिला को आरोपी द्वारा मारा जा रहा है. उसे छाती और गर्दन पर मारा गया, उसे घसीटा गया, उसका सिर सेंटर टेबल से टकरा गया। यह सवाल नहीं है कि क्या इससे उसकी मौत नहीं हो सकती. विभव की तरफ से वकील हरिहरन ने कहा कि जो भी सीसीटीवी का डीवीआर था वो पुलिस ने अपने कब्जे मे ले लिया किसी भी सबूत से छेड़छाड़ नहीं हुई है.

दिल्ली पुलिस ने 18 मई को बिभव कुमार को गिरफ्तार किया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि एफआईआर में स्वाति ने खुद साफ किया कि उसने पुलिस को अप्रोच करने में देरी क्यों की. वो इस घटना के बाद ट्रॉमा में थी इस वजह से देरी हुई. जबकि बिभव के वकील ने कहा था कि सीसीटीवी फुटेज में कहीं भी स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की पुष्टि नहीं होती है. उन्होनें कहा था कि अगर पुलिस को शिकायत देने में भी तीन दिन लग रहे है तो यह साफ है कि इस दौरान स्वाति साजिश रच रही थी. बता दें कि इस मामले में स्वाति मालीवाल ने 17 मई को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था। घटना 13 मई की है. दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की थी.

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