नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए विपक्षी दलों पर जोरदार निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि '4 जून को चुनाव के नतीजे आ रहे थे, मैं अपने कुछ काम में व्यस्त था. बाद में मुझे फोन आने लगे. मैंने किसी को पूछा कि आंकड़े तो ठीक हैं. मुझे ये बताओ कि ईवीएम जिंदा है या मर गया. 4 जून के पहले ये लोग (इंडी गठबंधन) ईवीएम को लगातार गाली दे रहे थे और ये लोग तय करके बैठे थे कि भारत के लोकतंत्र की प्रक्रिया के प्रति लोगों का विश्वास ही उठ जाए. मुझे तो लगता था कि इस बार ये लोग ईवीएम की अर्थी जुलूस निकालेंगे, लेकिन 4 जून की शाम आते-आते उनके मुंह पर ताले लग गए, ईवीएम ने उनको चुप कर दिया. ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है. ये भारत की निष्पक्षता की ताकत है. मैं आशा करता हूं कि अगले 5 साल ईवीएम नहीं सुनाई देगा.'
पीएम मोदी ने कहा कि 'मैंने चुनाव के समय पहली बार देखा है, शायद हर तीसरे दिन चुनाव आयोग के काम में रुकावट आए. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए गए. इस काम में एक ही टोली थी. सुप्रीम कोर्ट का उपयोग करते हुए कैसे रुकावट डाले, इसका निरंतर प्रयास करते रहे और चुनाव आयोग की ताकत का एक बड़ा हिस्सा अदालतों में वो चुनाव के पीक आवर्स में यानी कितनी निराशा लेकर के यह लोग मैदान में आए थे कि उन्होंने पूरा हमला उस इंस्टीट्यूट पर लगा दो, ताकि चुनाव का कोई भी परिणाम आए ताकि हम भारत को भी दुनिया के सामने बदनाम कर लें. इस षड्यंत्र का हिस्सा था. लेकिन, देश इन लोगों को कभी भी माफ नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि 'इंडी गठबंधन वाले ईवीएम का विरोध करते हैं, मैं इसे सिर्फ चुनाव के रूप में नहीं देखता हूं. मैं मानता हूं ये लोग मन से पिछली शताब्दी की सोच वाले लोग हैं. वह टेक्नोलॉजी को महत्व नहीं देते हैं और न इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ ईवीएम में ही नहीं दिखाई दिया है, यूपीआई में दिखा. हमने कहा कि हिंदुस्तान के लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन करेंगे. फिनटेक की दुनिया में आज हिंदुस्तान का नाम हो गया. ये मानने को तैयार नहीं हैं. आधार आज देश की एक पहचान बना है. कई देश कहते हैं कि हमें भी आधार की पद्धति से आगे बढ़ना है, आप कैसे मदद कर सकते हैं. उस आधार को लेकर बार-बार सुप्रीम कोर्ट में जाकर परेशानी पैदा की. इंडी गठबंधन के लोग प्रगति, आधुनिकता, टेकनोलॉजी के विरोधी हैं.
'हम मदर ऑफ डेमोक्रेसी हैं' : उन्होंने जिक्र किया कि 'मैं दुनिया में ढोल पीट रहा हूं कि हम मदर ऑफ डेमोक्रेसी हैं और ये दुनिया में जाकर बता रहे हैं कि डेमोक्रेसी नहीं है, मोदी आकर बैठ गए हैं, एक चाय वाला यहां पर कैसे पहुंच गया. कुछ तो गड़बड़ की होगी. इनका चुनाव प्रक्रिया के प्रति भारत के लोगों पर अविश्वास पैदा करने का षड्यंत्र है. मैं मानता हूं कि अब दुनिया भी भारत के लोकतंत्र की विविधता, विशालता, व्यापकता और गहनता सबको जानने और समझने के लिए आकर्षित होगी. ऐसे में इस बार के चुनाव के नतीजे देख रहा हूं.
उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद दो दिनों तक कुछ लोगों ने ऐसा माहौल बनाया कि हम लोग हार गए. लेकिन, देशवासी जानते हैं कि हम ना तो हारे थे, ना ही हारे हैं. हमारे संस्कार ऐसे हैं कि विजय से उन्माद पैदा नहीं होता और हम पराजय का उपहास भी नहीं करते हैं.
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