27 मई 2024 को बिहार के बख्तियारपुर में चुनावी रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हम सत्ता में आए तो अग्निवीर योजना खत्म कर देंगे। 2024 चुनाव में राहुल कमोबेश हर रैली में अग्निवीरों का मुद्दा उठाते रहे। राहुल गांधी सत्ता में तो नहीं आए, लेकिन मजबूत विपक्ष में जरूर आ गए। नतीजों के बाद 11 जून को राहुल ने कहा कि विपक्ष में 'सेना' बैठी है। हम अग्निवीर योजना को रद्द करवाकर रहेंगे।
विपक्ष के तीखे तेवरों के बीच सरकार ने भी अग्निवीर योजना में बदलाव की कवायद शुरू कर दी है। सरकार ने एक रिव्यू ग्रुप बनाया है, जो अग्निपथ योजना की कमियों और सुधार पर प्रेजेंटेशन देगा। सरकार इन सुझावों को लागू करने की कोशिश करेगी, ताकि युवाओं और विपक्ष की नाराजगी दूर की जा सके।
अग्निपथ योजना क्या है और इसे क्यों शुरू किया गया?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अग्निपथ योजना की 5 बड़ी कमियां…
1. अस्थायी रोजगार: अग्निपथ के जवानों को केवल चार साल के लिए रोजगार मिला है। इसके बाद केवल 25% सैनिकों को ही स्थायी सेवा के लिए चुना जाता है। मतलब इससे बाकी 75% सैनिकों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। इससे उनके जीवन में रोजगार की संभावना सीमित हो जाती है।
2. करियर में स्थायित्व नहींः चार साल की नौकरी के बाद बड़ी संख्या में सैनिकों को नए करियर के नए ऑप्शन खोजना पड़ेंगे। वे किसी भी एक पेशे में एक्टपर्ट नहीं बन पाएंगे। जब नौजवान रहते हैं अग्निपथ की तैयारी में तीन से पांच साल तैयारी करते हैं। इसके बाद चार साल की नौकरी मिलती है। जब ये नौकरी खत्म होगी, ताे फिर नया काम सीखना पड़ेगा। अग्निवीर के साथ जरूरी नहीं है कि जो हथियार चलाना उसने सीखा है उसे बाहरी दुनिया में भी वहीं नौकरी मिले।
3. थोड़ा आर्मी जवान, थोड़ा बाहरी इंसानः चार साल में अग्निवीरों को आर्मी जवानों की तरह नहीं बनाया जा सकता है। कई चीजें सालों तक सीखने के बाद आती हैं। एक आर्मी जवान पूरे जीवनकाल में बहुत कुछ सीखता है, तब जाकर वह लीडरशिप के मोड में आता है। इससे सेना की कुल क्षमता और युद्धक क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। अग्निवीर का कार्यकाल इतना छोटा है कि वह न तो ठीक से आर्मी जैसा जवान बन पाएगा, न ही बाहरी दुनिया का एक कामकाजी इंसान।
4. दूसरी नौकरी की गारंटी नहींः इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भूतपूर्व अग्निवीरों को अर्धसैनिक बलों या पुलिस बलों में भर्ती किया जाएगा। शिक्षा के आधार पर इन्हें ज्यादा से ज्यादा सुरक्षाकर्मी की नौकरी मिलेगी। उसमें भी निजी एजेंसियां कूद पड़ी हैं। यहां उनके साथ किसी भी आम आदमी जैसा ट्रीटमेंट मिलेगा। इस कारण ये अग्निवीर बनने के लिए मिली ट्रेनिंग का ये मतलब कतई नहीं है कि उन्हें रिटायर होने के बाद दूसरी नौकरी इसी ट्रेनिंग के के आधार पर मिल जाए।
5. सेना के मोटिवेशन और मॉरल पर असरः जब सैनिकों को पता होगा कि उनकी सेवा केवल चार साल के लिए है और उसके बाद वे बाहर हो सकते हैं, तो यह उनके मोटिवेशन और मॉरल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जरूरी नहीं है कि वो उन्हीं वैल्यूज के साथ काम करें जो एक आर्मी का जवान करता है।
अग्निपथ योजना में क्या बड़े बदलाव कर सकती है सरकार?
अग्निपथ योजना के लिए सरकार ने बनाई 10 सचिवों की रिव्यू कमेटी
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में आए नतीजों का रिव्यू कराने के बाद सरकार को पता चला है कि BJP और NDA की कम सीटें आने के पीछे अग्निपथ योजना भी जिम्मेदार है। लोगों खासतौर से युवाओं में अग्निपथ योजना को लेकर नाराजगी है। हिंदी पट्टी के बेरोजगार युवाओं में ये योजना चुनाव का मुद्दा रही है। BJP को यहां लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है।
नई सरकार बनते ही इस योजना में सुधार की कवायद शुरू हो गई है। PM नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार ने 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के एक ग्रुप बनाया है। यह ग्रुप अग्निपथ स्कीम का रिव्यू करेगा। सरकार को ये भी बताएगा कि आर्म फोर्सेस में भर्ती प्रोग्राम को कैसे अट्रैक्टिव बनाया जाए। इस पैनल अग्निपथ स्कीम की कमियों और सुधार के सुझाव भी देगा। माना जा रहा है कि सिफारिशों को जांचने के बाद सरकार इन्हें तुरंत लागू कर सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G-7 समिट में भाग लेने इटली गए हैं। उनके लौटने के दो से तीन दिन के भीतर सेक्रेटरीज ग्रुप की रिपोर्ट PM और संबंधित मंत्रालय के सामने पेश की जा सकती है। सरकार लोकसभा चुनाव नुकसान के बाद इस योजना में सुधार के लिए गंभीर है। यही कारण है कि जो भी इसमें सुधार के सुझाव आएंगे। उन्हें अगले 100 दिनों के भीतर लागू कर सकती है।
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