प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार देर रात G7 समिट के लिए इटली पहुंचे। उनका प्लेन रात 3:30 बजे अपुलिया के ब्रिंडसी एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। यहां प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के PM ऋषि सुनक से मुलाकात की। उन्होंने दोनों नेताओं को गले से लगाया। इसके बाद उनके बीच बैठक हुई।
इसके बाद PM इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की समेत कई वर्ल्ड लीडर्स से मुलाकात करेंगे। तीसरी बार भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद ये नरेंद्र मोदी का पहला विदेश दौरा है।
मोदी ने एक पोस्ट में लिखा कि G7 समिट में हिस्सा लेने के लिए इटली पहुंच गया हूं। विश्व नेताओं के साथ सार्थक चर्चा में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं। साथ मिलकर, हमारा लक्ष्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना और उज्ज्वल भविष्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
उन्होंने समिट के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि उन्हें इस बात की खुशी है कि वो पहले विदेश दौरे पर इटली जा रहे हैं। G7 देशों की बैठक में पहली बार कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस भी शामिल होने वाले हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बाइडेन और तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन समेत कई देशों के हेड से मुलाकात भी करेंगे।
PM मोदी ने जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय बैठक की
रूस-यूक्रेन जंग के बीच PM मोदी ने G7 के बैनर तले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है। PM मोदी ने उन्हें गले भी लगाया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई।
इससे पहले PM मोदी ने पिछले साल भी जापान में G7 समिट के बैनर तले जेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस दौरान मोदी ने कहा था कि रूस-यूक्रेन जंग का समाधान बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है।
G7 में 'सबसे कमजोर' नेताओं का जमावड़ा
अमेरिकी मीडिया पोलिटिको की एक रिपोर्ट में G7 शिखर सम्मेलन में जुटे नेताओं को अब तक का ‘सबसे कमजोर जमावड़ा’ बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां जुटे अधिकांश नेता किसी घरेलू संकट से जूझ रहे हैं या फिर अगली बार चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं।
अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी लगातार पिछड़ती जा रही है। चुनाव से पहले यहां पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में माहौल बनता दिखाई दे रहा है। हालांकि वे हश मनी केस में दोषी साबित हो चुके हैं मगर उनके चाहने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
जर्मनी में चांसलर ओलफ शोल्ज का प्रदर्शन कमजोर हुआ है। वहां पर दक्षिणपंथी पार्टी ADF तेजी से मजबूत हो रही है। ADF ने इस बार यूरोपीय यूनियन चुनाव में 6 सीटों पर बढ़त हासिल की है। वही, चांसलर शोल्ज की पार्टी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है। शोल्ज की पार्टी को 2 सीटों का नुकसान हुआ है।
यूरोपीय चुनावों में बुरे प्रदर्शन के बाद फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संसद भंग कर दी है। दूसरी तरफ, ब्रिटेन में ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी की हालत बेहद खराब है और सर्वे में वह लेबर पार्टी से 20 अंकों से पीछे चल रही है। गिरती रेटिंग के बीच सुनक से देश में चुनाव को भी प्री-पोन कर दिया है।
G7 में शामिल कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो और उनकी लेबर पार्टी की देश में साख लगातार कमजोर होती जा रही है। कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं। ऐसे में ट्रूडो की वापसी मुश्किल लग रही है। एक हालिया इंटरव्यू में ट्रूडो ने ये स्वीकार किया है कि वे राजनीति से सन्यांस लेने की सोच रहे थे मगर पार्टी को मंझधार में छोड़ना उन्होंने ठीक नहीं समझा।
जापान में फुमियो किशिदा की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। उनकी अप्रूवल रेटिंग में लगातार गिरावट दिख रही है। इस बार जून में उनकी अप्रूवल रेटिंग में 2.3% की गिरावट आई है और ये 16.5% रह गई है। ये पिछले 12 साल में सत्ताधारी पार्टी LDP के किसी शीर्ष नेता की सबसे खराब स्थिति है।
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