भोले बाबा ने 56 साल पहले 'मातेश्वरी' से की शादी ससुराल की फसल कटवाते हैं सेवादार सिंहासन पर साथ बैठने वाली महिला की कहानी

हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ में 123 लोगों की मौत के बाद सूरजपाल सिंह जाटव उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में है। जो तस्वीरें सामने आईं, उनमें एक महिला हमेशा भोले बाबा के साथ दिखती है।

बोलती एक शब्द नहीं, मगर सिंहासन पर बाबा के बगल में बैठती है। उसे अनुयायी मां जी, मातेश्वरी, जगत जननी...जैसे कई नामों से पुकारते हैं। शुरुआत में कहा गया, वह रिश्ते में भोले बाबा की मामी है। कुछ रिपोर्ट में कहा गया कि बाबा की पहली पत्नी की डेथ हो चुकी है। उनकी पत्नी कटोरा देवी थीं।

भोले बाबा का जिक्र किया, लोग बिना बोले आगे बढ़ गए
एटा में दरियागंज रेलवे स्टेशन के बराबर से एक रास्ता जैथरा जाता है। इस रास्ते पर करीब 8 किलोमीटर चलने पर गुहटिया खुर्द गांव है। रास्ते में कई लोग मिले, उन्हें रोककर जब भोले बाबा उर्फ सूरजपाल का जिक्र किया तो किसी ने बात ही नहीं की। वे चुपचाप आगे बढ़ गए।

यहां की ऊबड़-खाबड़ सड़क से होते हुए हम गांव पहुंचे तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था। मिश्रित जाति के इस गांव के एक हिस्से में जाटव समाज के लोग रहते हैं। गांव के लोग भोले बाबा और उस महिला के बारे में कुछ नहीं सुनना और बोलना चाहते।

प्रधान से मिले तो सामने आई सच्चाई
हम गांव के प्रधान श्याम पाल सिंह से मिलने पंचायत घर पहुंचे। यहां वो 2-3 और लोगों के साथ बैठे थे। हमने उनसे पूछा- क्या यही भोले बाबा की ससुराल है। जवाब मिला- बिल्कुल यही है। क्या काम है? प्रधान ने जवाब दिया तो हम भोले बाबा की शादी की कहानी समझने के लिए वहीं बैठ गए।

पूछा- भोले बाबा की शादी कब हुई थी? जवाब में प्रधान श्याम पाल सिंह ने कहा- वो जो आपको सूरजपाल के साथ बैठी दिखती हैं, वो कोई और नहीं उनकी पत्नी प्रेमवती हैं।

सूरजपाल की शादी करीब 55-56 साल पहले प्रेमवती से हुई थी। इसके बाद उसकी किस्मत बदल गई। शादी के बाद सूरजपाल गांव आता-जाता था। शादी के 5 साल बाद पुलिस में नौकरी लग गई। इसके बाद भी आना-जाना लगा रहा।

गांव के दुर्गविजय बोले- पुलिस थी नहीं, लाखों लोग पहुंच गए
प्रधान की बात खत्म हुई तो पास बैठे दुर्गविजय सिंह बोल पड़े। वे शासन और प्रशासन की कार्रवाई से भी नाखुश नजर आए। उन्होंने कहा- लाखों लोग समागम में पहुंच गए। पुलिस थी ही नहीं। बाबा के खिलाफ अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। ऐसी क्या बात है, कुछ न कुछ तो है।

गांव में रहते हैं प्रेमवती के भाई मेवाराम
अब हमने प्रधान श्याम पाल से पूछा कि भोले बाबा की ससुराल में परिवार के और कौन सदस्य हैं। उन्होंने बताया- प्रेमवती के एक भाई हैं मेवाराम।

मेवाराम को सभी नेताजी के नाम से जानते हैं। उनके 5 बेटी और 3 बेटे हैं। मेवाराम का आम का बाग है और खेती करते हैं।

