जगन के पुराने फैसलों पर चंद्रबाबू का फुलस्टॉप आंध्र में ‘3-कैपिटल’ का गेमओवर, 9 रत्न स्कीम की जगह सुपर-6 शुरू होंगी

‘सरकार का आदर्श वाक्य 'स्टेट फर्स्ट' होगा। हमें नहीं पता कि हमारी आर्थिक स्थिति क्या है। हम नहीं जानते कि राज्य पर कितना कर्ज है, कहां से पैसा उधार लिया गया और क्या गिरवी रखा गया। हम 'स्टेट फर्स्ट' के साथ काम करेंगे और सभी के डेवलपमेंट का टारगेट रखेंगे।’

चंद्रबाबू नायडू ने चौथी बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल ली है। नायडू की TDP लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। TDP ने लोकसभा की 25 सीटों में से 16 और विधानसभा की 175 में से 135 सीटें जीती हैं, यानी अब आंध्र की सियासत और डेवलपमेंट की चाबी चंद्रबाबू नायडू के पास लौट आई है।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि CM की कुर्सी संभालते ही चंद्रबाबू नायडू बीते 5 साल से रुके डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और स्कीम्स दोबारा शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा वे पुरानी जगन सरकार के फैसलों पर भी फुलस्टॉप लगा सकते हैं।

आंध्र प्रदेश में बतौर CM चंद्रबाबू की चौथी पारी कितनी असरदार रहेगी? सरकार कौन से बड़े फैसले लेगी? आने वाले समय में नई सरकार आंध्र में क्या बड़े बदलाव करने वाली है? आंध्र के लोगों और एक्सपर्ट से बात करने के बाद ये 4 बातें समझ आईं...

1. 2014 में राज्य के बंटवारे के बाद से ही आंध्र प्रदेश के पास स्थायी राजधानी नहीं है। 2014 से 2019 तक चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने अमरावती को राजधानी बनाया। 2019 में जगन ने CM बनने के बाद राज्य की 3 राजधानियां विशाखापट्टनम, अमरावती और कुरनूल का ऐलान कर दिया।

रियल एस्टेट सेक्टर पर इस फैसले का बुरा असर हुआ। तीन राजधानी होने की जगह से आंध्रप्रदेश का डेवलपमेंट एक दिशा में नहीं हो पाया। चंद्रबाबू के फैसलों की लिस्ट में अमरावती को राजधानी बनाना सबसे ऊपर है।

2. आंध्र में 5 साल से DSC की शिक्षक भर्ती का न होना YSR कांग्रेस के डाउनफॉल की बड़ी वजह बना। सरकारी भर्ती न होने की वजह से युवाओं का वोट जगन सरकार से हटकर NDA गठबंधन के कैंडिडेट्स को मिला। लिहाजा, आंध्र की DSC-TET भर्ती पर सरकार बड़ा फैसला ले सकती है।

3. आंध्र प्रदेश के 5 लाख किसानों की लाइफलाइन कही जाने वाली ‘पोलावरम सिंचाई परियोजना’ को दोबारा शुरू करना चंद्रबाबू के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। 2014 से 2019 तक TDP सरकार में इस प्रोजेक्ट का 72% काम पूरा कर लिया गया था, लेकिन जगन सरकार इसका काम शुरू नहीं करा पाई। चंद्रबाबू की कोशिश रहेगी कि वे केंद्र से मदद लेकर जल्द प्रोजेक्ट का काम शुरू करवा दें।

4. चुनाव से पहले चंद्रबाबू ने जनता से वादा किया था कि सत्ता में आते ही वो राज्य की महिलाओं के लिए सरकारी बसों में ‘0’ टिकट देंगे। वहीं, 70 साल के ऊपर के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज की सुविधा देंगे। लिहाजा, नई सरकार जनता को इन बड़ी घोषणाओं का तोहफा दे सकती है।

