केस 1 : बाड़मेर का सुरेंद्र सीकर में एकेडमी से एनडीए के लिए तैयारी कर रहा था। इसी दौरान उसकी सगाई हो गई। सगाई के बाद अग्निवीर योजना में एयरफोर्स में सिलेक्शन हो गया। जैसे ही सुरेंद्र ने जॉइन किया, सगाई टूट गई। लड़की वाले बोले-वहां से आने के बाद क्या करेगा। सुरेंद्र के परिवार ने बहुत समझाया, लेकिन लड़की वाले नहीं माने।
केस 2 : सुरेंद्र की तरह ही सीकर का मनोज भी एनडीए के लिए तैयारी कर रहा था। अग्निवीर स्कीम में एयरफोर्स में सिलेक्शन हो गया। पिता बोले- कई जगह उसके रिश्ते के लिए बात चला चुके हैं। लड़की वाले अग्निवीर के बारे में सुनते ही मना कर देते हैं। अब मनोज को वापस बुलाकर दूसरी भर्ती की तैयारी कराएंगे।
ये तो सिर्फ 2 उदाहरण हैं। देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाले इलाकों में शुमार शेखावाटी के गांव-गांव में ऐसे किस्से सुनने को मिल रहे हैं। युवा सेना में जाने के बाद दूसरे कॅरियर ऑप्शन तलाश रहे हैं।
आखिर अग्निवीर स्कीम की वजह से कैसे पूरी तस्वीर बदल गई।
सुबह : 6 बजे, सीकर का स्टेडियम
अब नहीं दिखती सेना की तैयारी करने वालों की भीड़
सीकर के इस स्टेडियम में अग्निवीर योजना से पहले सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं की भीड़ रहती थी। आसपास के गांवों के युवा दिन निकलने से पहले प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाते थे। कई एकेडमी वाले भी स्टूडेंट्स को तैयारी के लिए यहां लाते थे।
लेकिन हम पहुंचे तो तस्वीर बदली हुई थी। सेना भर्ती के लिए स्टेडियम आने वालों की तादाद आधी से भी कम रह गई है। स्टेडियम खाली-खाली नजर आ रहा था। हालांकि सांवली सर्किल से लेकर स्टेडियम तक कुछ युवा सड़क किनारे दौड़ लगाते हुए दिखाई दिए, लेकिन पहले की तुलना में बेहद कम संख्या में।
‘घर चलाने के लिए 3 साल की नौकरी भी करने को तैयार’
इस दौरान हमने तैयारी के लिए आए मुकुंदपुरा के गोविंद सिंह शेखावत से बात की। गोविंद ने बताया कि उसके पिता किसान थे। कुछ समय पहले लकवा आ गया, तब से बेड पर हैं।
बोला- मुझ पर घर की जिम्मेदारी है। पिछले दो साल से सेना में जाने के लिए तैयारी कर रहा हूं। 4 साल हो या 3 साल मुझे अपना घर चलाने के लिए कुछ करना पड़ेगा।
घर की हालत ठीक नहीं है। कड़ी मेहनत से पेपर क्लीयर कर दिया है। सितंबर में फिजिकल होगा।
एकेडमी से तैयारी के लिए ब्याज पर रुपए लिए हैं। रनिंग और प्रैक्टिस कर रहा हूं। नौकरी लग जाएगी तो कर्ज उतार दूंगा, वरना दूसरी नौकरी में तो ये सब काम आएगा नहीं।
‘4 साल के लिए ही सही, नौकरी तो लगेगी’
पाली जिले की जैतारण तहसील के कनाडयचा गांव के सुरेंद्र बवाल 2 साल से सीकर की एकेडमी से सेना में जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं।
बोले- पिछली बार पेपर क्लीयर हो गया था, लेकिन फिजिकल में रह गया था। इस बार भी पेपर क्लीयर हो गया है। फिजिकल के लिए तैयारी कर रहा हूं।
पहले जोधपुर में तैयारी कर रहा था। किसान परिवार से हूं। पापा कर्ज पर लेकर तैयारी करा रहे हैं। पहले भी काफी रुपए खर्च हो गए थे।
20 की उम्र हो चुकी है, बेरोजगार हूं। अग्निवीर में पेंशन नहीं है, नौकरी पक्की नहीं है। लेकिन 4 साल के लिए ही सही, नौकरी तो लग जाएगी। उसके बाद क्या करूंगा, कुछ पता नहीं। सिलेक्शन नहीं हुआ तो प्राइवेट नौकरी कर लूंगा।
‘कम से कम 7 साल की तो सर्विस हो’
जयपुर ग्रामीण के फुलेरा के रहने वाले ताराचंद गुर्जर ने बताया कि शुरू से लगन थी फौज में जाऊंगा। लेकिन सरकार के अग्निवीर स्कीम लाने के बाद से मन उचट गया है।
सिर्फ 4 साल की नौकरी, न पेंशन, न शहीद का दर्जा। सरकार ने बहुत गलत किया है। सेना में जाने का सपना है, इसलिए तैयारी कर रहा हूं।
‘4 साल के लिए ही सही, नौकरी तो लगेगी’
पाली जिले की जैतारण तहसील के कनाडयचा गांव के सुरेंद्र बवाल 2 साल से सीकर की एकेडमी से सेना में जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं।
बोले- पिछली बार पेपर क्लीयर हो गया था, लेकिन फिजिकल में रह गया था। इस बार भी पेपर क्लीयर हो गया है। फिजिकल के लिए तैयारी कर रहा हूं।