भोले बाबा के साले बोले- 1968 में हुई थी शादी
हमें बताया गया कि मेवाराम इस वक्त गांव में नहीं हैं। गांव में करीब 10-15 लोगों से बात करने के बाद मेवाराम का मोबाइल नंबर मिला। फोन मिलाया तो एक बार में नहीं उठा। दोबारा फोन किया गया तो उन्होंने फोन उठाया।

उन्होंने बताया कि मेरी बहन की शादी 1968 में हुई थी। बहुत ज्यादा परिवार से मिलना-जुलना नहीं हो पाता था। इसके बाद जब उनसे भोले बाबा और बहन से मुलाकात के बारे में बात की। तब वह टालमटोल करने लगे। फिर फोन काट दिया। इसके बाद फोन नहीं उठाया।

जब शादी हुई, 17 साल का रहा होगा बाबा
भोले बाबा की उम्र अभी 73 के आसपास बताई जा रही है। प्रेमवती के भाई मेवालाल ने 1965 में शादी की बात कही। इसके अनुसार जब भोले बाबा की शादी हुई होगी, तब उसकी उम्र करीब 17 साल रही होगी।

सेवादारों की गाड़ियां आती हैं फसल कटवाने
मेवाराम से अधूरी बातचीत हुई। ज्यादा जानकारी करने के लिए एक बार फिर गांव के अंदर पहुंचे। वहां गांव के लोगों से बात करने का प्रयास किया। मगर, कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ।

गांव से बाहर आए तो एक ग्रामीण ने बिना अपनी पहचान बताए कहा- जब फसल कटती है तो बाबा के सेवादारों की गाड़ियां आती हैं। वो फसल लेकर चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि जब मेवाराम की पहली पत्नी की मौत हुई थी तो प्रेमवती के यहां से ही खाना बनकर आया था।

अब जानिए भोले बाबा के परिवार को
सूरजपाल कासगंज के पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव का रहने वाला है। भोले बाबा उर्फ सूरजपाल तीन भाई थे। सबसे बड़ा सूरजपाल है। दूसरे नंबर पर भगवान दास थे, जिनकी मौत हो चुकी है और तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं।

राकेश कुमार का परिवार गांव में ही रहता है। एक छोटे सामान्य घर में राकेश कुमार रहते हैं। 2 जुलाई से पहले इस जगह को कोई जानता तक नहीं था। इस रास्ते को कोई नहीं जानता था।

आज राकेश कुमार के घर के पास लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। इसी गांव में बाबा का सबसे पहला आश्रम है। लेकिन, बाबा अपने परिवार से कोई संबंध नहीं रखता है। बाबा इस गांव के आश्रम में भी बहुत कम आया है।

मुख्य सेवादार जेल भेजा गया
2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में भोले बाबा का समागम था। दोपहर में सत्संग खत्म होने के बाद बाबा वहां से निकला तो महिलाएं चरणों की धूल लेने के लिए उमड़ पड़ीं। सेवादारों ने वाटर कैनन से पानी की बौछार की तो महिलाएं गिर गईं। तभी धक्का-मुक्की हुई और भगदड़ मच गई।

इस हादसे में 123 लोगों की मौत हुई। इनमें 113 महिलाएं और 7 बच्चे थे। घटना के बाद से बाबा फरार है। हाथरस पुलिस ने मुख्य सेवादार और कार्यक्रम आयोजक देव प्रकाश मधुकर को गिरफ्तार किया। उसे 14 दिन के लिए अलीगढ़ जेल भेज दिया गया।

अब तक हाथरस पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। शनिवार सुबह बाबा का पहला वीडियो सामने आया। उसने घटना पर दुख जताते हुए कहा, अराजक तत्वों ने साजिश की है। साजिशकर्ता बख्शे नहीं जाएंगे। उसने एपी सिंह को अपना वकील नियुक्त किया है।

हाथरस भगदड़ की तीन लेवल पर जांच हो रही है। एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है। SIT और न्यायिक आयोग की जांच जारी है। आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने रविवार को हादसा स्थल का जायजा लिया।

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