नायडू का वादा: अमरावती को खोया सम्मान वापस दिलाएंगे
अमरावती को राजधानी बनाने के लिए आंध्र प्रदेश के 29 गांवों के 3000 से ज्यादा किसानों ने चंद्रबाबू नायडू को अपनी जमीन दी थी। अमरावती की जगह 3 राजधानी बनाए जाने से लोग जगन सरकार के विरोध में आ गए।

2023 में अमरावती के गांवों में 10 हजार से ज्यादा किसानों और महिलाओं ने जगन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने हाथों में तख्तियां लेकर अमरावती को राजधानी बनाने की मांग की। जगन सरकार पर विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं हुआ।

विजयवाड़ा के वन-टाउन में रहने वाले रियल एस्टेट बिल्डर सुरेश जैन कहते हैं, ‘आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां यहां के डेवलपमेंट में सबसे बड़ी रुकावट हैं। 3 कैपिटल रीजन बनने से जिन लोगों ने अमरावती, विशाखापट्टनम और कुरनूल के शहरों में रियल एस्टेट में इन्वेस्ट किया, उन सभी के पैसे फंसे हुए हैं।’

‘सिंगल राजधानी ना होने की वजह से यहां न कोई फैक्ट्री आई और न ही किसी बड़ी कंपनी का इन्वेस्टमेंट मिला।’

सीनियर जर्नलिस्ट सूर्या देसाराजू कहते हैं, ‘सिवाय YSR कांग्रेस के आंध्र प्रदेश की सभी पॉलिटिकल पार्टियां अमरावती को कैपिटल मानती हैं। राजधानी को लेकर जगन के फैसले हमेशा बदलते रहे हैं। वे पहले अमरावती को राजधानी बनाने की बात करते थे। फिर 3 कैपिटल बनाने का फॉर्मूला लेकर आ गए। विधानसभा में बिल पास करवाया, फिर एक्ट बनने के बाद हाईकोर्ट ने उसे रद्द कर दिया।’

शपथ लेने से पहले चंद्रबाबू ने पिछली जगन सरकार के बारे में कहा, ‘आंध्र प्रदेश में अब जनता को बेवकूफ बनाने वाला ‘3-कैपिटल’ नहीं खेला जाएगा। हमारी सरकार अमरावती को ही कैपिटल रीजन के तौर पर डेवलप करेगी। विशाखापट्टनम ने भी हमें जबरदस्त जनाधार दिया, हम उसे स्पेशल कॉमर्शियल सिटी की तरह डेवलप करेंगे।’

पवन कल्याण बोले- DSC-TET हर हाल में लागू करेंगे
NDA अलायंस ने सरकारी भर्ती को लेकर अपने मैनिफेस्टो में वादा किया था कि सरकार सबसे पहले इसे लेकर ही बड़ा फैसला करेगी। नायडू ने CM की शपथ लेने से पहले ही दिल्ली में अपने सांसदों से कहा था कि उनकी प्राथमिकता में 5 साल से रुकी हुई DSC शिक्षक भर्ती को बहाल करना है।

भर्ती जरूरी क्यों…
2018 में आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार थी। जगन विपक्ष में थे। उस वक्त यंग वोटर्स के बीच YSR कांग्रेस ने DSC-TET, यानी डायरेक्ट सिलेक्शन कमीशन भर्ती परीक्षाओं का मुद्दा उठाया।

सरकारी एग्जाम का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स से जगन ने वादा किया कि वो सत्ता में आने पर मेगा भर्ती लाएंगे। इससे आंध्र के 3 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां मिलेंगी। 2019 से लेकर 2024 तक राज्य में DSC-TET शिक्षक भर्ती की एक भी वैकेंसी नहीं आई। 5 साल से रुकी भर्ती भी इस चुनाव में बड़ा मुद्दा रही।

हमने इस मुद्दे पर यहां के स्टूडेंट्स से बात की। 34 साल की शांति ने 2019 में D.El.Ed. परीक्षा पास की थी। तभी से वे शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रही हैं।

