लोकसभा चुनाव खत्म हुए 12 दिन और नई सरकार बने 7 दिन हो चुके हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का विवाद खत्म नहीं हो रहा। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार 16 मई को कहा- भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरह है। किसी को भी इसकी जांच की अनुमति नहीं है।
राहुल का बयान दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन इलॉन मस्क के एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया है। टेस्ला के CEO मस्क ने 15 जून को लिखा- EVM को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या AI द्वारा हैक किए जाने का खतरा है। हालांकि, ये खतरा कम है, फिर भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका में इससे वोटिंग नहीं करवानी चाहिए।
राहुल गांधी ने मस्क के पोस्ट को मिड डे अखबार में छपी खबर के साथ रीपोस्ट किया। इसमें मुंबई की घटना का जिक्र है। दरअसल, मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से NDA और शिवसेना (शिंदे) प्रत्याशी रविंद्र वायकर के साले मंगेश पंडिलकर 4 जून को पाबंदी के बावजूद एक चुनाव अधिकारी का मोबाइल लेकर गोरेगांव के काउंटिंग सेंटर के अंदर गए थे।
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग के एक अधिकारी के पास मोबाइल फोन था, जिससे मतगणना के दौरान ओटीपी जनरेट होता है। इससे EVM अनलॉक किया जा सकता है। इस फोन का इस्तेमाल सांसद के रिश्तेदार पंडिलकर कर रहे थे। पुलिस को संदेह है कि फोन का इस्तेमाल सुबह से शाम 4.30 बजे तक किया गया, जब काउंटिंग के दाैरान कांटे की टक्कर चल रही थी।
आखिरकार, वायकर शिवसेना उद्धव गुट के अमोल कीर्तिकर से सिर्फ 48 वोट के अंतर से जीते। 2024 लोकसभा चुनाव में यह जीत का सबसे छोटा अंतर है। मुंबई पुलिस ने कई नेताओं और चुनाव आयोग की शिकायतों के बाद 15 जून को मंगेश पंडिलकर और एक चुनाव अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया है। अब चुनाव आयोग आज 4:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है।
इलॉन मस्क का पोस्ट
मस्क ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर की एक पोस्ट को रीपोस्ट करके कही। कैनेडी जूनियर ने प्यूर्टो रिको के चुनावों में EVM से जुड़ी अनियमितताओं के बारे में बताया था और पेपर बैलेट पर लौटने की बात कही थी। अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होंगे।
रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर बोले- पेपर बैलेट पर लौटना होगा
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने पोस्ट में लिखा था- ‘प्यूर्टो रिको के प्राइमरी इलेक्शन में EVM से वोटिंग के दौरान कई अनियमितताएं सामने आई थीं। सौभाग्य से यह एक पेपर ट्रेल था, इसलिए समस्या की पहचान की गई और वोटों की गिनती को सही किया गया। सोचिए उन क्षेत्रों में क्या होता होगा, जहां कोई पेपर ट्रेल नहीं है?'
‘अमेरिकी नागरिकों के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके प्रत्येक वोट की गणना की गई है। उनके चुनावों में कोई सेंध नहीं लगाई जा सकती। चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से बचने के लिए उन्हें पेपर बैलेट पर वापस लौटना होगा।'
भारत में भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
इसी साल अप्रैल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस मांग से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इसके अलावा कई पॉलिटिकल पार्टियों से जुडे़ लोग EVM पर सवाल उठाते रहे हैं।
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