मूसेवाला को हो गया था मौत का आभास गाने के जरिए जताई थी आशंका; पिता से कहा था- आपको अभी बहुत कुछ देखना है

29 मई 2022, सिद्धू मूसेवाला अपनी ब्लैक कलर की थार से निकले ही थे, तभी गोल्डी बराड़ के गुर्गों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। इसी के साथ एक जगमगाता सितारा इस दुनिया से हमेशा-हमेशा के लिए चला गया। सिद्धू ने अपने छोटे से करियर में ऐसे हिट गाने दिए, जो आज भी लोगों की जुबान पर हैं। अगर वो जिंदा होते तो आज अपना 32वां जन्मदिन मना रहे होते।

सिद्धू ने 2021 में कांग्रेस पार्टी जॉइन किया था। इस पर उनका कहना था कि सिस्टम को बदलने के लिए सिस्टम का हिस्सा बनना पड़ता है। उन्होंने पावर के लिए पॉलिटिक्स जॉइन की थी। सिद्धू मूसेवाला के पिता ने हाल ही में राहुल गांधी के साथ बातचीत की। उन्होंने बताया कि सिद्धू मुझसे हमेशा कहा करता था कि अभी आपको बहुत कुछ देखना है। वो जानता था कि ये लोग उसे नहीं छोड़ेंगे।

सिद्धू मूसेवाला 3 दिसंबर 2021 को कांग्रेस में शामिल हुए थे। सिद्धू से पहले भी उनका परिवार कांग्रेस से जुड़ा रहा था। हालांकि, सिद्धू को आम आदमी पार्टी ने भी अप्रोच किया था।

सिद्धू के गाने हमेशा ही युवाओं के दिलों पर राज करते रहे हैं। उनके गाने के बोल हमेशा सिस्टम बदलने की बात करते हैं। इस पर सिद्धू का कहना था- मेरे गाने युवाओं को अट्रैक्ट करते हैं। इसकी वजह ये है कि मैं हमेशा से बहुत बेबाक रहा हूं। मेरे गानों में या मेरी बातों में किसी तरह का फिल्टर नहीं होता है। मैं अपने गानों के जरिए अपने मन की बात कहता हूं। शायद वही लोगों को पसंद आता है।

गन कल्चर को बढ़ावा देने में कुछ गलत नहीं है
सिद्धू कहते थे कि गन कल्चर को प्रमोट करने में कोई खराबी नहीं है। बशर्ते हमें ये पता होना चाहिए कि इसके नुकसान क्या हैं? इसके फायदे क्या हैं? इसका उपयोग किस तरह से करना सही है।

अगर गन इतनी ही बुरी है तो सरकार लाइसेंस क्यों देती है। हमारे धर्म में इसे हमारे शरीर का हिस्सा माना जाता है। आर्मी को हथियार दिए गए हैं, अगर वो हथियार वो आम लोगों पर इस्तेमाल करे, तो वो गलत है, क्योंकि उन्हें हथियार हमारी सेफ्टी के लिए दी गई है। गन को रखने की केवल एक ही वजह है ‘पर्सनल सेफ्टी।’

सिद्धू चाहते थे कि लोग उनसे इस बारे में सवाल करें, ताकि वो अपनी बातें लोगों के सामने रख सकें। सिद्धू को पंजाब की सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये लगती थी कि उनके पास कोई लीडर नहीं है जो उनमें से हो। उनका कहना था- लीडर बनने के बाद सभी लोग खुद को आम लोगों से अलग मानने लगते हैं। हमें ऐसा लीडर चाहिए जो आम लोगों से जुड़ा रहे। उनमें से हो और उनकी जरूरतों को समझ सके। सिद्धू ने ये बातें न्यूज 18 के साथ बात करते हुए बोली थीं।

पिता बलकौर सिंह ने कहा- सिद्धू जानता था कि वो लोग उसे नहीं छोड़ेंगे
सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि सिद्धू को पहले से कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा था कि उसके साथ कुछ बड़ा होने वाला है। बलकौर सिंह ने कहा- सिद्धू में गायकी का कीड़ा बचपन से था। जब वो स्कूल में था तभी से गाने गाया करता था। मुझे पता था कि वो गाना गाता है, लेकिन वो मेरे सामने कभी नहीं गाता था। ऐसे वॉशरूम में और कमरा बंद करके गाता था। मैं और मेरे भाई उससे कहते थे कि हमें भी गाकर सुनाओ, तो सिद्धू कहता था कि नहीं आपके सामने नहीं गाऊंगा।

