तारीख: 6 दिसंबर, 2023
खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो मैसेज जारी कर कहा, '13 दिसंबर को भारत की संसद की बुनियाद हिला देंगे, हम संसद पर हमला करेंगे।'
7 दिन बाद…
तारीख: 13 दिसंबर, 2023 जगह: संसद भवन, दिल्ली
संसद का विंटर सेशन चल रहा था। दोपहर में शून्यकाल के वक्त अचानक एक युवक ऑडियंस गैलरी से सदन के चैंबर में कूदा। सांसदों को लगा कि शायद कोई दुर्घटनावश गिर गया। तभी दूसरा युवक गैलरी से चैंबर में कूद आया। दोनों नारे लगा रहे थे और स्मोक कैन से स्प्रे कर रहे थे।
सदन धुएं से भर गया और अफरातफरी का माहौल बन गया। हंगामे और धुएं के बीच कुछ सांसदों ने दोनों युवकों को पकड़ने की कोशिश की। सिक्योरिटी फोर्स ने उन्हें हिरासत में लिया। संसद के अंदर हुई घटना को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं हुई थी, तभी संसद के बाहर पुलिस ने दो लोगों को स्प्रे से धुआं और नारेबाजी करते अरेस्ट किया।
पुलिस ने इस घटना में इन चार आरोपियों के अलावा 2 और आरोपियों को अरेस्ट किया। बाकी दोनों पर संसद के बाहर रहकर इनका साथ देने का आरोप है।
7 जून को दिल्ली पुलिस ने मामले की चार्जशीट फाइल की है। अभी सप्लिमेंट्री चार्जशीट आनी बाकी है। केस की जांच कर रही पुलिस टीम और लीगल टीम में मौजूद दैनिक भास्कर के सोर्सेज ने बताया कि इस घटना से करीब 5 महीने पहले ही एक आरोपी ने संसद जाकर रेकी की थी।
सोर्स ने ये भी बताया कि केस के मास्टरमाइंड मनोरंजन डी के फोन से पन्नू के वीडियो मैसेज का लिंक मिला है। अभी ये साफ नहीं है कि उस मैसेज से इस घटना का कोई लेना-देना है या नहीं। ये घटना किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है या महज प्रोटेस्ट, पुलिस और जांच एजेंसियां इसके जवाब तलाश रही हैं।
क्या ये केस खालिस्तानी आतंकवाद से जुड़ा है?
इसके जवाब में सोर्स ने बताया, ‘अभी हमने चार्जशीट में सिर्फ इतना कहा है कि हमें एक मोबाइल में पन्नू के वीडियो मैसेज का लिंक मिला है। ये लिंक आपके-हमारे फोन में भी हो सकता है। वीडियो सेंसेशनल था, कई लोगों ने देखा था। ये लोग संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपी हैं, इसलिए इन पर शक जाता है।’
‘हमारी आगे की इन्वेस्टिगेशन का ये सबसे बड़ा हिस्सा है। हो सकता है कि ये किसी बड़ी साजिश की तैयारी हो या फिर कुछ सिरफिरे लोगों की हरकत। अभी हमने सिर्फ चार्जशीट सौंपी है। सप्लिमेंट्री चार्जशीट में इस वीडियो मैसेज के लिंक की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट भी अटैच होगी।'
1833 पन्नों की चार्जशीट में ये 5 बातें सामने आईं… 1. एक आरोपी जुलाई, 2023 में भी संसद में घुसा था सोर्स ने बताया, ‘2017-18 से ही मनोरंजन ये साजिश रच रहा था। जुलाई, 2023 में भी वो एक सांसद के विजिटर पास पर संसद के अंदर गया था। तब मनोरंजन रेकी के इरादे से गया था।’
‘उस सांसद से भी पूछताछ की गई है। हालांकि, वे मनोरंजन को नहीं जानते। आरोपी ने भी पूछताछ में बताया है कि सांसद से उसका कोई लेना-देना नहीं है। उसे सांसद के स्टाफ से पास मिला था।’
