रूस के दागिस्तान में रविवार (23 जून) को आतंकियों ने दो चर्च, एक सिनेगॉग (यहूदी मंदिर) और एक पुलिस पोस्ट पर हमला कर दिया। इसमें एक पादरी, 15 पुलिसकर्मियों के अलावा कई आम नागरिकों की भी मौत हो गई। पुलिस के 25 जवान भी घायल हैं। वहीं, 4 आतंकी भी मारे गए हैं।
CNN के मुताबिक आतंकियों ने पादरी का गला काट दिया था। पादरी 66 साल के थे। जिस यहूदी मंदिर और चर्च पर हमला हुआ वे दागिस्तान के डर्बेंट शहर में हैं, जो मुस्लिम बहुल इलाके उत्तरी काकेशस में यहूदी समुदाय का गढ़ है। जिस पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ वह डर्बेंट से 125 किमी दूर दागिस्तान की राजधानी माखचकाला में है।
रूस की नेशनल एंटी-टेररिज्म कमेटी ने भी एक बयान में हमले की पुष्टि की है। दागिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि हथियारबंद लोगों के एक समूह ने एक सिनेगॉग और एक चर्च पर गोलीबारी की। इनमें चार आतंकियों को मार गिराया गया। कुछ भाग गए, जिनकी तलाश की जा रही है।
हमले के बाद यहूदी मंदिर में आग लगी
अलजजीरा न्यूज नेटवर्क के मुताबिक, डर्बेंट स्थित एक सिनेगॉग और चर्च में आतंकी हमले के कारण आग लग गई। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया। अटैक के बाद हमलावरों को एक कार में भागते देखा गया। आतंकियों ने दूसरे यहूदी मंदिर पर भी गोलियां चलाईं। उस समय वहां कोई नहीं था, जिसके चलते लोगों की जान बच गई।
रूसी न्यूज एजेंसी TASS ने बताया कि हमलावर एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के सदस्य थे। फिलहाल, किसी आतंकी संगठन ने हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है।
दागिस्तान ने यूक्रेन और NATO देशों को जिम्मेदार ठहराया
दागिस्तान ने हमले के पीछे यूक्रेन और NATO देशों को जिम्मेदार ठहराया है। दागिस्तान के नेता अब्दुलखाकिम गडजियेव ने टेलीग्राम पर लिखा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि ये आतंकी हमले किसी न किसी तरह से यूक्रेन और NATO देशों की खुफिया सेवाओं से जुड़े हैं।
रूस में आतंकी हमले को लेकर यूक्रेन की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है। पड़ोसी देश चेचन्या के राष्ट्रपति रमजान कादिरोव ने कहा कि जो कुछ हुआ वह उकसावे और बयानों के बीच कलह पैदा करने का प्रयास जैसा लगता है।
रूस में इस साल का दूसरा बड़ा आतंकी हमला
रूस के दागिस्तान में हुआ अटैक इस साल का दूसरा बड़ा आतंकी हमला है। इससे पहले मार्च में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 143 लोगों की मौत हो गई थी। हमले की जिम्मेदारी ISIS-K ने ली थी। हालांकि, रूस ने इसमें यूक्रेन की मिलीभगत होने के आरोप लगाए थे। पुतिन 18 मार्च को 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बने थे। हमला उसके 5 दिन बाद हुआ था।
BBC ने अपनी रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा- हमला ISIS की खुरासान विंग यानी ISIS-K ने किया। ISIS-K का नाम उत्तरपूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले क्षेत्र के नाम पर रखा गया है।
यह संगठन सबसे पहले 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में एक्टिव हुआ। तब रूस के उग्रवादी समूहों के कई लड़ाके इसमें शामिल होने सीरिया पहुंच गए।
ये पुतिन और उनके प्रोपागेंडा का विरोध करते हैं। इनका कहना है कि पुतिन की सरकार चेचन्या और सीरिया में हमले कर मुसलमानों पर अत्याचार करती है। अफगानिस्तान ने मुसलमानों पर इसी तरह के अत्याचार रूस ने सोवियत काल के दौरान किए थे।
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