मरने वालों में श्रीधरण के 55 साल के पिता शशिकांत थे। 84 लोग अब भी हॉस्पिटल में हैं। 74 लोगों को छुट्टी मिल गई है। हैरानी की बात ये है कि गांव में इतनी मौतों के बाद भी शराब मिल रही है। नशे में धुत लोग सड़कों पर पड़े हैं। अफसर खुद मानते हैं कि यहां लोग चाय की तरह सुबह से शराब पीने लगते हैं।
करुणापुरम गांव में जहरीली शराब से मौतों के बाद दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा। हम उन परिवारों से मिले, जिनके घर में मौत हुई है। गांववालों से बात करके जाना कि 18 जून को क्या हुआ था। यहीं पता चला कि गोविंदराज नाम का शख्स गांव में शराब बेचता था। उसका परिवार दो पीढ़ी से इसी धंधे में है। पढ़िए गांव में अब क्या माहौल है।
तारीख: 26 जून, 2024
वक्त: दोपहर करीब 2 बजे
हम करुणापुरम गांव में घुसे ही थे कि चाय की दुकान के सामने एक शख्स जमीन पर पड़ा मिला। नशे में इतना धुत कि सहारा देने पर भी खड़ा नहीं हो पा रहा था। आसपास मौजूद लोग अपने-अपने काम में लगे थे। उन्हें देखकर लगा कि ये सब उनके लिए रोजमर्रा की बात है।
थोड़ा आगे बढ़े तो गांव के बस स्टैंड पर मंदिर के बगल में नशे में धुत एक और शख्स मिला। वहीं बस का इंतजार कर रहे सैकड़ों लोग, महिलाएं और बच्चे भी थे। हमने शख्स से उसका नाम-पता पूछा, लेकिन नशे की वजह से वो कुछ बता नहीं पाया। इससे साफ हो गया कि करुणापुरम गांव में अब भी शराब मिल रही है और लोग पी रहे हैं।
गांव की गलियों में सन्नाटा, घरों पर श्रद्धांजलि वाले पोस्टर
गांव के कई घरों के बाहर अलग-अलग फोटो के साथ श्रद्धांजलि वाले पोस्टर लगे हैं। सभी में एक बात कॉमन है, मौत की तारीख। जहरीली शराब पीकर मरने वाले 65 में से 47 लोग करुणापुरम गांव के रहने वाले थे। बाकी बगल के शेषसमुद्रम और माधवचेरी गांव के थे। करुणापुरम में अब मातम का शोर तो नहीं है, लेकिन गांव में सन्नाटा पसरा है।
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