जयपुर की फैमिली कोर्ट-3 ने एनएसजी इंस्पेक्टर की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया है। साथ ही पत्नी की साथ रहने की अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
कोर्ट अपने आदेश में कहा- केवल कयास के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता है। पति ने जो आरोप अपनी अर्जी से लगाए, वे उन्हें साबित नहीं कर सका है। ऐसा लगता है कि पति ने केवल अपने कयासों के आधार पर आरोप लगाए। उन्हें साबित नहीं कर पाना पति की तलाक लेने की मात्र इच्छा को व्यक्त करता है।
ऐसे में तलाक की अर्जी स्वीकार नहीं की जा सकती है। पत्नी ने अपने पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की है। इसे अदालत स्वीकार करती है।
10 साल पहले दायर की थी अर्जी
मामले से जुड़े वकील डीएस शेखावत ने बताया- जयपुर के रहने वाले पति ने नागौर निवासी पत्नी से तलाक के लिए 21 जुलाई 2014 को फैमिली कोर्ट जयपुर में अर्जी दायर की थी। अर्जी में पति ने तलाक का आधार बनाते हुए कहा- पत्नी बिना कारण के ही उसके माता-पिता से झगड़ा करती है। खाना बनाने से इनकार कर देती है। लगातार अलग रहने के लिए उस पर दवाब बनाती थी।
साल 2010 में जब उसका ट्रांसफर मानेसर और साल 2011 में दिल्ली में हुआ तो वह पत्नी व बच्चे को साथ लेकर गया। वहां पत्नी देरी से उठती थी। मुझे और बच्चे को लंच बनाकर नहीं देती। उसने मेरे उच्चाधिकारियों को मेरी झूठी शिकायत भी की। इससे मुझे उनके सामने शर्मिंदा भी होना पड़ा।
मकान मालिक से झगड़ा किया
पति ने अपनी तलाक अर्जी में यह भी कहा- साल 2013 में ज्यादा झगड़ा होने पर उसने पत्नी की मर्जी से उसे जयपुर के झोटवाड़ा में अलग से कमरा दिलाया। बच्चे का दाखिला भी स्कूल में करवा दिया। मुंबई ट्रांसफर होने पर खर्चे के लिए पत्नी को अपना एटीएम कार्ड भी देकर गया। बाद में पत्नी ने मकान मालिक से झगड़ा कर लिया। उस मकान को खाली करके दूसरी जगह मकान किराए पर ले लिया। बाद में उसे भी खाली करके तीसरी जगह मकान किराए पर ले लिया।
बच्चे को स्कूल नहीं भेजा पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी बच्चे को स्कूल नहीं भेजती है। उसे सुबह कमरे में बंद करके दिनभर गायब रहती है। बच्चे को स्कूल भेजने के लिए कहा तो मुझे बर्बाद करने की धमकी दी। 17 जुलाई 2014 को गांव जाकर मेरे माता-पिता और भाई की पत्नी के साथ झगड़ा और मारपीट की। मेरी मां से जबरन चाबी लेकर मेरे पिता के नौकरी के दस्तावेज, बैंक पासबुक, जमीन के कागजात लेकर जयपुर आ गई।
अगले दिन जब मैं जयपुर आया। मुझे नहीं मिली ना ही बच्चा मिला। पत्नी के इस क्रूरतापूर्वक आचरण से मुझे मानसिक परेशानी हुई है। इस तरह के आचरण से परेशान होकर मैंने तलाक की अर्जी लगाई है।
पत्नी ने कहा- पति से प्रेम करती है, साथ रहना चाहती है
पति की तलाक अर्जी के बाद पत्नी ने 4 मार्च 2015 को पति के साथ रहने के लिए याचिका लगाई। इसमें पत्नी ने कहा कि वह अपने पति से अत्यधिक प्रेम करती है। उसके पति अपने परिवार वालों के बहकावे में आकर उसे तलाक देना चाहते हैं।
पत्नी ने पति के घरवालों पर परेशान करने का आरोप लगाया
पत्नी ने पति के समस्त आरोपों का भी खंडन किया। उसने कहा कि उलटा पति और उसके घरवाले उसे परेशान करते थे। आए दिन दहेज की मांग करते थे। दहेज नहीं लाने पर मारपीट भी करते थे। पत्नी ने कहा- अत्यधिक प्रताड़ना के कारण मेरी मर्जी नहीं होते हुए भी करीब दो साल पहले मैं अपने बच्चे के साथ जयपुर में किराए के फ्लैट में रहने लग गई थी।
कोर्ट ने कहा- कोई सबूत पेश नहीं किया
अदालत ने अपने फैसले में कहा- पति ने केवल कयासों के आधार पर तलाक मांगा है। पति अपने द्वारा लगाए गए किसी भी आरोप को साबित नहीं कर सका है। पति ने कहा- मानेसर व दिल्ली में रहने के दौरान पत्नी खाना नहीं बनाती थी। उसे और बच्चे को मेस में खाना पड़ता था। उसका कोई सबूत पेश नहीं किया।
पति ने कहा- पत्नी अधिकारियों को उसकी झूठी शिकायतें करती थी। उसका कोई प्रमाण नहीं दिया। पत्नी बच्चे को स्कूल नहीं भेजती थी। पति ने स्कूल का अटेंडेंस रजिस्टर व अन्य कोई प्रमाण पेश नहीं किया।
कोर्ट ने कहा कि रिश्ता टूटने से पहले उसे बचाने का प्रयास करना पड़ता है। पति ने कभी भी ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। कोर्ट में भी उसने हमेशा पत्नी से अलग होने की बात कही। वहीं ,पत्नी ने कोर्ट मे भी पति के साथ रहने की बात को दोहराया।
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