राजस्थान में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) में नाम जुड़वाने के लिए साल 2022 से आए आवेदकों को अब भी इंतजार करना पड़ रहा है। गहलोत सरकार के समय भले ही आवेदनों को ले लिया, लेकिन उन आवेदनों की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी। अभी करीब 9.38 लाख रुपए आवेदनों की जांच पेंडिंग है, जबकि 40 हजार से ज्यादा लोगों के आवेदन निरस्त किए जा चुके है।
सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इन आवेदनों को जोड़ने और इसके लाभार्थियों की संख्या में 15 फीसदी का इजाफा जनसंख्या के अनुरूप करने की भी मांग पूर्व में उपभोक्ता मामला मंत्री रहे पीयूष गोयल से की थी।
अब तक केवल 5.32 लाख आवेदकों को नाम जोड़े
गहलोत सरकार के समय अप्रैल-मई 2022 में जो 19 लाख 57 हजार 991 आवेदन मिले थे, उसमें से अब तक केवल 5 लाख 32 हजार 441 आवेदकों के परिजनों के नाम ही योजना से जोड़े है। इसमें 20 लाख 61 हजार 314 लोग है।
4 लाख लोगों के आवेदन रिटर्न किए
सरकार ने इन सभी आवेदनों में से 4 लाख 1 हजार 759 लोगों के आवेदनों को कागजी कमी पूरी नहीं करने के चलते रिटर्न कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा जयपुर जिले के 39 हजार आवेदन है। नागौर में 28 हजार 880 और भीलवाड़ा में 22 हजार से ज्यादा लोगों के आवेदन रिटर्न किए है।
सबसे ज्यादा जोधपुर-बाड़मेर में पेंडेंसी
आवेदनों की जिलेवार स्थिति देखे तो सबसे ज्यादा आवेदन जयपुर, नागौर, जोधपुर और बाड़मेर में आए, जहां आवेदनों की संख्या 1 लाख से ज्यादा रही। लेकिन पेंडेंसी के सबसे ज्यादा केस जोधपुर में है। जोधपुर में 1 लाख 5 हजार 283 लोगों ने आवेदन किए, लेकिन उसमें से अब तक 61 हजार 400 से ज्यादा लोगों के आवेदनों की जांच ही नहीं हुई। इसी तरह बाड़मेर में 1.12 लाख आवेदनों में से 60 हजार 400 आवेदन पेंडिंग पड़े है। अलवर में भी 50 फीसदी से ज्यादा आवेदन जांच के लिए पेंडिंग पड़े है।
30 लाख लोग नहीं लेते नियमित अनाज
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में बताया कि वर्तमान में 4.46 करोड़ लोग राज्य में NFAS की सूची से जुड़े है, जिनमें से केवल 4.15 करोड़ लोग ही है जो नियमित गेंहू उठाते है। बाकि व्यक्ति साल में कुछ ही महीने का गेंहू उठाते है। ऐसे में अगर लाभार्थियों की चयन सीमा को वितरण सीमा में बदल दिया जाए तो 30 लाख लोगों को अनाज मिल सकेगा।
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