अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में एक ओर जहां बाघों का कुनबा बढ़ाने से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है तो वहीं, दूसरी ओर शुक्रवार देर रात को जिले से वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बुरी खबर सामने आई. जिले के डेहरा क्षेत्र में तीन पैंथरों की मौत की सूचना के बाद हड़कंप मच गया. मृत तीनों पैंथर में से एक मादा और दो शावक हैं. सूचना पर शुक्रवार देर रात को वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मृत पैंथरों के शवों को अलवर वन मंडल के नया बास कार्यालय लाया गया, जहां शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. बता दें कि इसी क्षेत्र में करीब दो साल पहले एक मादा पैंथर और दो शावकों की मौत जहर देने के कारण हुई थी. वर्तमान में एसटी-18 व 2023 बाघों का मूवमेंट इसी क्षेत्र में है.
दरअसल, अलवर शहर के समीप स्थित वन विभाग की लव कुश वाटिका के पास अमृतवास गांव के जंगल में दो शावक व एक मादा पैंथर की मौत की सूचना पर वनकर्मी मौके पर पहुंचे. वनकर्मियों को वहां 11 हजार केवी की लाइन टूटी मिली, जिसका करंट लगने से मादा पैंथर और दो शावक पैंथरों की मौत होने की बात कही गई. अलवर वन मंडल के डीएफओ राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया कि डेहरा क्षेत्र के अमृतवास गांव में तीनों पैंथर की मौत बिजली की लाइन टूटकर करंट लगने से हुई है.
उन्होंने बताया कि पैंथर टूटी हुई लाइन के संपर्क में आ गए, जिसके चलते उनकी मौत हो गई. हादसे के बाद तुरंत बिजली की लाइन शिफ्ट कर दी गई. यह रक्षित वन क्षेत्र है. यहां पहले से ही ट्रांसफर लगे हुए थे. उन्होंने कहा कि पूर्व में इसी क्षेत्र में हुई घटना का मैटर अलग था, जिस में जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके बाद से यहां वन मंडल की ओर से वृक्षारोपण भी किया गया और निरंतर वन की निगरानी की जा रही है.
हुड्डा ने बताया कि पैंथरों के शव दो से तीन दिन पुराने हैं. बिजली लाइन गांव से गुजर रही है. इन लाइनों को शिफ्ट करने के लिए बिजली निगम को शीघ्र से शीघ्र लिखा जाएगा. वेटरनरी डॉ. अनुष तोमर ने बताया कि तीनों पैंथर का पोस्टमार्टम हो चुका है. पैंथरों की बॉडी जली पाई गई है. करंट लगने से तीनों ही पैंथर के ऑर्गन्स पूरी तरीके से जल गए थे. डॉक्टर ने बताया कि प्रथम दृष्टया करंट लगने से ही मौत होना पाया गया है. मौत के स्पष्ट कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद ही लगेगा. उन्होंने बताया कि मादा पैंथर की उम्र करीब 7-8 साल और शावकों की उम्र करीब डेढ़ साल थी.
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