हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 के तीन चरण पूरे हो चुके हैं. चौथा चरण सोमवार 13 मई को होना है. इस चुनाव में कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर सभी लोग चिंतित हैं. बता दें, लोकतंत्र में मतदाता ही असली निर्णायक होता है. यदि देश और राज्य को समृद्ध बनाना है तो प्रत्येक मतदाता को वोट देने के अपने बहुमूल्य अधिकार का प्रयोग करना होगा.
मतदाता को उस नेता को चुनने में संदेह नहीं करना चाहिए जो पांच साल तक उसका प्रतिनिधि बना रहेगा. मतदान केंद्र पर कतार में खड़ा होना और केंद्र में प्रवेश करने के बाद ईवीएम पर बटन दबा देना पर्याप्त नहीं है. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उसने जो वोट डाला है वह उस उम्मीदवार को गया है, जिसे वह डालना चाहता है या नहीं. इसके लिए चुनाव आयोग मतदान में जवाबदेही व्यवस्था लागू कर रहा है.
वोटिंग कार्ड (वीवी पैट) प्रदर्शित किया जाता है ताकि मतदाता पुष्टि कर सके कि उसका वोट किसने डाला है. हालांकि, कर्नाटक में हाल ही में हुए मतदान के दौरान सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक मतदाता की मतदान प्रक्रिया पर संदेह व्यक्त करने वाली पोस्ट वायरल हो गई. केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस पर स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदान प्रक्रिया बहुत पारदर्शी है.
इस संदर्भ में तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकासराज से चर्चा की. हमने उन्हें मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया के बारे में जागरूक करने के लिए एक डेमो (नमूना) दिखाने को कहा. उनके आदेश के अनुसार, अधिकारियों ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज में स्थापित चुनाव प्रशिक्षण केंद्र में मॉडल (नकली) मतदान प्रणाली का प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि ईवीएम कैसे काम करती है. मतदाता अपना वोट कैसे चेक कर सकते हैं.
मतदाता को टिकट और पहचान पत्र के साथ मतदान केंद्र में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले मतदान अधिकारी-1 के पास जाना होगा. अधिकारी अपने पास मौजूद मतदाताओं की सूची के आधार पर मतदाता के विवरण की जांच करेगा. सूची में मतदाता का नाम और क्रमांक पढ़कर सुनाया जाएगा. वहां से मतदाता को मतदान अधिकारी 2 के पास जाने को कहा जाएगा. अधिकारी उसके पास मौजूद टिकट के विवरण की जांच करके उसके हस्ताक्षर लेता है. यदि मतदाता अनपढ़ है तो फिंगर प्रिंट लिया जाएगा. बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर स्याही का निशान लगाया जाता है.
विधानसभा और लोकसभा दोनों सीटों के लिए चुनाव अधिकारी मतदाताओं को दो अलग-अलग रंग की पर्चियां देते हैं. उनके आधार पर वे दो मतपत्र इकाइयों (Ballot Units) में मतदान के अधिकार का प्रयोग करते हैं. इसके बाद मतदाता को मतदान अधिकारी-3 के पास जाना होगा. अधिकारी मतदाता के पास मौजूद टिकट की जांच करता है. वह कंट्रोल यूनिट में बटन दबाता है और वोट जारी करता है. (वोट जारी होने से पहले, कंट्रोल यूनिट के बाईं ओर की हरी एलईडी (LED) लाइट जलती है. वोट जारी होने के बाद, दाईं ओर की लाल लाइट जलती है. इसे मतदाता द्वारा देखा जा सकता है.)
इसके बाद मतदाता को बैलेट यूनिट के पास जाना होगा. इस यूनिट के शीर्ष पर एक हरे रंग की एलईडी लाइट है. वोटर को बैलेट यूनिट पर चिपकाए गए बैलेट पेपर पर उस उम्मीदवार के नाम के आगे वाले बटन को दबाना होगा, जिसे वह वोट देना चाहता है. जब बटन दबाया जाएगा तो उसके बगल वाले तीर में लाल बत्ती जल जाएगी. एक बीप बजेगी. बैलेट यूनिट पर हरी बत्ती बंद हो जाएगी. पास की वीवीपैट ( VVPAT) मशीन में बैलेट यूनिट पर एक टिकट दिखाई देता है.
इसमें पार्टी का चुनाव चिन्ह और उम्मीदवार का नाम दिखाई देगा. यह टिकट सात सेकेंड तक दिखाई देगा. फिर वह कूड़ेदान में गिर जाता है. इसकी जांच कर मतदाता यह पुष्टि कर सकता है कि उसके द्वारा डाला गया वोट सही है या नहीं. अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे तो दो बैलेट यूनिट बनेंगी. वोट अलग-अलग वोट डाले जाएंगे. मतदान समय के अंत में, अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर क्लोज बटन दबाते हैं. तुरंत डाले गए वोट और उम्मीदवारों की संख्या यूनिट की स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाती है.
अगर मतदान बंद हो गया है, तो उसके बाद पोलिंग बूथ एजेंटों की मौजूदगी में यूनिट को सील कर दिया जाएगा. इसे एक डिब्बे में रखकर सील कर देंगे. इस मौके पर मतदान अधिकारियों व बूथ एजेंटों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे. इन कंट्रोल यूनिटों और वीवी पैट मशीनों को मतगणना शुरू होने तक सुरक्षित रखा जाएगा.
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