जून महीने में भीषण गर्मी और ऊपर से कई-कई घंटे अघोषित बिजली कटौती ने आमजन का जीवन हाल-बे-हाल कर दिया है। हीटवेव से बीती रात 6 मरीज हॉस्पिटल में भर्ती हुए। एक भेड़ चराने वाले 24 साल के युवक की मौत हो गई।
भीषण गर्मी और हीटवेव की चपेट में आने से तबीयत बिगड़ने पर जिला हॉस्पिटल में सोमवार रात 62 साल से लेकर 80 साल तक के बुजुर्गों को भर्ती करवाया गया। अलवर निवासी 62 साल की माया देवी, 74 साल की लक्ष्मी देवी, 64 साल की छोटी सहित रामगढ़ निवासी अशर्फी और रानी थाना क्षेत्र के 71 साल नरेंद्र सिंह को हीट स्ट्रोक वार्ड में भर्ती कराया गया है। परिजनों का कहना है कि उल्टी- दस्त की शिकायत होने के बाद इन्हें देर रात हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। कई लोगों को पेट दर्द की भी शिकायत है।
भेड़ चराने वाले युवक की गई जान
भीषण गर्मी के कारण नागौर के डीडवाना के बजोली गांव से आए भेड़ चराने वाले 24 साल के युवक कृष्णाराम पुत्र जीवनाराम की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि वह तीन महीने पहले भेड़ चराने आया था। एक दिन पहले सोमवार को उसकी अचानक तबीयत बिगड़ने पर उल्टियां होने लगी। पहले पिनान के हॉस्पिटल में भर्ती कराया। उसके बाद जिला हॉस्पिटल लेकर आए, जिसकी रात को मौत हो गई।
बिजली कटौती से आमजन बेहाल
बिजली कटौती से गांवों में और बुरा हाल है। रात को 9 बजे कटौती के बाद 11 बजे कभी 12 बजे बिजली आती है। दिन में सुबह 10 बजे कटौती के बाद दोपहर बाद 3 बजे आती है। हीटवेव से सामना करना आमजन का बड़ा कठिन हो गया है। दैनिक भास्कर को बिजली कटौती वीडियो आमजन की तरफ से भेजे जाने लगे हैं। एक दिन पहले ही बानसूर के गूंता-शाहपुर गांव से ग्रामीण ने बिजली कटौती की समस्या काे बताया।
ग्रामीण नवीन रोहिला ने बताया कि बिजली कटौती से पूरा गांव परेशान है। दिन हो या रात। कटौती का कोई समय नहीं है। इस भीषण गर्मी में दिन-रात गुजारना मुश्किल हो गया है। बच्चे, बुजुर्ग व बीमार लोगों के सामने और बड़ी परेशानी रहती है। कटौती होती है मरीजों को सबसे अधिक दिक्कत आती है। महिलाओं का बच्चो ंको संभालना मुश्किल हो जाता है। शिकायत के बाद भी बिजली कटौती बहाल नहीं हो पाती है। यह केवल एक गांव नहीं बल्कि आसपास के गांवों का भी यही हाल है।
तापमान 45 डिग्री के पार
जिले भर में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक है। इस भीषण गर्मी को पड़ते करीब दो महीने हो गए हैं। बीच-बीच में शहरों में भी बिजली कटौती होती है। लेकिन गांवों में कटौती अधिक है। तापमान अधिक होने के कारण पंखे व कूलर में भी रुकना मुश्किल हो गया है। बिजली कटौती के बाद के हालात बहुत खराब हो जाते हैं।
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