पहले जोधपुर में तैयारी कर रहा था। किसान परिवार से हूं। पापा कर्ज पर लेकर तैयारी करा रहे हैं। पहले भी काफी रुपए खर्च हो गए थे।
20 की उम्र हो चुकी है, बेरोजगार हूं। अग्निवीर में पेंशन नहीं है, नौकरी पक्की नहीं है। लेकिन 4 साल के लिए ही सही, नौकरी तो लग जाएगी। उसके बाद क्या करूंगा, कुछ पता नहीं। सिलेक्शन नहीं हुआ तो प्राइवेट नौकरी कर लूंगा।
‘कम से कम 7 साल की तो सर्विस हो’
जयपुर ग्रामीण के फुलेरा के रहने वाले ताराचंद गुर्जर ने बताया कि शुरू से लगन थी फौज में जाऊंगा। लेकिन सरकार के अग्निवीर स्कीम लाने के बाद से मन उचट गया है।
सिर्फ 4 साल की नौकरी, न पेंशन, न शहीद का दर्जा। सरकार ने बहुत गलत किया है। सेना में जाने का सपना है, इसलिए तैयारी कर रहा हूं।
दोपहर 2 बजे हम सीकर की एमके मेमोरियल एकेडमी में पहुंचे। यहां सिरसा के दीपक ढाका से बात की। दीपक ने बताया डेढ़ साल से ट्रेनिंग कर रहा हूं।
अभी एयरफोर्स और आर्मी का पेपर क्लियर कर दिया है। अब फिजिकल की तैयारी कर रहा हूं। दोनों ही अग्निवीर की स्कीम है।
नौकरी करनी ही पड़ेगी, भले ही चार साल के लिए ही हो। परिवार की हालत ठीक नहीं है। ढाई साल का था, तब मां गुजर गई। पिता और दादी ने ही परिवार को संभाला था।
प्रिंस जाखड़ ने बताया कि दूजोद गांव का हूं। एक साल से तैयारी कर रहा हूं। पहले हम 15 से ज्यादा युवा थे। अग्निवीर आने के बाद अब 3 दोस्त ही रह गए हैं तैयारी करने वाले।
एकेडमी की डायरेक्टर कविता जाखड़ ने बताया कि राजस्थान में शेखावाटी से सबसे ज्यादा बच्चे फौज में जाते हैं। पहले 250 से ज्यादा बच्चे होते थे। अब स्कीम आने के बाद काफी कमी आई है।
डायरेक्टर इंजी मनीष ढाका ने बताया कि 2019 में डिफेंस एकेडमी खोली थी, तब बच्चों में क्रेज था। 350 बच्चे थे। कोरोना में कुछ कमी हुई थी। अब अग्निवीर स्कीम आने के बाद 40 से 50 बच्चे ही रह गए हैं।
शाम करीब 6 बजे हम प्रिंस एकेडमी में पहुंचे। वहां पर ग्राउंड में बच्चों की तैयारी कराई जा रही थी। एकेडमी के डायरेक्टर ने बताया कि अग्निवीर स्कीम का निगेटिव असर पड़ा है। कई एकेडमी बंद हो गई।
हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि खुद उनकी एकेडमी में इस वजह से नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन ओवरऑल नुकसान हुआ है, क्योंकि जॉब सिक्योरिटी नहीं है। 4 साल के बाद बच्चा क्या करेगा?
स्कीम में बदलाव होना चाहिए। शहीद का दर्जा भी दिया जाना चाहिए। टाइम पीरियड बढ़ाना चाहिए।
युवाओं का झलका दर्द : प्रिंस एकेडमी में भर्ती की तैयारी कर रहे कई युवाओं से भी बात की। कोटपूतली के सचिन कसाना ने बताया कि एक साल से तैयारी कर रहा हूं। सिर्फ 4 साल की सर्विस है, ऐसे में मोटिवेशन खत्म हो जाता है। भतरपुर के गौरव तिवारी ने बताया कि आर्मी में ज्यादातर किसान वर्ग के बच्चे ही जाते हैं। 4 साल पूरे होने के बाद उन्हें दूसरा ऑप्शन दिया जाना चाहिए। उनका पीएफटी लेकर दूसरी सर्विस में देना चाहिए।
चेतक डिफेंस एकेडमी के कोच अजीत चौधरी ने बताया कि पिछले 14 साल से युवाओं को तैयारी करवा रहा हूं। पहले 400 से 450 बच्चे हर साल तैयारी के लिए आते थे, अब ये आंकड़ा 40 से 50 रह गया है।
सिर्फ 4 साल की सर्विस के कारण बच्चों का रूझान सेना में जाने के लिए खत्म हो रहा है। सबसे ज्यादा किसान वर्ग से बच्चे ही आर्मी के लिए तैयारी करते थे। इसमें बदलाव होने चाहिए।
बच्चा 4 साल बाद वापस आएगा और उसकी कहीं नौकरी नहीं लगी तो वो क्या करेगा। प्राइवेट भी नौकरी नहीं लगी तो लूट, चोरी करने लगेगा। हथियार चलाने की प्रैक्टिस होगी तो बड़ा क्राइम भी करेगा।
50 से ज्यादा एकेडमी थी, आधी से ज्यादा बंद
अग्निवीर स्कीम आने के बाद से डिफेंस एकेडमी की हालत खराब हो चुकी है। पहले सांवली सर्किल से लेकर राणीसती तक 50 से 60 एकेडमी थी।
इनमें से ज्यादातर बंद हो चुकी हैं। जो 10 से 12 एकेडमी बची हैं, उनमें युवा पुलिस और बाकी भर्तियों की तैयारी कर रहे है।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.