भारतीयों को धोखे से रूस-यूक्रेन जंग में भेजने के मामले में CBI ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से तीन लोग भारत के हैं, जबकि एक रूस के रक्षा मंत्रालय में काम करने वाला ट्रांसलेटर है। इन्हें 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इसकी जानकारी अब सामने आई है।
पकड़े गए लोगों में अरुण और येसूदास तिरुअनंतपुरम के रहने वाले हैं। एंथनी इलांगोवन मुंबई से है, जबकि निजिल जोबी बेनसाम रूस के रक्षा मंत्रालय का है। सभी लोग एक नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिसमें सोशल मीडिया के जरिए भारतीय को नौकरी और अच्छी सैलरी का लालच देकर फंसाया जाता है। इसके लिए लोकल एजेंट्स की भी मदद ली जाती है।
दुबई से रूस तक फैला नेटवर्क
CBI ने बताया कि रूसी ट्रांसलेटर इस नेटवर्क का अहम हिस्सा था। वह भारतीयों को रूसी आर्मी में भर्ती करने का काम करता था। वहीं एंथनी दुबई में फैजल बाबा और रूस में मौजूद अपने दूसरे साथियों के साथ मिलकर भारतीयों के लिए वीजा और प्लेन टिकट करवाने का काम करता था। अरुण और येसूदास लोकल एजेंट्स थे। वे लोगों को रूस में नौकरी और सैलरी का झांसा देते थे।
CBI के मुताबिक, उन्होंने कुछ प्राइवेट वीजा कंसल्टेंसी फर्म और एजेंट्स के खिलाफ मानव तस्करी के मामले में केस दर्ज किया है। इसका नेटवर्क कई देशों में फैला हुआ है। दिल्ली-बेस्ड एक वीजा कंपनी अब तक करीब 180 भारतीयों को रूस भेज चुकी है। फिलहाल इन्हें वापस लाने की कोशिश की जा रही है।
यूट्यूब वीडियो बनाकर 1 लाख रुपए सैलरी का लालच
जांच एजेंसी ने बताया कि वीजा कंसल्टेंसी कंपनियां उन लोगों को टारगेट करती हैं, जो विदेश में नौकरी करना चाहते हैं। इसके बाद इन्हें झांसा देने के लिए यूट्यूब वीडियो बनाए जाते हैं। इनमें दिखाया जाता है कि रूस में जंग का कोई असर नहीं है और सब सुरक्षित हैं। इसके बाद रूस की आर्मी में हेल्पर, क्लर्क और जंग में ढह चुकी इमारतों को खाली करने की जॉब में वेकेंसी दिखाई जाती है।
वीडियो में बताया जाता है कि नौकरी लेने वाले लोगों को बॉर्डर पर जंग लड़ने नहीं जाना होगा। उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिस दौरान 40 हजार रुपए की सैलेरी मिलेगी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद तनख्वाह 1 लाख रुपए हो जाएगी।
'रूसी आर्मी में भर्ती नहीं हुए तो 10 साल की सजा होगी'
जब भारतीय झांसे में आकर रूस चले जाते हैं, तो उन्हें जबरदस्ती मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें झूठे दस्तावेज दिखाए जाते हैं, जिस पर लिखा होता है कि अगर वे रूसी आर्मी में भर्ती नहीं हुए तो उन्हें 10 साल जेल की सजा हो जाएगी।
इससे पहले फरवरी में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि भारतीयों को रूस-यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के साथ लड़ने के लिए मजबूर किया गया। रूसी कंपनियों ने इन भारतीयों को हेल्पर के तौर पर काम करने के लिए हायर किया था। इसके बाद इन्हें रूस की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप में भर्ती करवा दिया गया और जंग के मैदान में छोड़ दिया गया।
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