शांति कहती हैं, ‘5 साल से आंध्र प्रदेश में गवर्नमेंट टीचर्स का एग्जाम नहीं हुआ। हर साल हजारों टीचर रिटायर होते हैं, उनके पद खाली पड़े हैं, लेकिन कोई वैकेंसी नहीं आती। मेरी बच्ची छठी क्लास में पढ़ती है। बिना नौकरी के मैं उसकी अच्छी परवरिश कैसे कर सकती हूं। ये वक्त मेरे करियर बनाने का है और मैं खाली बैठी हूं।’

सरकार ने वादा किया था कि बड़ी संख्या में भर्तियां करेंगे, लेकिन चुनाव से पहले खानापूर्ति के लिए सिर्फ 6100 पदों पर वैकेंसी निकाली। जगन सरकार में हमारे साथ धोखा हुआ, इससे आंध्र के लाखों बच्चों का कॉन्फिडेंस खत्म हो चुका है।’

APJAC, यानी आंध्र प्रदेश जॉइंट एक्शन कमेटी के मुताबिक, राज्य में DSC भर्ती न आने से परेशान शांति जैसे 90 लाख युवाओं ने इस चुनाव में YSR कांग्रेस के खिलाफ वोट किया था। जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने 9 जून को कमेटी के छात्रों से कहा कि सरकार बनने के बाद राज्य में भर्ती जारी करना हमारी प्राथमिकता रहेगी।’

पोलावरम प्रोजेक्ट की शुरुआत चंद्रबाबू को बनाएगी हीरो
आंध्र प्रदेश के 5 लाख किसानों की लाइफलाइन कही जाने वाली ‘पोलावरम सिंचाई परियोजना’ को दोबारा शुरू करना चुनाव का बड़ा मुद्दा रहा। खुद PM मोदी ने चुनावी रैली में किसानों को इसे दोबारा शुरू करने का भरोसा दिलाया था। 2004 में शुरू हुई पोलावरम परियोजना को 20 साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक इसका काम पूरा नहीं हुआ है।

2014 से 2019 तक चंद्रबाबू नायडू सरकार ने इसका 72% काम पूरा कर लिया था। उसके बाद 5 साल की जगन सरकार ने 2% काम भी आगे नहीं बढ़ाया।

चित्तूर जिले में नरपाला गांव के बाला कृष्ण उन लोगों में से हैं, जिन्होंने पोलावरम प्रोजेक्ट ठप होने से सबसे ज्यादा नुकसान सहा है। बाला पहले गांव में धान की खेती करते थे, लेकिन उनकी आधी से ज्यादा खेती सूखने के कारण बर्बाद हो गई। उन्हें उम्मीद थी कि पोलावरम परियोजना दोबारा शुरू होने से उनके खेत तक पानी आएगा, लेकिन न तो प्रोजेक्ट पूरा हुआ, न ही उनकी उम्मीदें।

बाला कहते हैं, ‘पूरे रायलसीमा क्षेत्र का किसान काम की तलाश में भटक रहा है। सूखे से हमारे खेत तबाह हो गए, जिसकी वजह से हम दूसरा काम करने के लिए मजबूर हैं।’

आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी नीरभ कुमार प्रसाद कहते हैं, ‘राज्य में जो भी बड़े प्रोजेक्ट्स पहले से रुके थे, उन्हें दोबारा शुरू करने के लिए सभी संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी गई है। पोलावरम प्रोजेक्ट की स्टेटस रिपोर्ट और फंड्स से जुड़ी जानकारी वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट से मांगी गई है।’

फिलहाल, केंद्र सरकार ने पोलावरम प्रोजेक्ट पूरा करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 तक रखी है।