मैंने पहली बार उसका गाना तब सुना जब वो कॉलेज में परफॉर्म कर रहा था। मैं अपना चेहरा कवर करके छुपकर सिद्धू का गाना सुनने गया था। शुरुआत में वो मुझे पहचान नहीं पाया, लेकिन कुछ देर बाद उसने मुझे देख लिया था। मैंने पहली बार उसे परफार्म करते हुए देखा था, वो पूरे स्टेज पर घूम-घूमकर गाना गा रहा था। मुझे बहुत ज्यादा खुशी हुई थी।

उसके प्रोफेसर्स ने मुझसे कहा था, ‘सर आप इसे रोकना मत। ये बहुत आगे जाएगा।’ उस दिन से मैंने ये बात सोच ली थी कि मैं सिद्धू को रोकूंगा नहीं। वो जो करना चाहेगा उसमें उसका साथ दूंगा। कॉलेज के बाद मैंने उसे कनाडा भेज दिया। जब वो वहां से लौटा तो कुछ और ही बनकर लौटा। सिद्धू ने जिसके भी ऊपर हाथ रखा और गाने में जिनका नाम लिया, उन सबकी किस्मत बन गई।

सिद्धू ने एक मिसाल कायम की है। उसने बताया कि अपने माता-पिता के साथ अटैचमेंट को कैसे गहरा करें। उसके जाने के बाद मुझे ये बात समझ में आ रही है कि वो मुझे बार-बार कहता था कि 'पापा आपको अभी बहुत कुछ देखना है।' वो जानता था कि वो लोग उसे नहीं छोड़ेंगे।

सिद्धू ने पॉलिटिक्स इसलिए जॉइन किया क्योंकि उसे थोड़ी पावर चाहिए थी। उसका सोचना था कि मुझे थोड़ी पावर मिलेगी तो ये लोग मेरा पीछा छोड़ देंगे। ये लोग चाहते थे कि काम करना है तो हमारे नीचे रहकर करो, लेकिन मेरा सिद्धू झुकना नहीं जानता था। इन लोगों ने उसके ऊपर बहुत प्रेशर बनाया। मेरे बेटे की मौत का फरमान पहले ही जारी हो चुका था।

जब आपके सामने आपके बच्चे की मौत हो जाती है, तो आपका कमाया पैसा भी आपकी मौत बन जाता है। उसके जाने के बाद मैं टूट गया था, लेकिन हार न मानकर मैंने अपनी पूरी ताकत इकठ्ठा की। मैं जब तक भी जिंदा हूं अपना फर्ज निभाता रहूंगा। भगवान ने मुझे एक दूसरा सिद्धू दिया है। जो हूबहू पुराने वाले सिद्धू की तरह है।

सिद्धू मूसेवाला का जन्म
सिद्धू मूसेवाला का असली नाम शुभदीप सिंह सिद्धू था। उनका जन्म 11 जून 1993 को पंजाब के मानसा जिले के मूसा गांव में पिता बलकौर सिंह और मां चरण कौर के घर हुआ था। वो एक जाट परिवार से ताल्लुक रखते थे। 2016 में उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया था।

मौत के दिन पहली बार मां से बिना टीका लगवाए निकले थे
सिद्धू की अंतिम अरदास में उनके पिता ने खुलासा किया था कि सिद्धू घर से मां से टीका लगवाए बिना नहीं निकलते थे, लेकिन मौत वाले दिन उनकी मां किसी रिश्तेदार के घर गई थीं। जिस वजह से सिद्धू बिना टीका लगवाए निकल गए थे और फिर ऐसा हो गया।

मानसा के गांव में हुई थी सिद्धू की हत्या
मानसा के गांव मूसा के रहने वाले शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला का 29 मई 2022 को जवाहरके गांव में कत्ल कर दिया गया था। 2 दोस्तों के साथ बिना सिक्योरिटी थार जीप में जाते वक्त पंजाब-हरियाणा के 6 शूटरों ने उन्हें गोलियां मार दी थीं। कत्ल की जिम्मेदारी लॉरेंस गैंग के गोल्डी बराड़ ने ली थी। पुलिस इस मामले में लॉरेंस-गोल्डी समेत 30 से ज्यादा गैंगस्टरों को नामजद कर कईयों के खिलाफ चालान पेश कर चुकी है।

 

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