क्या मनोरंजन पॉलिटिकली सोर्सफुल है? जवाब मिला- ‘नहीं, पूछताछ और जांच में ऐसा कुछ नहीं मिला है। अगर आप जरा भी एक्टिव हैं, तो सांसद के दफ्तर में कुछ लोगों से पहचान करना मुश्किल नहीं है। मनोरंजन ने भी यही किया।’
वे फिर दोहराते हैं, ‘ये अब तक की जांच से पता चला है। बाकी इन्वेस्टिगेशन अब भी जारी है। हमें सप्लिमेंट्री चार्जशीट का इंतजार करना चाहिए, ताकि हम सभी सवालों के स्पष्ट जवाब दे सकें।’
2. जूते की डबल सोल के बीच छिपाए थे स्मोक कैन
संसद के अंदर दाखिल होने वाले दोनों आरोपियों के जूते में डबल सोल था। दोनों ने ही सोल के बीच एक कैविटी, यानी छेद करवा रखा था। इसी कैविटी में आरोपियों ने स्मोक कैन छिपाए थे। संसद में घुसते वक्त स्मोक कैन इसीलिए डिटेक्ट नहीं हो पाए।
संसद में एंट्री के वक्त जूतों की चैकिंग नहीं होती है। इसी बात का फायदा उठाकर इन्होंने जूतों में स्मोक केन छिपाने का प्लान बनाया था।
3. दो आरोपियों के अलावा बाकी सब कुछ महीने पहले ही मिले थे
मास्टरमाइंड मनोरंजन और आरोपी सागर करीब 4-5 साल से एक दूसरे को जानते थे। बाकी आरोपी कुछ महीनों पहले या कहें एक साल के अंदर ही एक दूसरे के संपर्क में आए। सोशल मीडिया के जरिए ये इनके बीच कॉन्टैक्ट हुआ।
4. फेसबुक और सिग्नल ऐप की रिपोर्ट का इंतजार
सोर्स ने बताया, 'लैपटॉप और मोबाइल से हमें ज्यादा कुछ नहीं मिला है। आरोपियों ने अपने सभी मोबाइल अपने साथियों की मदद से जलवा दिए थे। दोबारा इनके सिम कार्ड इश्यू कराए हैं। उससे कुछ डाटा रिट्रीव किया गया। लैपटॉप और मोबाइल की FSL रिपोर्ट आ चुकी है।'
'अब हमें फेसबुक और सिग्नल ऐप की रिपोर्ट का इंतजार है। सिग्नल एक कॉलिंग ऐप है। ये दोनों ही इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म हैं। अब इन दोनों की रिपोर्ट में जो भी सामने आएगा, वो आगे की जांच का हिस्सा होगा।'
5. सभी 6 आरोपियों के बैकग्राउंड कैसा, जांच में क्या मिला
सोर्सेज के मुताबिक, मनोरंजन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, लेकिन वो ड्रॉपआउट था। नीलम आजाद ग्रेजुएट है। बाकी कोई ग्रेजुएट तक नहीं है। फैमिली बैकग्राउंड की बात करें तो सिर्फ मनोरंजन ही लोअर मिडिल क्लास फैमिली से है। बाकी तकरीबन सभी लोअर क्लास फैमिली से आते हैं।
90 दिन की जगह 180 दिन में फाइल हुई चार्जशीट
संसद से जुड़ा मामला होने की वजह से इसकी चार्जशीट 30 दिन के अंदर देनी थी। जांच पूरी न होने की वजह से फरवरी में एक्सटेंशन लेना पड़ा। 7 मार्च को फिर 3 महीने का एक्सटेंशन लिया गया। 7 जून को केस की चार्जशीट फाइल हुई। हालांकि अभी सप्लिमेंट्री चार्जशीट आनी बाकी है।
चार्जशीट फाइल होने के अगले दिन से ही कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां लग गईं। लिहाजा अब केस की तारीख 15 जुलाई को मिलेगी।
सप्लिमेंट्री चार्जशीट से खुलेगा राज: साजिश या सिरफिरों की हरकत
भास्कर के सोर्स ने बताया कि अब तक हमारे हाथ कुछ ऐसा नहीं लगा है, जिससे कहा जा सके कि इसके पीछे कोई बड़ा आतंकी संगठन या साजिश है। अभी किसी बड़ी साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। सप्लिमेंट्री चार्जशीट आने के बाद ही केस में कुछ स्पष्ट होगा।
