भाजपा ने जिस राम मंदिर और एक्सप्रेस-वे की देशभर में सियासी ब्रांडिंग की, वहां की ज्यादातर सीटें हार गई। मंदिर और एक्सप्रेस-वे के रूट में 17 लोकसभा सीटें आती हैं, इनमें भाजपा 14 सीटें हार गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां 13 सीटें जीती थीं, 2024 में सिर्फ 3 सीटें जीत सकी, मतलब 10 सीटें गंवा दीं।
इन सीटों में फैजाबाद (अयोध्या) की सीट भी शामिल है, जहां राम मंदिर है। यहां मिली हार ने पूरे देश को चौंका दिया।
अयोध्या का राम मंदिर फैजाबाद सीट में आता है। इसके आसपास 8 लोकसभा सीट आती हैं। यानी कुल 9 सीटें हैं। इनमें 4 सीटें फैजाबाद, बस्ती, अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर सपा ने जीत लीं। 3 सीटें रायबरेली, अमेठी और बाराबंकी कांग्रेस ने जीतीं।
भाजपा को केवल 2 सीट गोंडा और कैसरगंज मिली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 7 सीटें फैजाबाद, बाराबंकी, गोंडा, बस्ती, कैसरगंज, अमेठी और सुल्तानपुर जीती थीं। अंबेडकरनगर बसपा और रायबरेली कांग्रेस के पाले में गई थी। एक्सपर्ट कहते हैं- इन सीटों पर मौजूदा सांसदों के खिलाफ नाराजगी थी। साथ ही जातिगत समीकरण ऐसे बने कि हार का सामना करना पड़ा।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की बात करें तो लखनऊ से गाजीपुर के बीच कुल 9 लोकसभा सीटें आती हैं। इस बार भाजपा यहां केवल 1 सीट जीत सकी है। 2019 में पार्टी ने यहां की 6 सीटें जीती थी। इस बार
समाजवादी पार्टी ने 6 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती। सिर्फ लखनऊ सीट भाजपा बचाने में कामयाब रही। यहां भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के जीतने का मार्जिन 2019 की तुलना में 20% तक कम हो गया। एक्सपर्ट कहते हैं- इन सीटों में आजमगढ़ और गाजीपुर को छोड़कर बाकी सीटों पर पार्टी ने ज्यादा मेहनत नहीं की। मौजूदा सांसदों को लेकर एंटी इनकम्बेंसी भी हार की वजह बनी।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 7 जिलों की 4 लोकसभा सीटों से होकर गुजरता है। 2019 में इटावा, जालौन, हमीरपुर और बांदा पर भाजपा का कब्जा था, लेकिन 2024 में इन सभी 4 सीटों पर सपा को जीत मिली। ये वही लोकसभा सीटें हैं, जहां इस बार चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने एक्सप्रेस-वे और डेवलपमेंट की खूब चर्चा की। एक्सपर्ट के मुताबिक- मौजूदा सांसदों से नाराजगी का फैक्टर हावी होने से भाजपा नुकसान में रही।
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