डॉ किरोड़ीलाल जल्द दे सकते हैं मंत्री पद से इस्तीफा:सरकारी गाड़ी और ऑफिस जाना छोड़ा; जिन सीटों की जिम्मेदारी मिली, उनमें से 4 हारे थे

कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की तैयारी कर ली है। डॉ किरोड़ी लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सचिवालय, और कृषि भवन के दफ्तर नहीं गए हैं।

सरकारी गाड़ी भी छोड़ दी है। सरकारी कामकाज से भी लगभग दूरी बना ली है। इस्तीफे की घोषणा से पहले डॉ किरोड़ी के ये संकेत काफी कुछ इशारा कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस्तीफा लगभग तैयार है, उसके सीएम को भेजने भर की देरी है। अगले दो से तीन दिन में इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते हैं। फिलहाल डॉ किरोड़ी ने इस मुद्दे पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। पूरे मसले पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है।

किरोड़ी ने कहा था, पीएम ने 7 सीटों की जिम्मेदारी दी, ये हारे तो इस्तीफा

डॉ किरोड़ी ने लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि अगर बीजेपी उम्मीदवार दौसा सीट हारा तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। इसके बाद उन्होंने घोषणा की थी कि पीएम मोदी ने उन्हें 7 सीटों की जिम्मेदारी दी है, इन सीटों पर बीजेपी हारी तो वे मंत्री पद छोड़ देंगे।बीजेपी दौसा सीट हार गई और पूर्वी राजस्थान की करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर और भरतपुर सीट पर भी पार्टी को हार मिली।

रिजल्ट के दिन लिखा- प्राण जाइ पर वचन न जाइ

लोकसभा चुनावों के रिजल्ट से पहले रुझानों में बीजपी को 11 सीटें हारते देख ही मीणा ने दोपहर में ही सोशल मीडिया पोस्ट करके इस्तीफे के संकेत दे दिए थे। उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई— रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाइ पर वचन न जाइ, लिखकर संकेत दिए कि वे अपनी घोषणा से पीछे नहीं हटेंगे।

न मनचाहा पद मिला, ​न भाई को टिकट

किरोड़ीलाल मीणा ने लोकसभा चुनावों के नतीजों से पहले ही इस्तीफा देने की घोषणा के पीछे सियासी कारण हैं। विपक्ष में रहने के दौरान उन्होंने अकेले दम पर गहलोत सरकार के खिलाफ कई मुद्दे उठाए, खुद धरने प्रदर्शन किए। पेपरलीक से लेकर कई घोटाले उजागर कर लगातार गहलोत सरकार को घेरते रहे।जब किरोड़ी को राज्यसभा सासंद रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़वाया तो मा नाजा रहा था कि उन्हें सरकार में कम से कम डिप्टी सीएम या पावरफुल मंत्री बनाया जाएगा। जब सरकार बनी तो उन्हें कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया, इन विभागों के भी टुकड़े करके दिए।

बताया जाता है कि सरकार बनने के बाद से ही वे असहज महसूस कर रहे थे। लोकसभा चुनावों में किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा दौसा से बीजेपी टिकट के दावेदार थे। बीजेपी ने दौासा से जगमोहन मीणा को टिकट नहीं दिया, उनकी जगह कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया। कन्हैयालाल मीणा बड़े अंतर से हारे।

 

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