सप्लिमेंट्री चार्जशीट में मुख्य रूप से दो पॉइंट हैं
1. फेसबुक और कॉलिंग ऐप ‘सिग्नल’ की रिपोर्ट।
2. खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू के वीडियो मैसेज और इन आरोपियों का कोई लिंक है या नहीं।
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की प्लानिंग कैसे हुई
केस के सभी 6 आरोपी अभी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। केस की अगली तारीख 15 जुलाई को है। इस केस में पब्लिक प्रोसिक्यूटर, यानी पुलिस के वकील अखंड प्रताप सिंह हैं और इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ACP राहुल विक्रम स्पेशल सेल हैं।
आरोपियों को अभी चार्जशीट नहीं मिली
अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के सेक्शन 13 के तहत अभी सेंट्रल गवर्नमेंट से चार्जशीट को सैंक्शन नहीं मिला है। फाइल होम मिनिस्ट्री भेजी जा चुकी है। UAPA के सेक्शन 16 और 18 के तहत स्टेट की तरफ से सैंक्शन मिल गया है। सेंट्रल से अप्रूवल मिलने के बाद ही चार्जशीट आरोपियों को दी जा सकेगी।
सस्पेंड पुलिसकर्मियों का सस्पेंशन वापस हुआ
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की घटना के बाद 8 पुलिसकर्मियों को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया था। चार्जशीट आने के बाद इन्हें बहाल कर दिया गया। सुरक्षा में तैनात पुलिस फोर्स की कोई चूक जांच में सामने नहीं आई। अब तक संसद में जाने पर जूतों की जांच का प्रावधान नहीं था।
संसद भवन में विजिटर्स की एंट्री के लिए सिस्टम और सख्त हुआ
इस केस के बाद संसद भवन परिसर में विजिटर्स की एंट्री के लिए नया सिस्टम बनाया गया है। इसमें पास सिस्टम खत्म कर दिया गया है। अब सभी सामानों की जांच एक्स-रे मशीन से की जा रही है।
1. CISF के जवानों की तैनाती
संसद भवन की सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, यानी CISF को तैनात किया गया है। CISF के 140 जवानों की टुकड़ी अब संसद में आने वाले विजिटर्स और उनके सामान की तलाशी लेगी। CISF संसद भवन की फायर सेफ्टी का काम भी देखेगी।
2. जूते समेत अब सभी सामानों की जांच
संसद भवन में आने वालों और उनके सामान की जांच CISF अब एक्स-रे मशीन और डिटेक्टर से करती है। जूते स्कैन किए जाते हैं। भारी जैकेट और बेल्ट स्कैन भी किए जाते हैं।
3. पास नहीं, QR कोड से एंट्री
अब संसद की कार्यवाही देखने के लिए गेस्ट को QR कोड लेना होता है। सदन में आते वक्त विजिटर्स को QR कोड का प्रिंट आउट और आधार कार्ड लाना होता है। यहां उसे स्मार्ट कार्ड दिया जाता, जिसे टैप करने और बायोमेट्रिक जांच के बाद ही वो संसद में एंट्री कर सकता है।
संसद में जाते वक्त अपना स्मार्ट कार्ड जमा करना होता है। अगर विजिटर ऐसा नहीं करता तो वो ऑटोमैटिकली ब्लॉक और ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। फिर वो दोबारा कभी संसद कैंपस में एंट्री नहीं कर सकेगा।
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