14 साल की बच्ची से गैंगरेप कर जिंदा जलाने वाले दो दोषियों को फांसी की सजा सुना दी गई है। राजस्थान में शाहपुरा जिले के कोटड़ी में हुए इस बहुचर्चित मामले में पुलिस को बदमाशों तक पहुंचने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी। दायरे से अलग जाकर मामले की जांच की गई। एफएसएल, मेडिकल टीम और कोर्ट से रिक्वेस्ट की। पुलिस ने हत्यारों को सजा दिलाने के लिए हर तरह की कोशिश की।
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने बताया- बच्ची को भट्ठी में जला दिया गया था। हमारे सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि इसे साबित कैसे करें कि रेप के बाद बच्ची को मारा गया। आखिर दोनों आरोपियों के प्राइवेट पार्ट की जांच के बाद मामले का खुलासा हुआ।
सवाल- जांच का तरीका क्या था जिससे 9 माह में दोनों आरोपियों को फांसी की सजा हो गई?
दिनेश एमएन- घटना की जानकारी मिलने पर आईजी लता मनोज और एसपी आदर्श सिद्धू मौके पर पहुंचे। इसके बाद डिप्टी श्याम सुंदर विश्नोई भी मौके पर पहुंचे। मौके पर पहुंचने के बाद भी पता नहीं चला कि वारदात में कौन-कौन शामिल हैं, क्योंकि हत्यारे भी पीड़ित परिवार के साथ बच्ची को सर्च करने का नाटक करने लग गए थे। सबसे पहले भट्ठी के पास बच्ची की चप्पल मिली। उसके बाद भट्ठी को देखा तो उसमें जले हुए अवशेष मिले। बच्ची का कड़ा मिला। इससे समझ आ गया था कि बच्ची को यहां पर जला दिया गया है।
उसके बाद पुलिस ने भट्ठी के आस-पास रहने वाले लोगों से सख्ती से पूछताछ शुरू की। पता चला कि भट्ठी हत्यारों की है। इसके बाद आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा। पुलिस को भट्ठी से बच्ची के शरीर का ऊपर वाला हिस्सा मिला।
आधे से कम शरीर मिलने के बाद पुलिस के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि रेप हुआ है या नहीं। इन लोगों ने कहा था कि बच्ची चिल्लाने लग गई थी, इसलिए पहले बच्ची को मार दिया। इसके बाद उसे भट्ठी में डाल दिया था। सबसे बड़ा सवाल यह था कि साबित कैसे करें कि रेप के बाद बच्ची को मारा गया। फिर भट्ठी में जिंदा जला दिया गया।
मौके पर एफएसएल की टीम को बुलाया गया। इसमें डॉक्टर अजय शर्मा ने बदमाशों का मेडिकल टेस्ट किया। इसके बाद कालू और कान्हा के प्राइवेट पार्ट का एग्जामिन कर बच्ची के डीएनए से मैच कराया गया। इससे साबित हो गया कि इन दोनों ने रेप किया था। मौके से मिले सबूत, मेडिकल एविडेंस, एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर चालान कोर्ट में पेश किया गया। मैंने पुलिस मुख्यालय से एडिशनल एसपी चंद्रप्रकाश को मौके पर भेजा।
सवाल- जांच के तरीकों में बदलाव आना चाहिए, क्या कारण रहे कि 9 महीने में आरोपियों को फांसी की सजा दिलाई गई?
दिनेश एमएन- इस केस में चार्जशीट अच्छी तरह से तैयार की गई थी। आईजी अजमेर और क्राइम ब्रांच की टीम ने इस चार्जशीट पर काम किया था। स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (पीपी) नियुक्त कराए गए। महावीर सिंह स्पेशल पीपी थे। वहीं दूसरी ओर कोर्ट से भी रिक्वेस्ट की थी कि रोज सुनवाई कराई जाए।
अगर यह केस लंबा चल जाता तो यह पीड़ित के लिए अच्छा नहीं होता। कोर्ट ने इसे माना भी। नए कानून के तहत जिस केस में सजा 7 साल से अधिक है, उस केस में एफएसएल को ले जाना जरूरी कर दिया गया है। नए कानून जब से लागू हो जाएंगे, तब से पुलिस को जांच करने में भी आसानी रहेगी।
सवाल- आपने मीडिया में कहा था कि मैं गारंटी देता हूं सभी आरोपी पकड़े जाएंगे और इन्हें फांसी कराएंगे। आप को मौके पर क्या साक्ष्य मिले। कुछ और भी आरोपी थे, जिन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया।
दिनेश एमएन- मैंने कहा था कि ये सभी आरोपी पकड़े जाएंगे और इन्हें फांसी की सजा भी कराएंगे। हमें पता था कि एफएसएल के सबूत मिलेंगे। हमें पूरा विश्वास था कि केस खुलेगा। बदमाशों को फांसी होगी। डिजिटल सबूत होने से कोर्ट को भी सजा करने में आसानी होती है। दूसरी बात जो 7 लोग बरी हुए हैं, उनको लेकर कोर्ट का आदेश आएगा, उसे एक बार पढ़ेंगे। हम जो चार्जशीट और सबूत पेश करते हैं, उसमें कई बार मिसमैच रहता है। इसको लेकर कोर्ट को कई बार शंका होती है। इसका फायदा आरोपियों को मिल जाता है। इसे लेकर हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे और इन लोगों को भी सजा कराएंगे।
सवाल- दिनेश एमएन के लिए यह घटना कितनी जघन्य थी?
जवाब- मेरे लिए नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए यह जघन्य और वीभत्स अपराध था। इसमें पहले नाबालिग बच्ची के साथ आरोपियों ने रेप किया। उसके बाद उस बच्ची को मार डाला। सबूत मिटाने के लिए बच्ची को जलती हुई भट्ठी में जिंदा जला दिया। इसलिए इन लोगों को इनके अपराध के लिए सजा मिली है।
क्या है मामला
मामला 2 अगस्त 2023 का है। शाहपुरा के कोटड़ी थाना इलाके के एक गांव में 14 साल की नाबालिग सुबह करीब 8-9 बजे मवेशी चराने निकली थी। दोनों भाई कालू और कान्हा उसका मुंह दबाकर भट्ठी के पीछे ले गए और 4 घंटे तक गैंगरेप किया। दोनों भाई की पत्नी, मां, बहन और एक नाबालिग को गैंगरेप का पता चल गया। सभी ने चर्चा की कि मामला खुला तो फंस जाएंगे। फिर उसे भट्ठी में जला दिया गया।
कोयलों के बीच से निकले थे हड्डी के कई टुकडे़
इस घटना के बाद 3 अगस्त को मौके पर फॉरेंसिक टीम (एफएसएल) को बुलाया गया था। टीम के सदस्यों ने भट्ठी से करीब 300 किलोग्राम से ज्यादा राख और कोयला बाहर निकाला। उसे छानने के बाद 6 घंटे तक एक-एक कोयले को छांटकर नाबालिग के हाथ के कई टुकड़ों को ढूंढकर बाहर निकाला गया था।
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