17 जून को बकरा ईद मनाई जाएगी। इस दिन दी जाने वाली कुर्बानी को बलिदान का प्रतीक माना जाता है। जयपुर के ईदगाह से ट्रांसपोर्ट नगर तक बकरों का अस्थाई बाजार सजाया गया। यहां जयपुर, हरियाणा, यूपी समेत आस-पास के शहरों से व्यापारी और खरीददार पहुंच रहे हैं। इस बाजार में कोटा करौली, सोजती, सिरोही, गुर्जरी, नागौरी, मारवाड़ी नस्ल के बकरों की बिक्री हो रही है। इस बार बाजार में 10 हजार रुपए से लेकर सवा लाख रुपए तक के बकरे मिल रहे हैं।
आगे जानिए यहां आए बकरों की खासियत...
इस बाजार में सवाई माधोपुर से बकरों का जोड़ा लाया गया है। जो कोटा करौली नस्ल के हैं। यह जोड़ा इस बकरा मंडी में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इनके मालिक शकील खान ने बताया- इस जोड़े की कीमत डेढ़ लाख रुपए है। यह बकरा छह-छह दांत के हैं। इनके सींग अलग तरीके से मुड़े हुए हैं। कान अन्य बकरों की तुलना में लंबे होते हैं। ये हाइट में सबसे लंबे होते हैं। यह बकरा कम से कम साढ़े तीन फुट से ऊपर के होते हैं। इन बकरों को जो चना, मक्का खिलाया जाता है। जितनी इन दोनों बकरों की कीमत है। उतने में एक बाइक आ सकती है।
काजू और बादाम खाता है बकरा
हरियाणा के बायल गांव के रहने वाले अजीत सिंह जयपुर की ईदगाह मंडी में बकरे बेचने आए हैं। उन्होंने बताया- वह कुचामन से गुर्जरी नस्ल के बकरे लेकर के आए हैं। इन बकरों को जाटी की हरी पत्ती, गेहूं, जौ, मक्का, काजू और बादाम किशमिश खिलाते हैं। इस बकरे का वजन 1 क्विंटल 25 किलो के आसपास है।
उन्होंने बताया- व्यापारी को इस बार बकरा ईद पर निराशा हाथ लगी है। इस बकरे को रखने में 60 हजार से ज्यादा का खर्चा आया है। उम्मीद थी कि यह बकरा मंडी में लाख सवा लाख रुपए का बिकेगा। अब तक इसकी कीमत 25 हजार से 30 हजार से ज्यादा लोग नहीं लगा रहे हैं। इससे काफी मायूसी हाथ लगी है। बकरा मंडी का बाजार सुस्त नजर आ रहा है। बकरों की तय लागत से भी कम कीमत लोग लगा रहे हैं।
पारवी नस्ल के मेंढ़े
पानीपत से भेड़ बेचने आए विजयपाल भडाड़ ने बताया- यह पारवी नस्ल की भेड़ हैं। यह पानीपत से लाई गई है। इनके कान और पूंछ लंबी होती है। इनके 4 दांत से ज्यादा होते हैं। इसका वजन 1 क्विंटल से ज्यादा होता है। विक्रेता ने इस बार इन भेड़ों की कीमत 35 हजार रुपए तय की है। हालांकि इस बार उन्हें बाजार में तय भाव नहीं मिल रहे हैं। इससे उन्हें मायूसी हाथ लगी है। पिछली बार कि तुलना में यहां मंडी में खरीददार कम पहुंच रहे हैं।
अलवर से यहां बकरे बेचने आए शब्बीर खान ने बताया- ये तोतापुरी नस्ल के बकरे हैं। इनके कान लंबे होते हैं। जो ऊंची कद काठी के होते हैं। इनकी कीमत 20 हजार से 50 हजार तक है। इन बकरों के मुंह अन्य बकरों की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं। इन बकरों की अलग दिखावट और कद काठी के कारण ग्राहक इन्हें खरीदना पसंद करते हैं।
बकरों की कीमत बढ़ी
व्यापारियों ने बताया कि बकरों को खिलाए जाने वाले जौ, हरा-चरा, लौंग का पत्ता और तिल्ली के तेल की कीमतें बढ़ने से भी भाव में तेजी आई है। इनकी कीमतों में भी प्रति क्विटंल 3 से 5 हजार रुपए बढ़ोतरी हुई है। इसका असर बकरों की कीमत पर भी पड़ा है।
10 हजार से 1.25 लाख रुपए तक कीमत
व्यापारी शकील ने बताया- पिछले साल बकरों के भाव 8 से 80 हजार रुपए तक थे। इस बार भाव 15 हजार से 1.25 लाख रुपए तक पहुंच गए हैं। मंडी में होकरा, माकड़वाली, नागौर, ब्यावर, किशनढ़, दौराई और आसपास के इलाकों से भी बकरे लाए गए हैं।
दो से कम दांत के बकरों की नहीं होती कुर्बानी
ईदगाह निवासी बुरहान यहां लगी अस्थाई बकरा मंडी में कुर्बानी के लिए बकरा खरीदने पहुंचे थे। उन्होंने बताया- कुर्बानी के बकरों के लिए सबसे जरूरी कम से कम दो दांत होने जरूरी हैं। दो दांत से कम होने पर बकरे की कुर्बानी नहीं होती है। बकरे का कान कटा नहीं होना चाहिए। कोई सींग टूटा नहीं हो। बकरा लंगड़ा कर नहीं चल रहा हो। कुर्बानी के लिए इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है।
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