दो लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में एसीबी को जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर के खिलाफ सबूत मिले हैं। एसीबी ने कांग्रेस मेयर मुनेश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सही माने हैं। इसके लिए एसीबी ने सरकार से कार्रवाई की इजाजत मांगी है। स्थानीय निकाय आयुक्त से परमिशन के बाद पति- पत्नी दोनों के खिलाफ एक साथ चालान पेश होगा।
दरअसल, 4 अगस्त 2023 में नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर के घर एसीबी ने छापा मारा था। मुनेश के पति सुशील गुर्जर को दो लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। सुशील गुर्जर पर आरोप था कि पट्टे जारी करवाने की एवज में दो दलालों के जरिए रिश्वत मांगी गई थी।
सुशील के साथ एसीबी ने दलाल नारायण सिंह व अनिल दुबे को भी गिरफ्तार किया था। मेयर के घर से तलाशी में एसीबी के पट्टे की फाइल मिली थी। इसके साथ ही 40 लाख रुपए भी मिले थे। वहीं, नारायण सिंह के घर से भी 8.95 लाख रुपए मिले थे।
जांच के बाद आई भूमिका सामने
एसीबी की जांच के बाद तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया था। एसीबी जांच में महापौर मुनेश की भूमिका सामने आई है। नवंबर 2023 में एसीबी ने मुनेश के बयान लिए थे। मुनेश के बयान के बाद जांच अधिकारी राजेन्द्र नैन (एएसपी) की रिपोर्ट पर पति-पत्नी के खिलाफ चालान पेश करने का निर्णय लिया।
चालान पेश करने के लिए एसीबी ने सरकार (स्थानीय निकाय आयुक्त) से इजाजत मांगी है। स्थानीय निकाय आयुक्त ने कार्रवाई की फाइल मिलने के बाद एसीबी को चर्चा के लिए बुलाया है। इसमें एसीबी को निकाय आयुक्त को जांच के बिन्दु समझाने होंगे और बताना होगा की एसीबी ने किन सबूतों पर मेयर को आरोपी माना हैं।
कार्रवाई की स्वीकृति मिली तो जेल जाएंगी मेयर
एसीबी को मेयर मुनेश गुर्जर पर जांच की स्वीकृति मिलती है तो पद जाना और जेल जाना तय है। एसीबी के पास सभी सबूत है, जिससे पता चलता है कि मुनेश की स्वीकृति के बाद ही पट्टे की फाइलें घर पहुंची थी। पैसा लिया गया था।
दरअसल, 4 अगस्त 2023 को एसीबी की कार्रवाई के बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया। 23 अगस्त को मुनेश को कोर्ट से राहत मिली और मुनेश महापौर की कुर्सी पर फिर बैठ गईं। 1 सितंबर को राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलंबित करने का फैसला वापस ले लिया।
22 सितंबर को फिर निलंबित किया गया था। दोबारा निलंबन के आदेश के खिलाफ मुनेश गुर्जर ने 26 सितंबर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में मुनेश ने कोर्ट से कहा था कि सरकार ने एक बार फिर उन्हें कानून से विपरीत व तथ्यों से परे जाकर निलंबित किया है। वे दिसंबर 2023 में फिर मेयर बन गई थीं।
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