अयोध्या में देश का सबसे लंबा धनुष और बाण स्थापित होगा। धनुष की लंबाई 33 फीट और वजन 3400 किलो है। धनुष के साथ 3900 किलो का गदा भी लगेगी।
गदा और धनुष-बाण पंच धातु से बनाए गए हैं। राजस्थान में सुमेरपुर के शिवगंज स्थित श्रीजी सनातन सेवा संस्थान ने बनवाया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा- सूचना मिली है कि कुछ भक्त गदा और धनुष-बाण लेकर आ रहे हैं। पहले उसे कारसेवकपुरम में रखा जाएगा, फिर तय किया जाएगा कि इन्हें कहां स्थापित किया जाए।
राजस्थान से अयोध्या 5 पड़ाव में निकाली गई यात्रा
राजस्थान से अयोध्या के बीच पांच पड़ाव पार करते हुए यह कारवां अयोध्या पहुंच रहा है। इसमें पहला पड़ाव बर में, दूसरा जयपुर में, तीसरा आगरा में था। चौथा पड़ाव लखनऊ में, फिर पांचवां और आखिरी पड़ाव है अयोध्या। हर पड़ाव में कई प्रमुख राजनेताओं, साधु-संतों और आम लोग इस गदा और धनुष का स्वागत कर रहे हैं।
इस यात्रा को निकालने के लिए पिछले तीन महीने से तैयारियां की जा रही थीं। इस साल के मार्च से कारीगरों से लेकर यात्रा निकालने वाले लोग इसमें लगे हुए थे।
यात्रा में साथ चलने वाले लोगों के लिए 105 एसी बसों का इंतजाम किया गया। राजस्थान से ही इन बसों में लोग धनुष-बाण और गदा के साथ अयोध्या पहुंच रहे हैं।
हाईटेंशन तार में फंसने से धनुष की लंबाई छोटी करनी पड़ी
सबसे पहले पाली में हाईवे पर 72 फीट बालाजी से कुछ आगे राम धनुष का रथ रोकना पड़ा था। वजह बनी हाईटेंशन लाइन। दरअसल, धनुष की लंबाई ज्यादा होने से वह हाईटेंशन तार से टकरा रहा था। ऐसे में, यात्रा रोकी गई। बिजली विभाग को भी इस बात की सूचना दी गई।
सूचना पाकर एलएंडटी की हाईवे टीम मौके पर पहुंची और धनुष लिए रथ को सड़क के किनारे कराया। ताकि किसी हादसे से बचा जा सके। आगे बढ़ने से पहले रास्ते में ही धनुष की लंबाई कम की गई। धनुष को लेकर ट्रॉला लखनऊ पहुंच गया है।
अब तक की जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा में 17 फीट लंबा और 900 किलो वजनी धनुष स्थापित है। वहीं, देश की सबसे वजनी और लंबाई वाली गदा इंदौर के पितृ पर्वत पर स्थापित है। इसका वजन 21 टन और लंबाई 45 फीट है।
गदा को लेकर ट्रॉला आगरा से निकल गया है। शुक्रवार को आगरा में गुरु का ताल के पास स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पर स्वागत किया गया। श्री रामरथ का बाबा मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी द्वारा विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाद भव्य आरती की गई।
रामधनुष और गदा को तैयार करने में लगा ढाई महीने का वक्त
सुमेरपुर के कारीगर कैलाश सुथार धनुष-बाण और गदा के बारे में बताते हुए कहते हैं कि भगवान श्रीराम का धनुष और भगवान हनुमान की गदा बनाने का काम उनकी फर्म वास्तु आर्ट शिवगंज को मिला था।
उन्होंने और उनके साथी हितेश सोनी की देखरेख में 20 कारीगरों ने लगातार 75 दिन काम किया। कारीगरों ने कहा- यह उनके लिए गर्व की बात है। हर किसी को ऐसा सौभाग्य नहीं मिलता है। हमें मिला तो लग कर इसे पूरा किया।
धनुष-बाण और गदा बनाने के लिए राम भक्तों ने 35 से 40 लाख दान दिया
