भजनलाल सरकार का पहला पूर्ण बजट कल पेश होगा। वित्त मंत्री दीया कुमारी सदन में सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी। लेकिन करीब 20 साल बाद यह पहला मौका है, जब केन्द्र सरकार से पहले राज्य का बजट पेश हो रहा है।
हमेशा केन्द्र सरकार के बाद ही राज्य का बजट पेश होता आया है। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना है कि इस बजट में यह नई चीज हो रही है। उन्होंने कहा कि यह कंफ्यूजन की स्थिति सरकार द्वारा लाई गई है।
इस सरकार में कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है। ये जो लेखानुदान लेकर आए थे। वो जुलाई में खत्म हो रहा है। इसलिए केन्द्र सरकार से पहले बजट पेश करना इनकी मजबूरी बन गई है। जबकि राज्यों का बजट तो केन्द्र सरकार पर ही निर्भर करता है। यह सरकार तो पूरी तरह से केन्द्र सरकार पर निर्भर हैं। मुख्यमंत्री बार-बार दिल्ली गए हैं। अलग-अलग नेताओं को बुके देकर आए हैं। अब देखना है, केन्द्र से राज्य को कितना सहयोग मिलता है
करीब 20 साल से केन्द्र के बाद आया है राज्य का बजट
आकड़ों पर नज़र डाले तो साल 2004 से लगातार राज्य का बजट केन्द्र सरकार के बाद ही पेश हुआ हैं। इसकी वज़ह रही है कि केन्द्र द्वारा होने वाले करों के भुगतान के अनुसार राज्य सरकार अपना बजट तैयार करती हैं। वहीं जीएसटी लागू होने के बाद तो राज्य पूरी तरह से केन्द्र पर निर्भर हो गए है।
जीएसटी कलेक्शन पूरी तरह से केन्द्र सरकार के खाते में जाता हैं। जिसका पुर्नभुगतान केन्द्र द्वारा राज्यों को किया जाता हैं। ऐसे में केन्द्र के बजट में राज्यों को सालभर में दी जाने वाली राशि का अनुमान होता हैं। उसी अनुसार राज्य अपना बजट बनाते हैं।
20 साल में कब-कब केन्द्र और राज्य का पहला पूर्ण बजट पेश हुआ
साल | केन्द्र | राज्य |
2004 | 8 जुलाई | 12 जुलाई |
2009 | 6 जुलाई | 8 जुलाई |
2014 | 10 जुलाई | 14 जुलाई |
2019 | 5 जुलाई | 10 जुलाई |
सरकार पुरानी चीजों में अटकी हुई, नया विज़न नहीं
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि इस सरकार में असमंजस की स्थिति नज़र आ रही हैं। ये जो कहते है वो कर नहीं पा रहे हैं। केवल पिछली सरकार ने जो किया, उस पर अंगुली उठा रहे हैं। हमारी योजनाओं को बंद करने का काम इन्होने किया हैं। हमने जो ऐतिहासिक निर्णय़ लिए थे। नए जिले बनाने, कॉलेज और इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने, गरीबों को पट्टे देने का काम। उनकी समीक्षा कराने की बात सरकार कह रही हैं।
मैं समझता हूं कि यह सरकार पुरानी चीजों पर ही अटकी हुई हैं। इनका कोई नया विज़न नज़र नहीं आ रहा हैं। टीकाराम जूली ने कहा कि लेखानुदान मांग में जो इन्होंने घोषणाएं की थी। वो लगभग 90 प्रतिशत कहीं नज़र नहीं आई। इन्होंने पहले कहा किसानों की सम्मान निधि हम 6 हज़ार रुपए बढ़ाएंगे। लेखानुदान में कहा 2 हज़ार बढ़ाएंगे। 15 दिन पहले 1 हज़ार रुपए दिए। अब जो एक हज़ार बच गए हैं। वो भी दो किस्तो में देने की बात कह रहे हैं।
70 हज़ार भर्तियां, 500 इलेक्ट्रिक बसों की घोषणा। कुछ भी धरातल पर नज़र नहीं आ रहा हैं।
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