जगन की ‘9 रत्न’ की जगह चंद्रबाबू की ‘सुपर-6’
चंद्रबाबू सरकार का सबसे पहला काम जगन की पुरानी स्कीम्स को बंद करना होगा। इसमें YSR कांग्रेस की ‘9 रत्न’ का नाम सबसे पहले आता है। इस योजना की जगह नई सरकार ‘सुपर-6’ स्कीम शुरू करने का प्लान बना रही है। इसमें योजना पुरानी जैसी ही रहेगी, लेकिन आर्थिक मदद बढ़ा दी गई है।

TDP सरकार ने अपनी ‘सुपर-6’ योजना के साथ-साथ राज्य में महिलाओं को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा देने का ऐलान किया है। 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों का फ्री इलाज और राज्य के सभी गृहस्थ को हर साल 3 सिलेंडर मुफ्त में देने की घोषणा की है। आंध्र सरकार का इन योजनाओं को जल्द से जल्द लागू कराना मुख्य एजेंडा रहेगा।

PM ने सैंड-शराब माफिया के मुद्दे पर जगन को घेरा, इस पर भी एक्शन संभव
राजामुंदरी में 6 मई को PM मोदी ने जनसभा में कहा था, ‘साथियों ये लोग (YSR कांग्रेस) शराबबंदी का वादा करके सरकार में आए थे। आज राज्य सरकार ही शराब की डीलिंग और भ्रष्टाचार करने में लगी है।'

'यहां शराब का बड़ा घोटाला हो रहा है और करने वाले कहते हैं कि आंध्र में सरकार शराब और सैंड माफिया ही चला रहे हैं। YSR कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार फुल स्पीड में है, लेकिन विकास कार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है।’

TDP के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कहते हैं, ‘जगन पर आज भी 12 CBI और 6 से ज्यादा ED केस हैं। वो 16 महीने जेल काटकर अभी बेल पर बाहर हैं। इतने करप्शन के केस होने के बावजूद उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद लाखों-करोड़ों का भ्रष्टाचार किया है। सिर्फ शराब में ही 1 लाख करोड़ लूट लिया।’

पोलावरम और अमरावती का मुद्दा जल्द हल करने पर फोकस
आंध्र प्रदेश में दूरदर्शन के सीनियर जर्नलिस्ट पी. आनंद कहते हैं, ‘चंद्रबाबू के CM बनने से राज्य की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। नई सरकार का फोकस अमरावती को राजधानी बनाकर प्रदेश का ओवरऑल डेवलपमेंट रहेगा। इसके अलावा लाखों किसानों के हित को देखते हुए सरकार पोलावरम प्रोजेक्ट दोबारा शुरू कर सकती है।’

आनंद आगे कहते हैं, 'चंद्रबाबू ने शपथ ग्रहण से पहले मीटिंग की थी। इसमें प्रस्तावित भोगापुरम एयरपोर्ट और DSC भर्ती जैसे मुद्दों को उठाया गया।’

आर्थिक मोर्चे पर चंद्रबाबू के लिए चुनौती
पॉलिटिकल एनालिस्ट दिनेश अकूला बताते हैं, ‘जिस तरह चंद्रबाबू ने BJP और जनसेना को साथ लेकर YSR कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा, उनकी खुद की लोकप्रियता और वोट शेयरिंग की वजह से उन्होंने जगन को हराया। जगन की सबसे बड़ी गलती नायडू को जेल में डालना था। दूसरी सबसे बड़ी गलती थी लैंड टाइटलिंग एक्ट, जिसने YSR कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी।’’

‘जीत के बावजूद नायडू के लिए आंध्र की सत्ता संभालना आसान नहीं होगा। सबसे बड़ी चुनौती होगी, राज्य को 13 लाख करोड़ के कर्ज से बाहर निकालना। दूसरी तरफ NDA ने जनता से चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए हैं। इन्हें अब पूरा करने के लिए राज्य सरकार को बड़ा आर्थिक घाटा झेलना पड़ सकता है।"

 

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