श्रीराम के धनुष-बाण और हनुमान की गदा भक्तों के दान दिए पैसों से बनी है। इसकी प्लानिंग से लेकर तैयार होने तक सब का जिम्मा श्रीराम भक्तों ने अपने कंधे पर लिया। 12 जून को यात्रा निकलने से पहले भी लोगों ने चर्चा की आगे की रुपरेखा को आकार दिया।
भक्तों ने ही इसके निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग दिया है। इसमें करीब 35 से 40 लाख रुपए राशि इकट्ठा किया गया। इसके आयोजक गोपालजी मंदिर के पुजारी रमेश पंडित, आयोजन के सूत्रधार रामलाल माली शिवगंज, कान्तिलाल माली अरठवाड़ा, कैलाश सिरोही शामिल रहे।
ये पहले अयोध्या में चार चांद लगा चुके हैं…
अयोध्या में है विश्व का सबसे बड़ा ताला और चाबी
अयोध्या में पहले ही अलीगढ़ से 400 किलो यानी 4 क्विंटल का ताला पहुंचाया जा चुका है। 10 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े इस ताले की मोटाई 9.5 इंच है। 4 फीट लंबी इसकी चाबी 30 किलो की है। इस ताले को बनाने में करीब 2.5 लाख रुपए का खर्च आया था।
सारी उम्र ताला बनाकर गुजर बसर करने वाले सत्यप्रकाश की एक ही इच्छा थी कि श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के समय वह मंदिर को ताला भेंट करें। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा से 41 दिन पहले ही उनकी मौत हो गई थी।
पूर्व IAS ने दान में दी 1000 पन्नों वाली सोने की रामचरितमानस
सोने की रामचरितमानस को मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व IAS लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी ने राम मंदिर ट्रस्ट को भेंट किया था। रामचरितमानस 1000 पेज की है। वजन-155 किलोग्राम है।
इसमें 4 किलो सोने और 151 किलो तांबे का इस्तेमाल किया गया। हर पेज पर 24 कैरट सोने की परत चढ़ाई गई। साथ ही हर पेज पर 3 किलोग्राम तांबा भी लगा है। वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स ने रामचरितमानस को 3 महीने में तैयार किया था। इसे बनाने में करीब 5 करोड़ रुपए खर्च आया।
बड़ौदा से आई थी 108 किलो और 108 फीट की अगरबत्ती
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन 108 किलो की 108 फीट लंबी अगरबत्ती जलाकर रिकॉर्ड बनाया गया था। यह अगरबत्ती गुजरात में बनाई गई थी। इसे बनाने वाले थे गुजरात के बड़ौदा के गौ भक्त विहाभाई करशन भाई भरवाड़ गोपाल।
6 महीने तक मेहनत कर उन्होंने खुद यह अगरबत्ती बनाई थी। एक अनुमान के मुताबिक यह विश्व की सबसे बड़ी अगरबत्ती थी। इसमें बनाने में कुल 5 लाख रुपए की लागत आई थी।
वहीं, इसे बनाने में करीब 6 महीने का समय लगा था। इसे भी धनुष-बाण और गदा की तरह गुजरात से रथ से अयोध्या लाया गया था। रास्ते में जहां-जहां यह रथ पहुंचता, लोग इस पर पुष्प वर्षा कर स्वागत करते।
बड़ौदा से अयोध्या लाने में भी लाखों का खर्च हुआ था। कानाराम कोरवाल ट्रांसपोर्टर ने इसके लिए 4 लाख 10 हजार रुपए किराया लिया था। इसी तरह अगरबत्ती के पैकिंग जिस फाइबर से की गई थी, उसके लिए करीब 2 लाख 50 हजार का खर्चा आया था।
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