मुस्लिम समाज द्वारा आज देश भर में ईद उल अजहा का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाजारों में महंगे से महंगा बकरा खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। पिछले 5 दिनों से लोग बकरों की खरीदारी में लगे हुए हैं और अगले दो-तीन दिन जारी रहेगी।
इस बीच सीकर की बकरा मंडी में बकरे खरीदने के लिए व्यापारी और खरीदारों से विशेष शुल्क लिया जा रहा है। जिसका पैसा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च हो रहा है।
हम बात कर रहे हैं सीकर की बकरा मंडी की। इस बकरा मंडी में बने तालीमुल कुरान सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष शुल्क लिया जाता है। इस शुल्क का पूरा पैसा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होता है जिसकी बदौलत बच्चों को फ्री में शिक्षा मिलती है।
तालीमुल कुरान सीनियर सेकेंडरी स्कूल 12वीं तक का स्कूल है जो RBSE से मान्यता प्राप्त है। स्कूल में आर्ट्स व साइंस सब्जेक्ट्स की पढ़ाई होती है। स्कूल में 1800 बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें फ्री में पढ़ाया जाता है। पिछले 60 साल से यहां काम हो रहा है और बकरा मंडी के पैसे से ही बच्चे फ्री में पढ़ रहे हैं जो की एक बड़ा आंकड़ा है।
इस स्कूल की शुरुआत 1966 में बकरा मंडी के व्यापारियों ने की थी।जिसके बाद से लगातार यह स्कूल चल रहा है और बकरा मंडी के पैसे से ही इसकी पूरी व्यवस्थाएं हो रही है।
बकरा मंडी के नायाब सदर खुर्शीद अहमद बताते हैं कि ईद उल अजहा यानी बकरा ईद का त्यौहार मुस्लिम समाज का मुख्य त्यौहार है इसका उल्लेख इस्लाम में भी है। मुस्लिम समाज द्वारा इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस त्यौहार पर बकरा मंडी के लोग एक सकारात्मक काम कर रहे हैं। जिसकी बदौलत बकरा ईद पर इकट्ठे होने वाले सकारात्मक पैसे का सही उपयोग हो रहा है। यहां आने वाले प्रत्येक व्यापारी व खरीददार से 40 से 60 रुपए का शिक्षा शुल्क लिया जाता है जो बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होता है।
बकरा मंडी के मुंशी अल्ताफ़ हुसैन का कहना है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को फ्री में तालीम दी जाती है ताकि गरीब परिवारों के बच्चे अपना करियर बना सके। स्कूल में करीब 15 टीचर बच्चों को पढ़ाते हैं बकरा मंडी के पैसे से ही उन्हें सैलरी दी जाती है। इसके अलावा जरूरतमंद लोगों की मदद शिक्षा व सामाजिक सरोकार के लिए पैसे का उपयोग होता है।
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