झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन शुक्रवार 28 जून को रांची की बिरसा मुंडा जेल से बाहर आ गए। जेल के बाहर समर्थकों ने उनका स्वागत किया। हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन भी उन्हें लेने के लिए जेल पहुंची थीं।
जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन ने कहा कि मुझे झूठे आरोपों में 5 महीने जेल के अंदर रखा गया। झारखंड के लोगों के लिए 5 महीने बहुत कठिन थे। सुनियोजित तरीके से लोगों की आवाज दबाई जा रही है। दिल्ली में मुख्यमंत्री जेल में बंद है। मंत्रियों को जेल में डाल दिया जा रहा है। न्याय की प्रक्रिया इतनी लंबी हो रही है कि न्याय मिलने में कई महीने लग रहे हैं।
मेरे मामले में कोर्ट का आदेश आज सभी को मिलेगा। उसे देखना चाहिए। कोर्ट के आदेश का आपको आंकलन करना चाहिए। देखना चाहिए कि उसमें क्या कहा गया है। आज मेरी जेल यात्रा खत्म हुई।
हाईकोर्ट ने कहा- पूर्व सीएम के खिलाफ ठोस सबूत नहीं
हेमंत को शुक्रवार सुबह ही जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिली। कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने के ठोस सबूत नहीं मिले।
हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि वे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) एक्ट के तहत जमानत की दोनों शर्तों को पूरा करते हैं।
कोर्ट के फैसले के बाद सोरेन के सरकारी आवास में मिठाई बांटी गईं। हेमंत को इस मामले में 31 जनवरी की रात ED ने गिरफ्तार किया था।
जमानत याचिका पर 13 जून को सुनवाई पूरी हो चुकी थी। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में पिछले तीन दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
PMLA एक्ट के सेक्शन 45 के तहत जमानत की 2 शर्ते
1. यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं हो कि आरोपी ने कथित अपराध किया।
2. जमानत पर रहने के दौरान आरोपी उस तरह का कोई अपराध नहीं करेगा।
कोर्ट ने ये भी कहा कि सोरेन दोनों शर्तों को पूरा करते हैं। इसलिए अदालत उन्हें रेगुलर जमानत दे रही है।
हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद किसने क्या कहा...
ED ने जमानत का किया था विरोध
13 जून को ED की ओर से वकील एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन को जमानत नहीं दी जा सकती। वे प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्हें जमानत मिली तो वे राज्य की मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए जांच को प्रभावित कर सकते हैं।
ED ने कोर्ट में आरोप लगाया कि सोरेन ने अवैध तरीके से बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया। यह पीएमएलए-2002 में निहित प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग है।
सोरेन की वकील बोलीं- ये राजनीतिक बदले की भावना से किया गया
हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि इस केस में मनी लान्ड्रिंग का मामला नहीं बनता। यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का मसला है। ED ने अपनी चार्जशीट में जिस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही है, वह महज उसका अनुमान है।
इससे पहले हेमंत सोरेन के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस 8.86 एकड़ जमीन को लेकर ED कार्रवाई कर रही है, वह उनके नाम है ही नहीं। ED सिविल मामले को क्रिमिनल बना रही है। ऐसे में उन्हें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर जमानत दी जाए।
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